सागरः आत्मनिर्भर भारत का नारा जितना लुभावना है उसे साकार करना उतना ही सुगम, बस जरूरत है तो मजबूत इच्छा शक्ति की और ये तभी मुमकिन है जब सरकार और किसान दोनों मिलकर एक साथ काम करें. विदेशी मॉडल की बजाय देसी मॉडल को तरजीह दी जाए तो कुछ भी नामुकिन नहीं है.
इस बात को पूरी तरह समझने के लिए मध्य प्रदेश के सागर जिले में चलते हैं, जहां 30 साल के युवा किसान आकाश चौरसिया ने किसानों के लिए न सिर्फ खेती का एक अनोखा मॉडल तैयार किया है बल्कि एक एकड़ की खेती में 10 लाख रुपये तक की कमाई भी कर चुके हैं. आकाश चौरसिया की खेती के मॉडल पर डालते हैं नजर.
6 लेयर खेती पर कर रहे हैं रिसर्च
आकाश बताते हैं कि साल 2011 में उन्होंने मल्टी लेयर खेती पर काम करना शुरू किया. शुरुआत में एक-दो साल थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन फिर धीरे-धीरे अनुभव के साथ-साथ उत्पादन में बढ़ोतरी होने लगी.
आज आकाश एक ही खेत में कम से कम 5 फसल एक साथ उगाते हैं जिससे उनकी आमदनी में कई गुना बढ़ोतरी हुई. यही नहीं आकाश अब 6 लेयर खेती पर रिसर्च करने में जुटे हैं और बहुत जल्द ही उसकी शुरुआत भी करने वाले हैं.
पीएम मोदी भी कर चुके हैं सम्मानित
आकाश खेती की अपनी इस अनोखी तकनीक को सागर ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों तक पहुंचा रहे हैं. पिछले करीब 10 सालों में आकाश चौरसिया ने BHU, JNU कृषि विश्वविद्यालय, ICAR जैसी देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में न सिर्फ लेक्चर दे चुके हैं बल्कि सम्मानित भी हो चुके हैं.
देश के करीब 12 लाख किसानों तक सीधी पहुंच बनाने वाले आकाश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ग्राम मित्र युवा नेशनल अवार्ड से सम्मानित कर चुके हैं.
देसी और किफायती है आकाश की खेती
आकाश की 5 लेयर खेती का तरीका पॉलीहाउस जैसा ही है लेकिन पूरी तरह देसी और किफायती. आकाश ने 2011 में मेडिकल की तैयारी छोड़कर जब लोगों की सेहत सुधारने के संकल्प के साथ खेती में कदम रखा तो उनके पास कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था, हालांकि उनके माता-पिता पान के पत्ते की पुश्तैनी खेती करते थे. खेती उनके लिए अजूबा बिल्कुल नहीं थी लेकिन उसे मुनाफा और सेहतमंद कैसे बनाया जाए ये बड़ी चुनौती थी.
पुश्तैनी खेती छोड़ कर उगाईं सब्जियां
आकाश ने पुश्तैनी खेती को छोड़कर टमाटर की पैदावार करने का फैसला किया और पहले साल ही टमाटर का 10-12 फीट का पौधा देख आसपास के लोग हैरान रह गए. पैदावार अच्छी हुई और मुनाफा भी बेहतर मिलने से आकाश का उत्साह बढ़ा और उन्होंने यहीं से मल्टीलेयर फार्मिंग पर काम शुरू किया.
आकाश का कहना है कि उन्होंने जब मेडिकल की तैयारी बीच में छोड़ी तभी संकल्प लिया था कि लोगों को बीमारी से बचाना है लिहाजा इसके लिए शुद्ध और सेहतमंद खाना जरूरी है. इ्सके बाद आकाश ने पूरी तरह देसी तकनीकी पर काम करना शुरू किया.
हल्दी, पालक, करेला उगाया साथ-साथ
पहले आकाश ने कुछ फसलों की लिस्ट बनाई, जिसमें जमीन के भीतर होने वाली फसल, जमीन के ऊपर पत्तेदार फसल और करेला जैसी बेले वाली फसलों को चुना. दूसरे साल जब आकाश ने खेती शुरू की तो उनके पास तीन फसल एक साथ शुरू करने का ऑप्शन था.
