क्या ज़ाहिर करना चाहते हैं प्रदर्शनकारी तिरंगे झंडे से

हांथों में तिरंगे झंडे लिए प्रदर्शनकारी जब पुलिस पर बोतलें और पत्थर फेंकते हैं तो यह राष्ट्र-ध्वज का सम्मान नहीं है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2019, 04:09 PM IST
  • क्या ज़ाहिर करना चाहते हैं प्रदर्शनकारी तिरंगे झंडे से
    हांथों में तिरंगे झंडे लिए प्रदर्शनकारी जब पुलिस पर बोतलें और पत्थर फेंकते हैं तो यह राष्ट्र-ध्वज का सम्मान नहीं है..
  • नई दिल्ली. सीएए के विरोध के दौर में देशन में नए ढंग का एक प्रयोग देखा जा रहा है. भारत की सड़कों पर सरकारी क़ानून का विरोध करने वाले लोग हाथों में तिरंगा झंडा लिए नज़र आ रहे हैं. एक गहरी चाल नज़र आ रही है इस नए किस्म के प्रदर्शन में.
  • तिरंगा है सहानुभूति जीतने का हथियार
    इस भीड़ में जो देश की संसद से पास क़ानून का विरोध कर रही है जिसमें राष्ट्र-विरोधी शक्तियों के लोग शामिल हैं, हाथ में तिरंगा ले कर बाकायदा एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत सड़कों पर उतरे हैं. देश के लोग इन उपद्रवकारियों के हाथ में जब तिरंगा झंडा देखते हैं तो उनकी हमदर्दी जो देश के साथ है वो इन लोगों के साथ भी अपनेआप जुड़ जाती है.
  • शर्मनाक है राष्ट्र-ध्वज लिए लोगों की भीड़ का हिंसा करना
    हाथ में तिरंगा लिए लोग वो नहीं हैं जो सचमुच प्रदर्शन करने घरों से निकलें हैं. सुनियोजित तरीके से हिंसा करने के उद्देश्य से निकले इन लोगों की भीड़ राष्ट्र-ध्वज सिर्फ दिखावे के लिए हाथ में लिए है, जबकि इनका उद्देश्य तो राष्ट्रविरोधी ही है.
  • हाथ में झंडा होने से प्रदर्शनकारी सही साबित नहीं हो जाते
    नागरिकता क़ानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन चल रहा है. इन प्रदर्शनकारियों में बहु-संख्या उपद्रवकारियों की है. ये लोग मज़माई हैं या दंगाई, पहली नज़र में पता नहीं चलता. ऊपर से हाथ में तिरंगा झंडा होने से इन लोगों को लगता है कि देश के सामने वे सही साबित हो जायेंगे. पर ये सच नहीं है.
  • राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना राष्ट्रप्रेम नहीं है
    सच ये है कि राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले राष्ट्रप्रेमी नहीं हो सकते. सिर्फ हाथ में तिरंगा ले कर सड़कों पर उतर जाना सज्जनता का प्रमाणपत्र नहीं है. आपका उद्देश्य और आपका प्रदर्शन बताता है कि आप क्या हैं और आप कौन हैं.
क्या ज़ाहिर करना चाहते हैं प्रदर्शनकारी तिरंगे झंडे से

नई दिल्ली. सीएए के विरोध के दौर में देशन में नए ढंग का एक प्रयोग देखा जा रहा है.  भारत की सड़कों पर सरकारी क़ानून का विरोध करने वाले लोग हाथों में तिरंगा झंडा लिए नज़र आ रहे हैं. एक गहरी चाल नज़र आ रही है इस नए किस्म के प्रदर्शन में. 

तिरंगा है सहानुभूति जीतने का हथियार 

इस भीड़ में जो देश की संसद से पास क़ानून का विरोध कर रही है जिसमें राष्ट्र-विरोधी शक्तियों के लोग शामिल हैं, हाथ में तिरंगा ले कर बाकायदा एक सुनियोजित योजना के अंतर्गत सड़कों पर उतरे हैं. देश के लोग इन उपद्रवकारियों के हाथ में जब तिरंगा झंडा देखते हैं तो उनकी हमदर्दी जो देश के साथ है वो इन लोगों के साथ भी अपनेआप जुड़ जाती है. 

शर्मनाक है राष्ट्र-ध्वज लिए लोगों की भीड़ का हिंसा करना 

हाथ में तिरंगा लिए लोग वो नहीं हैं जो सचमुच प्रदर्शन करने घरों से निकलें हैं. सुनियोजित तरीके से हिंसा करने के उद्देश्य से निकले इन लोगों  की भीड़ राष्ट्र-ध्वज सिर्फ दिखावे के लिए हाथ में लिए है, जबकि इनका उद्देश्य तो राष्ट्रविरोधी ही है.

झंडा लेकर प्रदर्शनकारी सही साबित नहीं हो जाते

 नागरिकता क़ानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन चल रहा है. इन प्रदर्शनकारियों में बहु-संख्या उपद्रवकारियों की है. ये लोग मज़माई हैं या दंगाई, पहली नज़र में पता नहीं चलता. ऊपर से हाथ में तिरंगा झंडा होने से इन लोगों को लगता है कि देश के सामने वे सही साबित हो जायेंगे. पर ये सच नहीं है. 

राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना राष्ट्रप्रेम नहीं है 

सच ये है कि राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले राष्ट्रप्रेमी नहीं हो सकते. सिर्फ हाथ में तिरंगा ले कर सड़कों पर उतर जाना सज्जनता का प्रमाणपत्र नहीं है. आपका उद्देश्य और आपका प्रदर्शन बताता है कि आप क्या हैं और आप कौन हैं. 

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