रूस से जल्द आ रहे हैं जंगी जहाज़, टैंक और युद्धपोत

एक तरफ रूस में भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल मुलाकात हुई है वहीं दूसरी तरफ रूस से भारत को यथाशीघ्र अत्यंत महत्वपूर्ण सैन्य आपूर्ति की संभावना भी बनी है जिसमें शामिल हैं सुखोई-30 लड़ाकू विमान, टी-90 टैंक और युद्धपोत. भारत को अब यह सैन्य आपूर्ति शीघ्रता का ध्यान रखते हुए वायुमार्ग से की जा सकती है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 23, 2020, 08:31 PM IST
    • रक्षामंत्री हैं रूस के तीन दिवसीय दौरे पर
    • द्विपक्षीय साझेदारी पर भी होगी बात
    • वायु मार्ग से हो सकती है आपूर्ति
रूस से जल्द आ रहे हैं जंगी जहाज़, टैंक और युद्धपोत

नई दिल्ली.  भारत के रक्षामंत्री का रूस जाना और भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों का वर्चुअल मीटिंग करना - ये दोनों वैश्विक राजनीतिक घटनाएं आज ही हुई हैं. और आज ही यह संभावना भी बन रही है कि रूस से भारत को यथा-शीघ्र अत्यंत महत्वपूर्ण सैन्य आपूर्ति की जायगी. इस सैन्य आपूर्ति में शामिल हैं सुखोई-30 लड़ाकू विमान, टी-90 टैंक और युद्धपोत भी.  

रक्षामंत्री हैं तीन दिवसीय दौरे पर 

भारतीय रक्षामंत्री तीन दिवसीय दौर पर रूस गए हुए हैं. चीन के साथ सैन्य-तनाव के बीच भारत रूस से  कई महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण खरीद रहा है. इन रक्षा उपकरणों में सुखोई-30, मिग-29 लड़ाकू विमान, टी-90 टैंक, युद्धपोत, पनडुब्बी इत्यादि की आपूर्ति भारत को होने वाली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार  रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इन अहम रक्षा उपकरणों की आपूर्ति को तत्काल सुनिश्चित किए जाने की बात भी रूस से करेंगे. 

द्विपक्षीय साझेदारी पर भी होगी बात 

सूत्रों के अनुसार भारतीय रक्षामंत्री के रूस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को लेकर बातचीत हो सकती है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रूस के विदेश मंत्री को भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव की जानकारी भी दे सकते हैं. इतना ही नहीं वे रूस की सरकार को एस-400 मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली की आपूर्ति में अतिशीघ्र करने की मांग भी कर सकते हैं. 

वायु मार्ग से हो सकती है आपूर्ति 

इस महत्वपूर्ण सैन्य-उपकरण खरीद को लेकर पहले जो दोनों देशों के बीच निर्धारित हुआ था उसके अनुसार इन इन उपकरणों की आपूर्ति समुद्री रास्ते से होनी थी, किन्तु आज की बदली हुई परिस्थितियों में  कोरोना महामारी के कारण यह आपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है. इसलिए इसकी पूरी संभावना है कि भारत की मांग पर अब सुखोई-30, टी-90 टैंक और युद्धक कलपुर्जों की आपूर्ति समुद्र-मार्ग के स्थान पर वायु मार्ग से होगी ताकि सीमा पर भारतीय सेना को तुरंत मजबूती मिल सके.

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