लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) 16 फरवरी को राजा सुहेलदेव राजभर के स्मारक का शिलान्यास करेंगे. उत्तरप्रदेश की राजनीति में इस कदम का दीर्घकालिक असर पड़ेगा. योगी सरकार (Yogi Government) महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बनाने जा रही है. सीएम योगी (CM Yogi) के इस फैसले से कई राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ गई है.
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मंगलवार को बहराइच की चित्तौरा झील के विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे. यह कार्यक्रम महाराजा सुहेलदेव की जयंती के मौके में उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में आयोजित किया जा रहा है.
राजा सुहेलदेव को राजभर समाज मान- सम्मान का प्रतीक मानती है और इस बिरादरी का उत्तरप्रदेश में 40 विधानसभा सीटों पर दबदबा है. राजभर वोटों को हासिल करने के लिए कई दलों में होड़ लगी रहती है.
जानिये कौन थे महाराज सुहेलदेव
आपको बता दें कि महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे. सुहेलदेव ने महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद को मारा था. राजभर और पासी जाति के लोग उन्हें अपना वंशज मानते हैं. जिनका पूर्वांचल के कई जिलों में खासा प्रभाव है. आपको बता दें कि 15 जून 1033 को श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव और सैयद सालार मसूद के बीच बहराइच के चित्तौरा झील के तट पर युद्ध हुआ था.
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इस लड़ाई में सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद की सेना को पूरी तरह नष्ट कर दिया था. राजा सुहेलदेव की तलवार के एक ही वार ने मसूद का काम भी तमाम कर दिया. युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसमें मसूद की पूरी सेना का सफाया हो गया.
राजा सुहेलदेव की जाति पर विवाद
सुहेलदेव किस जाति के थे, इसकी प्रमाणिक और पुष्ट जानकारी इतिहासकारों के पास नहीं है. सियासी लोग राजा सुहेलदेव को अपनी अपनी जाति के हिसाब प्रयोग करते हैं. कुछ लोग उन्हें राजभर तो कुछ लोग उन्हें पासी बताते हैं.
इतिहासकार डॉ. राजकिशोर ने एक साक्षात्कार में बताया था कि राजा सुहेलदेव करीब हजार वर्ष पूर्व के ऐसे महानायक हैं जिनका इतिहास खोजना काफी मुश्किल है. हालांकि उत्तर प्रदेश में अवध व तराई क्षेत्र से लेकर पूर्वांचल तक मिथकों-किंवदंतियों में उनकी वीरता के कई किस्से हैं. उनकी जाति को लेकर एकमत नहीं है, कोई उन्हें राजभर तो कोई पासी जाति का बताता है.
सुहेलदेव के नाम पर होती है पूर्वांचल में राजनीति
उल्लेखनीय है कि भाजपा समेत कई हिंदूवादी संगठन सुहेलदेव को हिंदू राजा के तौर पर चित्रित करते हैं. प्रदेश सरकार में भाजपा की पूर्व सहयोगी पार्टी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर महाराजा सुहेलदेव को राजभर बताते हैं. पूर्वांचल में भाजपा और ओमप्रकाश राजभर में सुहेलदेव के नाम पर खींचतान होती रहती है.
सुभासपा और BJP में बढ़ी तकरार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस स्मारक का शिलान्यास करने जा रहे हैं यूपी की राजनीति में उसका पहरा प्रभाव पड़ेगा. सुभासपा को डर है कि महाराजा सुहेलदेव के नाम पर भाजपा उसके वोटबैंक में सेंध लगा सकती है. इसलिये ओम प्रकाश राजभर भाजपा पर हमलावर हो गये हैं. उन्होंने इस कार्यक्रम को 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 'चुनावी स्टंट' करार दिया. साथ ही कहा कि यूपी पंचायत चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए बीजेपी महाराजा सुहेलदेव का नाम भुनाने की कोशिश कर रही है.
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