बिहार के नेताओं की पहली पसंद 'रेल मंत्रालय'... गृह, वित्त या रक्षा क्यों नहीं?

 Bihar Demands Railway Ministry: आजादी के बाद से बिहार के हिस्से 9 बार रेल मंत्रालय आया है. नीतीश कुमार 2001 और 2004, यानी दो बार देश के रेल मंत्री रहे. अब एक बार फिर उनकी पार्टी की सांसद ने रेल मंत्रायल की मांग कर दी है. आखिर, रेल मंत्रालय ही बिहार के नेताओं की पहली पसंद क्यों है? 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jun 7, 2024, 04:37 PM IST
  • लवली आनंद ने मांगा रेल मंत्रालय
  • कहा- ये बिहार को मिलना चाहिए
बिहार के नेताओं की पहली पसंद 'रेल मंत्रालय'... गृह, वित्त या रक्षा क्यों नहीं?

नई दिल्ली: Bihar Demands Railway Ministry: NDA गठबंधन ने नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुन लिया है. आगामी 9 जून को मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इसी बीच कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये खबरें सामने आई हैं कि JDU चीफ नीतीश कुमार और LJP (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने रेल मंत्रालय की मांग की है. नीतीश के करीबी और JDU सांसद लवली आनंद के पति आनंद मोहन ने रेल मंत्रालय की मांग की है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि हम रेल मंत्रालय की मांग करते हैं. रेल मंत्रालय लगातार बिहार के हिस्से रहा है. एलएन मिश्रा, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार के जमाने के अधूरे कार्यों को पूरा करना है तो पिछड़े बिहार को रेल मंत्रालय चाहिए. इसके बाद सांसद लवली आनंद ने भी रेल मंत्रालय की मांग को दोहराया. 
 
बिहार के हिस्से 9 बार आया रेल मंत्रालय
यह पहली बार नहीं है जब बिहार के नेताओं ने रेल मंत्रालय की मांग की है. इससे पहले भी बिहार के हिस्से 9 बार रेल मंत्रालय आया है. दो बार तो खुद नीतीश कुमार रेल मंत्री रहे हैं. आइए, जानते हैं कि बिहार के कौन-कौन से नेता कब-कब रेल मंत्री बने?
1. 1962 में जगजीवन राम
2. 1969 में रामसुभग सिंह 
3. 1973 में ललित नारायण मिश्र 
4. 1982 में केदार पांडेय 
5. 1989 में जॉर्ज फर्नांडीस
6. 1996 में रामविलास पासवान 
7. 1998 में नीतीश कुमार 
8. 2001 में नीतीश कुमार (दूसरी बार)
9. 2004 में लालू प्रसाद यादव 

बिहार के नेता क्यों मांगते हैं रेल मंत्रालय?
किसी भी सरकार में गृह, वित्त या रक्षा मंत्रालय को अहम माना जाता है. फिर भी बिहार के नेता रेल मंत्रालय ही क्यों मांगते हैं? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब राजनीतिक गलियारों से लेकर चौक-चौराहों पर बैठे लोग भी जानना चाहते हैं.

1. जनता से सीधा कनेक्ट: रेल मंत्री का सीधे जनता से कनेक्ट होता है. गृह, वित्त या रक्षा मंत्री के पास भले अहम विभाग हों, लेकिन ये न तो जनता पर सीधा असर डालते हैं न ही इनका आमजन से डायरेक्ट सरोकार होता है. ये नीतियों के आधार पर आमजन को राहत दे सकते हैं. लेकिन रेल मंत्री किसी भी क्षेत्र से रेल शुरू करके वहां के लोगों का मत अपने पक्ष में करने में सक्षम होते हैं.

2. वोट बैंक बढ़ाने का अवसर: बिहार के ज्यादातर लोग दूसरे राज्यों में नौकरी करते हैं. इसक कारण उन्हें बिहार में ऐसे ट्रांसपोर्ट की जरूरत होती है, जो सस्ता हो और सुगम हो. रेल मार्ग के जरिये वे आसानी से सफर तय कर सकते हैं. यदि कोई उनके इलाके से लेकर गंतव्य स्थल तक रेल चला दे तो इससे उनका जीवन काफी आसान हो जाता है.

3. भारी बजट: भारत सरकार ने हाल ही में रेलवे का बजट बढ़ाया था. अब यह बजट पहले से बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इस बजट के जरिये इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया जा सकता है. पहले से अधिक ट्रेन चलाई जा सकती हैं. यह भारी-भरकम मंत्रालयों में से एक है, जिसका बजट कई मंत्रालयों से अधिक है.  

4. नौकरियां देने में आगे: रेल मंत्रालय नौकरियां देने में बाकी मंत्रालयों से काफी आगे है. बीते 10 साल में अकेले रेल मंत्रालय ने करीब 40 लाख से अधिक नौकरियां दी हैं. 28 अक्टूबर, 2023 को रोजगार मेलों में करीब 51,000 से अधिक उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दिए गए, इनमें से भारतीय रेलवे ने लगभग 14,000 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे.

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