नई दिल्ली: इसी हफ्ते वैलेंटाइन वीक शुरू होने जा रहा है. जिसमें हर प्रेमी युगल अपने साथी का साथ जीवन भर निभाने का वादा करता है तो कुछ अपने प्यार का इजहार करता है. इस हफ्ते लोग प्रेमी प्रेमिकाओं की ऐसी कहानियों को याद करते हैं जो ऐतिहासिक रूप से तो विलक्षण होती हैं लेकिन जिनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है.
प्राचीन ग्रंथों में प्रेम को शाश्वत माना गया. जब तक धरती पर मनुष्यता रहेगी तब तक प्रेम भी उसके साथ चलेगा. हम आपको प्रेमी युगल की एक ऐसी ऐतिहासिक कहानी के बारे में बता रहे हैं जिसमें प्रेमी प्रेमिका के बीच प्यार और आत्मीयता की सारी सीमाएं समाप्त हो जाती हैं. महाकवि कालिदास ने अपने काव्य ग्रंथ 'मेघदूतम्' में बेहद रोचक कहानी का वर्णन किया है जो आज भी लोगों की संकीर्ण मानसिकता पर प्रहार करती है.
आज भी समाज में प्रेमी जोड़े को कई सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है. प्रेमियों की रूढ़िवादी मानसिकता के लोगों से जूझना पड़ता है और कई समस्याओं का सामना करने के बाद उन्हें उनके प्रेमी मिलता है. 'मेघदूतम्' में महाकवि कालिदास ने एक यक्ष के प्रेम को आधार बनाकर ये साबित करने की कोशिश की है कि हर दिन, हर साल और हर शताब्दी में प्यार करने वालों पर संकट आते हैं और उन्हें उनसे मुकाबला करना पड़ता है. कुछ इस तरह है ये ऐतिहासिक कहानी-
प्रेमिका तक संदेश पहुंचाने के लिये मांगी थी मेघों से मदद
'मेघदूतम्' में एक यक्ष की कहानी है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है. कुबेर ने उसे इसलिये निष्कासन की सजा दी थी क्योंकि उस पर कुबेर की सेवा पूरी ईमानदारी से न करने का आरोप लगा था. यक्ष को एक साल के लिये राज्य से निष्कासित कर दिया गया था. निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है और वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है.
अपनी प्रेमिका से बेहद प्यार करने वाला यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है. अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश प्रेमिका तक भेजने की बात सोची. यक्ष के वियोग में उसकी प्रेमिका भी व्याकुल थी और विरह से तड़प रही थी.
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यक्ष ने विचार किया कि रामगिरि पर्वत से उठकर मेघ उत्तर के हिमालय तक जाते हैं इसलिये ये मेघ उसके पत्रवाहक बन सकते हैं. यक्ष बादलों को रामगिरि से अलकापुरी तक के रास्ते का विवरण देता है और उत्तरमेघ में यक्ष का यह प्रसिद्ध विरहदग्ध संदेश है जिसमें कालिदास ने प्रेमीहृदय की भावना को उड़ेल दिया है.
कालिदास की इस कहानी से ये समझा जा सकता है कि हर युग में हर सदी में प्रेमी युगल को किसी न किसी प्रकार से कष्ट सहने पड़ते हैं. आधुनिक युग में प्रेमी और प्रेमिका के पास संदेश भेजने के कई शानदार साधन हैं लेकिन वैलेंटाइन सप्ताह में ये कल्पना भी जरूरी है कि जब आधुनिक तरीके नहीं थे तब कितना परिश्रम प्रेमी युगल को करना पड़ता होगा अपनी बात पहुंचाने में. वैलेंटाइन सप्ताह में ये कहानी दर्शाती है कि जहां सच्चा प्यार होता है वहां कोई भी राह मुश्किल नहीं होती.
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