सिफर से शिखर की तरफ नटराजन का "सफर"

क्रिकेट के खेल में हालिया दिनों में अगर आपको किस्मत और बदकिस्मती के उदाहरण देखने हैं तो पृथ्वी शॉ और टी नटराजन से बेहतर उदाहरण आपको शायद ही देखने को मिले..

Written by - Shashank Shekhar | Last Updated : Feb 17, 2021, 01:40 PM IST
  • किस्मत और बदकिस्मती के उदाहरण
  • टी नटराजन की किस्मत ने दिया मौका
  • पृथ्वी शॉ को किस्मत ने ही डुबो दिया
सिफर से शिखर की तरफ नटराजन का "सफर"

नई दिल्ली: एक तरफ जहां पृथ्वी शॉ की बदकिस्मती उनका साथ छोड़ने का नाम नहीं ले रही जहां वो टेस्ट मैच में शानदार डेब्यू करने के बाद अगली सीरीज से पहले ही चोटिल हो गए और फिर टीम में जगह नहीं बना पाए. और जब टीम में वापसी हुई भी तो परफॉर्मेंस भी लगातार खराब होता गया और आखिरकार ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टीम से पहले टेस्ट मैच के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

चमक गई नटराजन की किस्मत

खैर ये बात तो रही पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) के बदकिस्मती की लेकिन अब बात करते हैं टी नटराजन के किस्मत की. एक ऐसा खिलाड़ी जिसको जब पहली बार किंग्स इलेवन पंजाब (Kings XI Punjab) ने अपनी टीम में 2017 के सत्र के लिए 3 करोड़ में खरीदा तो सबने आश्चर्य किया कि एक ऐसे  खिलाड़ी के उपर टीम ने इतना बड़ा दांव क्यों खेला है तब टीम के मेंटोर विरेंद्र सहवाग ने कहा था कि ये खिलाड़ी लम्बी रेस का घोड़ा साबित होने वाला है.

लेकिन इस सत्र में नटराजन 6 मुकाबलों में सिर्फ 2 ही विकेट चटका पाए और अगले ही साल नटराजन को सनराईजर्स ने सिर्फ 40 लाख में अपनी टीम में शामिल कर लिया. कहीं ना कहीं नटराजन के लिए 3 करोड़ की प्राइस से सीधे 40 लाख पर आ जाना उनके शुरूआती करियर में ही सबसे बड़ी सीख साबित हुई. इसके बाद नटराजन ने और भी कड़ी मेहनत करनी शुरू की और इसी दौरान नटराजन (T Natrajan) को लिस्ट ए क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए लिए विजय हजारे ट्रॉफी में डेब्यू करने का भी मौका मिल गया.

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डेथ ओवर्स के शानदार गेंदबाज

नटराजन के लिए सबसे बड़ा साल रहा 2020 जहां मानो किस्मत नटराजन को फर्श से अर्श तक ले जाने के लिए बेताब नजर आ रही थी. तभी तो 2020 के IPLमें नटराजन ने ना सिर्फ 16 विकेट चटकाए बल्कि उन्होंने अपनी गेंदबाजी से डेथ ओवर के दैरान 170 यॉर्कर करते हुए ये भी साबित कर दिखाया कि वो डेथ ओवर्स के कितने शानदार गेंदबाज है.

बस यही से नटराजन की मेहनत को किस्मत का साथ मिला और एक-एक करके तेज गेंदबाज चोटिल होते चले गए और टी नटराजन को मौका मिलता चला गया. जब ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर जाने वाली टीम का चयन किया गया तब चार एडिशनल गेंदबाजों में एक नाम टी. नटराजन का भी था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. तेज गेंदबाज वरुण चक्रवर्ती अचानक से चोट की वजह से टी-20 सीरीज से बाहर हो गए और उनकी जगह नटराजन को स्क्वॉड में शामिल कर लिया गया.

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अब ये तो तय हो गया था कि नटराजन को कम से कम टी-20 में ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ अपना दमखम दिखाने का मौका जरूर मिलेगा. लेकिन तभी नटराजन के लिए एक और चमत्कार हुआ और पीठ दर्द से जूझ रहे नवदीप सैनी की जगह उन्हें वनडे टीम में जगह दी गई और तीसरे और आखिरी  वनडे में नटराजन को डेब्यू करने का मौका भी मिल गया, नटराजन ने 2 विकेट अपने नाम किये.

नटराजन ने खुद को साबित किया

जब नटराजन को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 में डेब्यू करने का मौका मिला तो उन्होंने तीनों ही टी-20 मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 विकेट ले कर अपने सेलेक्शन को जायज़ साबित कर दिया. तो इस तरह से दोनों ही टीम में सेलेक्ट होना नटराजन की मेहनत के साथ-साथ किस्मत का भी साथ कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

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नटराजन की जिंदगी रातों-रात बदल चुकी थी लोकिन अभी कुछ और भी ऐसा होने वाला था जो नटराजन के दिल को कुछ पल के लिए कचोट तो रहा था लेकिन वो दर्द भी एक और नई कामयाबी की इबारत लिखने वाला थी जिसका एहसास नटराजन को तनिक भी न था.

सुनील गावस्कर ने तो ये तक कह दिया

दरअसल, IPLके दौरान ही टी नटराजन पिता बन चुके थे लेकिन उन्हें अपने बच्चे को देखने का मौका तब मिलता जब वो ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटते, लेकिन जब टी-20 सीरीज बीत गई तब नटराजन को टेस्ट सीरीज के लिए भारत को अभ्यास करवाने के लिए रोक लिया गया और इस पर ढेर सारे विवाद भी खड़े हो गए और यही नहीं सुनील गावस्कर ने तो ये तक कह दिया कि विराट और नटराजन के लिए दो अलग-अलग रवैया बीसीसीआई कैसे अपना सकता है.

लेकिन नटराजन के साथ-साथ गावस्कर को भी नहीं मालूम था कि अभी नटराजन का "बेबी लक" और क्या-क्या रंग दिखाने वाला था. मन मसोस कर नटराजन टीम के साथ एक नेट बॉलर बनकर  ट्रेवल करते रहे लेकिन दूसरे टेस्ट मैच के दौरान एक बार फिर से उमेश यादव के रूप में एक और गेंदबाज टेस्ट मैच से बाहर क्या हुआ नटराजन की लॉटरी लग गई और वो टेस्ट स्क्वॉड मे शामिल कर लिये गए.

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अब अगर तीसरे टेस्ट मैच में टी नटराजन डेब्यू कर जाते हैं तो ये क्रिकेट इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड ही होगा जो मुख्य रूप से टीम में किसी भी प्रारूप के लिए विदेशी दौरे पर जाने वाली टीम में न चुने गए हों और सिर्फ एडिशनल गेंदबाज के तौर पर दौरे पर ले जाए गए हों और एक बाद एक एक ही दौरे पर तीनों ही प्ररूपों में डेब्यू कर लिया हो. अब आप ही सोचिए इसे मेहनत को किस्मत का साथ नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे..

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