नई दिल्ली. पंद्रह जून की रात बीस भारतीय जवानों पर चीन के तीन सौ सैनिकों द्वारा अचानक किये गए हमले के बाद गलवान घाटी में माहौल बिलकुल बदल गया है. सैन्य गतिरोध समाप्त होने की बाद तो दूर है अब तो युद्ध जैसी स्थिति का उच्चस्तरीय तनाव सीमा पर देखा जा रहा है.
थल सेना का साथ देने वायुसेना आई आगे
लद्दाख सीमा पर भारतीय थल सेना तो तैयार है ही, अब उसका साथ देने के लिए भारतीय वायुसेना भी आगे आ गई है. चीन लगातार भारत को युद्ध की गीदड़ भभकियां दे रहा है और अब उसको करारा जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं.
वायुसेना प्रमुख ने किया लेह का दौरा
चीन की चुनौती को गंभीरता से लेते हुए थल सेना की तरह वायुसेना भी गलवान सीमा पर सन्नद्ध है. हर चीनी गतिविधि पर सेना के दोनों अंगों की नज़र है. वायुसेना की तैयारियों के बीच भारतीय जंगी जहाज़ों ने बॉर्डर के पास उड़ान भरी है. इतना ही नहीं स्थति की गंभीरता को इस तरह भी समझा जा सकता है कि भारतीय वायुसेना प्रमुख ने भी लेह का दौरा किया है.
दो दिन तक रूखे वायुसेना प्रमुख
भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया दो दिनों तक लेह में रुके रहे. इस दौरान वायुसेना प्रमुख ने हर स्थिति का सामना करने की ऑपरेशनल तैयारियों का निरीक्षण किया. पूर्वी लद्दाख में एलएलसी पर चीन के दस हजार से ज्यादा सैनिक तैनात देखे जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त चीन लगातार कह रहा है कि पंद्रह जून की घटना के लिए भारतीय सेना जिम्मेदार है.
ये भी पढ़ें. उईगर है दुखती रग, बौखलाये चीन की अमेरिका को पहली सीधी धमकी