लखनऊ: योगी आदित्यनाथ, एक ऐसा नाम जिसने भारत की राजनीति को बदलकर रख दिया. लोग इस कथन को अतिशयोक्तिपूर्ण कह सकते हैं लेकिन उत्तरप्रदेश में रहकर समूचे देश में हिंदुत्व की ताकत का जो एहसास योगी आदित्यनाथ ने कराया है वो अनूठा है. सीएम योगी के प्रखर हिंदुत्व और समर्पित जनसेवा का ही ये परिणाम था कि हमेशा मुस्लिम वोट बैंक की सियासत करने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मंदिरों के चक्कर लगाने पड़े. 5 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना 49 वां जन्मदिन मना रहे हैं. जन्मदिन के मौके पर योगी आदित्यनाथ के संन्यासी और सियासी जीवन की सफल और अनुकरणीय यात्रा प्रस्तुत है.
मात्र 26 साल की उम्र में बन गए थे सांसद
योगी आदित्यनाथ जब केवल 26 साल के थे तब वे देश की संसद में पहुंच गए थे. इस उम्र में न जाने कितने लोग अपने करियर का निर्धारण भी नहीं कर पाते हैं. बहुत से लोग तो इस उम्र में यही विचार करते रहते हैं कि आगे भविष्य में उन्हें क्या करते हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ ने घर छोड़कर, संन्यासी जीवन अपनाकर और राजनीति में रहकर जनसेवा करने का फैसला किया. उन्होंने अपने संकल्प को सिद्ध भी किया और गोरखपुर से सबसे कम उम्र में भाजपा के सांसद बन गए. योगी आदित्यनाथ 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में गोरखपुर से सांसद चुने गए.
हिंदुत्व की ताकत का कराया परिचय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे देश को हिंदुत्व की ताकत से रूबरू कराया. गोरखपुर में महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर योगी आदित्यनाथ उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बन गए. महंत अवैद्यनाथ भाजपा से 4 बार सांसद बने थे. बेहद गरीब और साधारण परिवार में जन्म लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने उस समय हिंदुत्व का ध्वज बुलंद किया जब उत्तरप्रदेश में मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसे जातिवादी नेता अपनी अपनी जातियों के नाम पर प्रदेश में अराजकता और गुंडागर्दी को बढ़ावा दे रहे थे. सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री बनकर योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिया है कि हिंदुत्व की विचारधारा पर चलकर भी शीर्ष तक पहुंचा जा सकता है.
मुलायम सिंह यादव भी कुछ नहीं कर सके
समाजवादी पार्टी के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव ने योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व पर कई बार प्रहार किए. उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए पुलिस के द्वारा योगी को परेशान करने की भी साजिश रची और बेवजह उन पर अत्याचार भी किया. जिसकी वजह से योगी को लोकसभा में उनकी शिकायत करनी पड़ी थी तब योगी आदित्यनाथ अपने साथ किये गए अन्याय को याद करके खुद भी रोने लगे थे. जो बहुत चर्चा का विषय बना था.
उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ संसद में 13 मार्च 2007 को भावुक होकर रो दिए थे और इसके ठीक 10 साल बाद उन्हीं मुलायम सिंह यादव की सत्ता उखाड़कर 19 मार्च 2017 को देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने. आज मुलायम की हालत ये है कि पूरी राजनीति में उनका कोई अस्तित्व नहीं बचा है और बड़ी मुश्किल से वे सांसद बन पाए हैं खुद उनके भाई शिवपाल उन्हें हराने में लगे थे.
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बुआ और बबुआ की जोड़ी को किया धराशाई
उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री रहते योगी आदित्यनाथ ने कई क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कार्य किये हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की जातिवादी सियासत का समूल नाश कर दिया है. अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए 'बुआ और बबुआ' की जोड़ी अर्थात अखिलेश और मायावती को गठबंधन करने के लिए मजबूर कर दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी निष्ठा और एकाग्र समर्पण के बल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा को धराशाई कर दिया. सपा के यादव परिवार के सदस्य भी चुनाव में बुरी तरह हार गये. यहां तक कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी बुरी तरह परास्त हो गयी और अखिलेश यादव की बोलती बंद हो गयी.
यूपी में गुंडों को सिखाया कड़ा सबक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश में कानून व्यवस्था को सुधारने में बहुत प्रयास किये और सफल भी रहे. उत्तरप्रदेश में कहा जाता है समाजवादी पार्टी गुंडों को संरक्षण देती है और ये कई बार सही साबित भी हुआ. जब नागरिकता कानून के विरोध में प्रदेश में हिंसा और आगजनी हो रही थी तब ये समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव CAA का विरोध करके इन गुंडों और दंगाइयों का समर्थन करते दिखे थे. योगी आदित्यनाथ ने इन सभी दंगाइयों को कठोर सबक सिखाया. उन्होंने सभी की संपत्ति जब्त करके इन जेहादियों पर रासुका भी लगाई. योगी के इस कदम की पूरे देश में तारीफ हुई थी.
कोरोना काल में साबित हुए देश के सबसे श्रेष्ठ मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वायरस से प्रदेश को बचाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाए. उन्होंने सबसे पहले कोटा में फंसे उत्तरप्रदेश के छात्रों को निकालने के लिए विशेष बसें भेजी और सभी को सकुशल घर भेजा. योगी के इस कदम का भी विपक्ष ने विरोध किया था. तब विपक्ष का छात्र विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ था. साथ ही योगी आदित्यनाथ ने सभी मजदूरों को राहत देने के लिए मनरेगा में काम दिया है. प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुफ्त में गेहूं, चावल, दाल आदि राशन सामग्री वितरित कर रहे हैं. कोरोना संकट के समय कई मीडिया संस्थानों ने सर्वेक्षण किया जिसमें सीएम योगी सबसे लोकप्रिय और सक्रिय मुख्यमंत्री साबित हुए.
भावी प्रधानमंत्री के रूप में भी चर्चित
योगी आदित्यनाथ ने संन्यासी के रूप में जनसेवा के जो कीर्तिमान स्थापित किये हैं, उनकी सराहना पूरी दुनिया में हो रही है. मुलायम, मायावती जैसे नेताओं के राज में फैलाये गए भ्रष्टाचारी और अनाचारी राज को समाप्त करके योगी आदित्यनाथ ने पूरे देश में लोकप्रियता हासिल की है. यही कारण है कि लोग उनमे भावी प्रधानमंत्री की झलक देखते हैं. लोगों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री साबित होकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वगुरु भारत की कल्पना को सत्य सिद्ध करेंगे.