भीषण तबाही मचाने वाले विशाल उल्कापिंड से धरती को खतरा

धरती के लिए बहुत संकट भरा दिन है. नासा ने जानकारी दी है कि बहुत विशालकाय उल्कापिंड जिसका आकार कुतुबमीनार से भी चार गुना अधिक है, वो धरती से टकरा सकता है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 25, 2020, 11:27 AM IST
भीषण तबाही मचाने वाले विशाल उल्कापिंड से धरती को खतरा

नई दिल्ली: ये साल धरती के लिए खतरों से भरा पड़ा है. एक तरफ कोरोना संकट और दूसरी तरफ लगातार आ रहे भूकम्प और चक्रवात. हाल ही में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बड़ी भविष्यवाणी की है. नासा के मुताबिक आज धरती से ऐसा उल्कापिंड टकरा सकता है जिससे धरती के नष्ट होने का खतरा है. ये उल्कापिंड बहुत तेज रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है.

धरती के बहुत करीब से गुजर सकता है उल्कापिंड

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि यह धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा. लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान में इस दूरी को ज्यादा नहीं माना जाता. अंतरिक्ष की दुनिया में इस दूरी को बहुत कम माना जाता है. विज्ञान में इस दूरी का कोई अभिप्राय ही नहीं होता है. उल्कापिंड का इतना विशाल है कि उसके आगे इस दूरी का कोई असर नहीं पड़ेगा.  बता दें कि जून में धरती के बगल से गुजरने वाला ये तीसरा उल्कापिंड है.

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इतना विशालकाय है ये उल्कापिंड

उल्लेखनीय है कि ये उल्कापिंड 2013 में रूस में गिरे उल्कापिंड से 15 गुना बड़ा बताया जा रहा है. साथ ही एफिल टावर और कुतुब मिनार से कई गुना बड़ा है. नासा ने बताया है कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी 310 फीट और कुतुबमीनार 240 फीट लंबा ये उल्कापिंड है. ऐसे में अगर यह उल्कापिंड किसी कारण अपनी चाल बदलता है और पृथ्वी की तरफ बढ़ता है तो यह भारी तबाही मचा सकता है. नासा ने इसकी रफ्तार 46 हजार 500 किलोमीटर प्रति घण्टे बताई है.

जानिये क्या है उल्कापिंड

आपको बता दें कि आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का कहते हैं. वहीं उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर गतिमान अवस्था में पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं.  हर रात को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या काफी अल्प होती है.

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