अगले थल सेनाध्यक्ष मुकुंद नरवाणे के बारे में कुछ खास बातें

वर्तमान सेनाध्यक्ष बिपिन रावत का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. उनका स्थान मुकुंद नरवाणे लेने वाले हैं. आईए आपको बताते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 17, 2019, 03:52 PM IST
    • भारतीय सेना के नए सेनाध्यक्ष बनेंगे मनोज मुकुंद नरवाणे
    • 1980 से शुरु हुआ सैन्य करियर
    • कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं
अगले थल सेनाध्यक्ष मुकुंद नरवाणे के बारे में कुछ खास बातें

नई दिल्ली: लेफ़्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का चयन देश के अगले सेना प्रमुख के तौर पर किया गया है. वह 31 दिसंबर को सेनाध्यक्ष का पद संभालेंगे. क्योंकि उसी दिन बिपिन रावत अपने पद से रिटायर हो रहे हैं. 

नए सेनाध्यक्ष के सामने चुनौतियां
ले. जन. मनोज नरवाणे की नियुक्ति ऐसे समय में की जा रही है, जब पड़ोसी देशों के साथ भारत का तनाव चरम पर है. कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर पाकिस्तान लगातार भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. सीमा पर रह रहकर गोलीबारी हो जाती है. 

उधर CAA विवाद को लेकर असम सहित पूरे उत्तर पूर्व में हिंसा जारी है. 

1980 से हुई ले.जन. नरवाणे के सैन्य करियर की शुरुआत
लेफ़्टिनेंट जनरल नरवणे को जून 1980 में कमीशन हासिल हुआ. उनकी पहली पोस्टिंग सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट में हुई थी. उन्होंने कश्मीर और उत्तर पूर्व में आतंकवादियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशनों की नेतृत्व किया है. 

नरवाणे को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन की कमान संभालने का भी अनुभव है. वह असम राइफल्स में आईजी रह चुके हैं. 

दिल्ली में नियुक्ति से पहले नरवाणे कोलकाता में पूर्वी सैन्य कमान के प्रमुख थे. यही कमान चीन के साथ लगी 4 हजार किलोमीटर की भारतीय सीमा की निगरानी करती है. 

ले. जन. नरवाणे की ही पहल पर भारतीय सेना ने चीन से लगी पूर्वी सीमा पर बड़ा सैन्य अभ्यास किया था. वह कुछ साल पहले तक दिल्ली के एरिया जनरल ऑफिसर भी रह चुके हैं. 

ले.जन. नरवाणे का निजी जीवन
लेफ़्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की पत्नी वीना नरवाणे शिक्षिका हैं. इन दोनों की दो पुत्रियां भी हैं. 

वह पुणे के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे के जन प्रबोधिनी पाठशाला से पूरी की. नरवाणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं. 

उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से रक्षा और प्रबंधन में एमफिल की डिग्री हासिल की है. 

नरवाणे  श्रीलंका में भारतीय शांति सेना में भी काम कर चुके हैं. वह म्यामांर में भारतीय दूतावास में तीन साल तक भारत के डिफेन्स अटैची रहे हैं. 

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