जमीन के भीतर उन्होंने हल्दी की फसल डाली और उसके ऊपर पालक, चौराई जैसी पत्तेदार फसले जिसकी जड़ ज्यादा गहरी नहीं होतीं और फिर उसके बाद करेले का बीज डाला, करेला ऊपर चढ़ता है तो उससे नीचे की फसलों को कोई नुकसान भी नहीं होता.
एक खेत-एक मेहनत, फसलें तीन
आकाश बताते हैं कि इस विधि से खेत में खर पतवार भी नहीं उगता. जब तक हल्दी तैयार होती है उससे पहले पत्ते वाली फसल खत्म हो चुकी होती है जिससे फसल खराब होने की संभावना भी नहीं रहती. एक खेत, एक सिंचाई, एक मेहनत में आकाश को अब तीन फसलों को उगाने की महारथ हासिल हो चुकी थी. लिहाजा उसके बाद आकाश ने 4 लेयर खेती पर काम करना शुरू किया.
बना लिया खुद से ही पॉलीहाउस
इसके लिए उन्हें अब पॉलीहाउसनुमा छज्जे की जरूरत थी, पैसा कम था लिहाजा आकाश ने अपने-आसपास मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करना शुरू किया. पहले जिस बांस को उन्होंने करेले को ऊपर चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया उसे उन्होंने ऊपर से बास की फर्ली लगाकर एक-दूसरे को सपोर्ट दिया और फिर पतले तार के सहारे पूरे खेत में बांस के ऊपर बुनाई कर डाली.
अब जाली दार छज्जा तैयार हो गया लेकिन उसे और ढंकने की जरूरत थी लिहाजा आकाश ने उसपर से खर पतवार या फिर सरपत जैसे हल्ले सूखे सामानों का इस्तेमाल कर पूरे खेत को ढंक दिया.
कम लागत में किया तैयार
आकाश बताते हैं कि इसके कई फायदे हुए एक तो कम लागत में पॉलिहाउस बनकर तैयार हो गया दूसरे फसलों को गर्मी में गैरजरूरी धूप और ठंड में पाले से बचाने में मदद मिलने लगी. जब ज्यादा ठंड पड़ती है तो आकाश घर में रखी पुरानी और फटी साड़ियों को छज्जे के ऊपर और साइड में बांध देते हैं जिससे फसलों को पाला भी नहीं लगता.
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चार फसलें एक साथ उगा रहे आकाश
चौथी और पांचवीं फसल के रूप में आकाश ने पपीते और खीरा-ककड़ी को चुना. पपीता छज्जे के ऊपर चला जाता है और खीरा या फिर ककड़ी को बांस के बीच में तार का एक और घेरा बनाकर लटका दिया जाता है.
यानी अब आकाश जमीन के नीचे हल्दी उगाते हैं और जमीन पर पत्ते वाली सब्जियां, बांस-बल्ली के सहारे टमाटर या फिर करेले को ऊपर चढ़ाते हैं साथ ही खीरा और पपीते की खेती एक साथ एक समय में कर रहे हैं.
देसी बीज का किया भंडारण
खास बात ये है कि मल्टी लेटर क्रॉपिंग के साथ साथ आकाश जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं. आकाश के खेत में खाद और बीज सबकुछ देसी है. अब तक आकाश ने देसी बीजों का भंडार भी तैयार कर लिया है और मल्टी लेयर फार्मिंग के लिए 100 से ज्यादा फसलों का सेट भी तैयार किया है जिसमें अलग-अलग मौसम और जमीन का ख्याल रखा गया है.
शुद्ध और कीटनाशक मुक्त फसल है ध्येय
आकाश चौरसिया भले ही मेडिकल की पढ़ाई नही कर सके, लेकिन लोगों के जीवन को बचाने की मुहिम जारी रखें हुए हैं . आकाश हर दिन किसानों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाते हैं, देश के किसी भी हिस्से से जाकर किसान उनके खेत में ट्रेनिंग ले सकते हैं और वो भी बिल्कुल मुफ्त .
आकाश का एक ही सपना है उपभोक्ता तक शुद्ध और कीटनाशक रहित फसलों को पहुचाना. अपनी इसी मुहिम के तहत आकाश 200 से ज्यादा मॉडल अलग-अलग क्षेत्रों में तैयार करा चुके हैं.
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