हरिद्वार: 'होनहार वीरवान के होत चिकने पात' ये कहावत हरिद्वार के 13 साल के एक बच्चे पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है. मात्र 13 साल के कन्हैया ने इतनी कम उम्र में ही वह कर दिखाया जिसके लिए बड़े तकनीकी कौशल की जरुरत होती है.
कबाड़ से बना दी इलेक्ट्रोनिक कार
कक्षा 8 के कन्हैया ने घरेलू और अनुपयोगी समान से एक इलेक्ट्रिक कार बना डाली. वह अपनी बनाई कार को सड़क पर दो किलोमीटर से ज्यादा चला कर टेस्ट भी कर चुका है. कन्हैया ने यह कारनामा अकेले अपने दम पर किया है. इस काम मे उसका सहयोग उसके परिवार और दोस्तो ने दिया है. उसकी बनाई कार बैटरी से चलती है और फुल चार्ज बैटरी से एक बार मे अभी इसे 40 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है.
बचपन से दिखती थी प्रतिभा
कन्हैया बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली है. जब वह केवल 8 साल का था तभी से उसको कुछ नया करने की धुन सवार रहती थी. उसने सबसे पहले बैटरी से चलने वाली एक छोटी सी जेसीबी मशीन बनाई. उसके बाद उसने वैक्यूम क्लीनर, इलेक्ट्रिक साइकल, इलेक्ट्रिक रोबोट जैसी चीजें बनाई. उसके बाद उसने एक रिमोट से चलने वाली कार बनाई. जिसके बाद कन्हैया को इलेक्ट्रिक कार बनाने का आइडिया आया.
दो महीने में बना डाली कार
कन्हैया ने करीब 2 महीने पहले से इलेक्ट्रिक कार पर काम करना शुरू किया और उसके लिए जरूरी सामान जुटाने लगा. 2 महीने में ही उसने इलेक्ट्रिक कार बना दी. यह कार बिल्कुल वास्तविक कर जैसी है जो चाबी से स्टार्ट होती है. कार में स्टीयरिंग, हेड तथा बैक लाइट, इंडिकेटर, गियर, बैक गियर आदि सभी कुछ है.
तकनीक से भरपूर है कन्हैया की कार
कन्हैया ने अपनी इलेक्ट्रोनिक कार को चलाने के लिए इसमें 12 वाल्ट की चार बैटरियों का इस्तेमाल किया है. चारो फुल चार्ज बैटरियों से एक बार मे कार 40 किलोमीटर तक चल सकती है. कन्हैया ने कार को हरिद्वार की सड़कों पर 2 किलोमीटर से ज्यादा चला कर टेस्ट भी किया है.
बेहद कम खर्च में बना दी कार
कार की बॉडी प्लाईवुड से बनाई गई है. जिसे बनाने में 30 हजार रुपये के आसपास का खर्च आया है. कन्हैया को बचपन से ही कुछ नया करने का शौक रहा है. वह बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण से बचाव के लिए कोई नया आविष्कार करना चाहता है. हालांकि कन्हैया ने इस इलेक्ट्रिक कर को अकेले अपने दम पर बनाया है. मगर उसके भाई कृष ने उसका कार बनाने में पूरा सहयोग किया है. कृष का कहना है कि उसने प्लाई की कटाई, रंग रोगन जैसे कामों ही उसका सहयोग किया है. बाकी आइडिया कन्हैया का ही था.
कन्हैया को है प्रोत्साहन की जरुरत
कन्हैया के इस नए आविष्कार से उसके परिजन और पड़ोसी काफी गदगद है. लेकिन परिजनों को दुख है कि इतना बड़ा काम करने के बाद भी अभी तक किसी संस्था, नेता ने उसके काम को सराहा तक नही है. उनकी मांग है कि सरकार उसको और आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए. ताकि वह देश और समाज के लिए इस तरह के नए उपयोगी आविष्कार कर सके.
ये भी पढ़ें- छोटी बच्ची ने तोड़ा सचिन का रिकॉर्ड, मिला बड़ा ईनाम
ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से बढेगा पर्यटन