नई दिल्ली: Why BJP chose Om Birla: देश में पहली बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव होने वाला है. भाजपा ने एक बार फिर ओम बिड़ला पर भरोसा जताया है. बिड़ला 2019 से 2024 तक भी लोकसभा के स्पीकर रहे हैं. कई राजनीतिक पंडितों ने तो लोकसभा चुनाव से पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि मोदी सरकार रिपीट होती है तो बिड़ला को एक बार फिर लोकसभा चलाने की जिम्मेदारी मिलेगी. एक लंबे सस्पेंस के बाद हुआ भी यही. ऐसे में सवाल ये उठता है कि मोदी-शाह ने एक बार फिर बिड़ला पर भरोसा क्यों जताया है? आइए, जानते हैं...
कौन हैं ओम बिड़ला? (Who is Om Birla)
ओम बिड़ला राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से सांसद हैं. उन्होंने भाजपा से कांग्रेस में गए प्रहलाद गुंजल को चुनाव हराया. बिड़ला की गिनती भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं में होती है. वे साल 2003 से 2014 तक कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक रहे. फिर 2014 में कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने. इसके बाद 2019 में फिर लोकसभा का चुनाव जीते और लोकसभा के अध्यक्ष बने. 2024 में बिड़ला लोकसभा स्पीकर के पद के लिए NDA के प्रत्याशी हैं.
मोदी-शाह ने बिड़ला को दूसरी बार मौका क्यों दिया?
1. संसदीय नियमों के जानकार: ओम बिड़ला बतौर विधायक 10 साल विधानसभा में रहे. फिर बतौर सांसद 10 साल संसद में रहें. इस बार उनका संसद में तीसरा टर्म होगा. बिड़ला संसदीय नियमों और परंपराओं के जानकार हैं. इसका नमूना मार्च 2022 में देखने को मिला. जब द्रमुक सांसद डी एन वी सेंथिल कुमार ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पीएम आवास योजना से जुड़ा सवाल किया. उनके पहले प्रश्न का जवाब ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने दिया. जबकि दूसरे सवाल का जवाब देने के लिए कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह खड़े हुए. इस पर बिड़ला ने उन्हें टोका और कहा सभी प्रश्नों का उत्तर या तो राज्य मंत्री दें या कैबिनेट मंत्री दें.
2. पुरानी दोस्ती: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओम बिड़ला की गहरी दोस्ती है. दोनों एक-दूसरे को बहुत पहले से जानते हैं. 19 जून, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिड़ला के पहली बार लोकसभा स्पीकर बनने पर अभिनंदन भाषण दिया था. इसमें उन्होंने कहा, 'मुझे काई सालों तक पार्टी का काम करने करने का मौका मिला, इस दौरान हम दोनों (बिड़ला और मोदी) ने साथ में काम किया.' मोदी ने भाषण में बिड़ला को अपना साथी बताया था. खुद PM ने बताया कि जब गुजरात में भूकंप आया था, तब बिड़ला लंबे समय तक कच्छ में रहे.
3. लो-प्रोफाइल नेता: मोदी-शाह के हाल के फैसले बताते हैं कि वे लो-प्रोफाइल नेताओं को पसंद करते हैं. राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के CM वे नेता बने हैं, जिनके नाम पर किसी ने विचार तक नहीं किया था. बिड़ला भी बेहद लो-प्रोफाइल रहने वाले नेताओं में से एक हैं. राजस्थान में ऐसी कहावत है कि बिड़ला दाएं हाथ से काम करते हैं तो बाएं हाथ को भीं नहीं पता चलता. संगठन में जिम्मेदारी निभाने के दौरान बिरला ने राजनीति का ये गुर सीखा. पीएम ने 2019 में कहा था- बिड़ला सदन में भी मुस्कुराते हैं तो भी बड़े हल्के से मुस्कुराते हैं. वे बोलते हैं तो भी बड़े हल्के से बोलते हैं.
4. पार्टी और RSS के कार्यकर्ता: ओम बिड़ला पार्टी और RSS, दोनों के वफादार माने जाते हैं. हाल में भाजपा और RSS के बीच खटास होने की बातें भी सामने आई थीं, ऐसे में बिड़ला को रिपीट करने पर RSS भी संतुष्ट रहेगा. बिड़ला पार्टी में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पद संभाल चुके हैं. ऐसे में उनमें क्राइसिस मैनेज करने की क्षमता भी नजर आती है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2018 में मिला. जब बिड़ला को 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली. भाजपा राजस्थान में बुरी तरह हारने से बची. सम्मानजनक हार के साथ ठीक-ठाक सीटें ले आई.
5. यस मैन: दिसंबर 2023 में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा से 95 लोकसभा सांसद सस्पेंड हुए थे. ये पहली बार था जब लोकसभा से इतनी बड़ी संख्या में सांसद सस्पेंड हुए. इस दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ही थे. विपक्ष का आरोप था कि संसद में बिना चर्चा के बिल पारित हो रहे हैं. इसके अलावा, तब सांसद 'संसद की सुरक्षा चूक' मामले पर चर्चा चाह रहे थे. लेकिन सरकार ये नहीं चाहती थी. लिहाजा, सांसदों को हंगामा करने के लिए निलंबित कर दिया गया था.
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