भारत देगा चीन छोड़ने वाली कंपनियों को 5000km से ज्यादा जमीन

भारत ने ये बड़ा ऐलान किया है उन कंपनियों के लिये जो चीन में फंसी हुई हैं और चीन छोड़ने का मन बना चुकी हैं. भारत आने पर इन कंपनियों को यूरोप के देश लक्ज़ेमबर्ग के क्षेत्रफल से दुगनी जमीन दी जायेगी..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 5, 2020, 11:27 PM IST
    • चीन छोड़ने वाली कंपनियों को मिलेगी भारत में पांच हज़ार किलोमीटर से ज्यादा जमीन
    • भारत ने की लैन्डपूल-गिफ्ट की तैयारी
    • साढ़े चार लाख हेक्टेयर से अथिक क्षेत्र चिन्हित
    • भूमि-अधिग्रहण समस्या रही है भारत में
भारत देगा चीन छोड़ने वाली कंपनियों को 5000km से ज्यादा जमीन

नई दिल्ली. ये एक शानदार उपहार है भारत सरकार का जिसकी हाल ही में घोषणा की गई है और इसके अनुसार चीन छोड़ने वाली कंपनियों को भारत में दिया जायेगा बड़ा ऑफर. ऐसी कंपनियों को मिलेगी लग्जमबर्ग से दोगुने आकार की जमीन. अब इन्तजार इस बात का भी है कि जहरीला ड्रैगन इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देने वाला है.

 

भारत ने की लैन्डपूल-गिफ्ट की तैयारी

भारत अपनी व्यावसायिक समझदारी का इस्तेमाल बिलकुल सही अवसर पर कर रहा है. और इससे जितना नुकसान चीन को पहुंचने वाला है उतना ही फायदा भारत को मिलने वाला है. चीन के बेनकाब होने के बाद चीन छोड़ने का इरादा रखने वाली कंपनियों को भारत आकर्षित करने के लिए कई तरह के कदम उठा रहा है. इनमें से सबसे बड़ा गिफ्ट इन कंपनियों के लिये भारत सरकार द्वारा उनको दी जाने वाली जमीन का तोहफा है. जो भी कंपनिया चीन से अपना कारोबार समेट कर भारत आयेंगी वे लग्जमबर्ग के दोगुने आकार का लैंडपूल पायेंगी. 

साढ़े चार लाख हेक्टेयर से अथिक क्षेत्र चिन्हित 

सूत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि भारत सरकार ने न केवल इस लैन्डपूल गिफ्ट की घोषणा की है, बल्कि इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. इस सिलसिले में सरकार ने चीन छोड़ने का इरादा रखनी वाली कंपनियों को भारत में कारोबार के लिए जगह उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ साढ़े चार लाख हेक्टेयर से अधिक का क्षेत्र चिह्नित किया है. इस चिन्हित भूमि क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से मौजूद लगभग सवा लाख हेक्टेयर की औद्योगिक भूमि भी सम्मिलित है.

 

 भूमि-अधिग्रहण समस्या है भारत में

भारत में अब तक जो स्थिति रही है उसमें देखा गया है कि देश में निवेश के लिये आई कंपनियों के सामने भूमि अधिग्रहण एक समस्या बन के हमेशा मौजूद रहा है. और यही एक ऐसी परेशानी रही है जो कि बड़ी कंपनियों के बड़े निवेश के लिये बड़ा अवरोधक बन कर सामने आई है. किन्तु अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार इस अवरोध का निवारण करने के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है. खास बात ये है कि कोरोना महामारी के कारण आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं पैदा होने के काऱण अब कई कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग बेस के रूप में चीन पर से अपनी निर्भरता को कम से कम करना चाहती हैं.

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