दिल्ली: नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के दरियागंज में हुई हिंसा पर 7 जनवरी को सुनवाई होगी. बता दें कि 6 आरोपियों ने तीस हजारी कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी. तीस हजारी कोर्ट ने इससे पहले 15 आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था जिसके बाद 6 आरोपियों ने दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
शुक्रवार को दरियागंज में हुई थी हिंसा
दिल्ली में शुक्रवार को जब नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था, तब यहां हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में आग लगा दी और पुलिस पर पत्थरबाजी की थी. इसी दौरान पुलिस ने यहां 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इनके अलावा कुछ नाबालिगों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था.
A Delhi court to hear bail plea of 15 accused in Daryaganj violence case on January 7. #CitizenshipAmendmentAct
— ANI (@ANI) December 28, 2019
जामा मस्जिद में भी इसी दिन हुआ था हिंसक प्रदर्शन
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को दिल्ली की जामा मस्जिद में नागरिकता कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था. प्रदर्शऩकारी जुमे की नामज के बाद जंतर-मंतर तक मार्च निकालना चाह रहे थे. जिसे पुलिस ने दिल्ली गेट पर ही रोक दिया था. शाम को प्रदर्शऩकारियों ने दरियागंज डीसीपी ऑफिस के बाहर खड़ी गाड़ी में आग लगा दी थी. उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए पुलिसबल को पानी की बौछारों का इस्तेमाल करना पड़ा. बवाल के बाद दरियागंज में भारी पुलिस बल तैनात किया गया.
नागरिकता कानून के खिलाफ जामिया में हुई थी हिंसा
आपको बता दें कि नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में हिंसा हुई थी. इसमें बड़ी मात्रा में सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था. दिल्ली पुलिस ने आसपास के इलाके में हुई हिंसा के मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. इस दौरान पत्थरबाजी और आगजनी भी हुई. इसके बाद पुलिस ने करीब 100 छात्रों को भी हिरासत में लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंसा करने पर छात्रों को फटकार लगाई थी.
क्या है नागरिकता कानून
उल्लेखनीय है कि इस कानून के मुताबिक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी. कानून के मुताबिक इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दी जाएगी. अभी तक यह समयसीमा 11 साल की थी.