इमरान खान देंगे 10 करोड़, इस्लामाबाद में बनेगा भव्य श्रीकृष्ण मंदिर

ये कोई नई चाल तो नहीं है चालबाज़ चीन के दोस्त पाकिस्तान की जो भारत का पुराना दुश्मन रहा है. हमने रंगे सियार की कहानी भी सुन रखी है और बगुला भगत की भी. अब ये कौन सी नई कहानी है.इस्लाम के नाम पर बसे शहर में श्रीकृष्ण का मंदिर तैयार हो रहा है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 24, 2020, 09:01 PM IST
    • वजीरे आजम इमरान खान के दस करोड़ रुपयों से बनेगा मंदिर
    • मंगलवार को मंदिर की आधारशिला रख दी गई है
    • राजधानी में ये होगा पहला हिन्दू मंदिर
    • मानवाधिकार के संसदीय सचिव ने किया भूमि पूजन
इमरान खान देंगे 10 करोड़, इस्लामाबाद में बनेगा भव्य श्रीकृष्ण मंदिर

नई दिल्ली. नया समाचार है यह और यह शुभ समाचार चल कर आया है पाकिस्तान से. पाकिस्तान में बनने वाला है उस देश का सबसे बड़ा श्री कृष्ण मंदिर. जगत को प्रेम-सन्देश देने वाले श्री कृष्ण का यह मंदिर राजधानी इस्लामाबाद की शान बनेगा और इसके लिए इमरान खान की सरकार देने जा रही है 10 करोड़ रुपये की बड़ी राशि.

 

आधारशिला रख दी गई है 

इस्लामाबाद को नहीं पता, किन्तु यदि यह समाचार जैसा दिख रहा है, सब कुछ वैसा ही है, तो इस्लामाबाद अमर हो जाएगा. समाचार बता रहा है कि  इस्‍लामाबाद में भगवान कृष्‍ण का मंदिर बनाया जाएगा और 23 जून मंगलवार को इस कृष्‍ण मंदिर की आधारश‍िला भी रख दी गई है. लगता है इमरान खान अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं इसलिए ही वे इस मंदिर को बनाने के ल‍िए 10 करोड़ रुपये की राशि का योगदान दे रहे हैं. 

राजधानी में ये होगा पहला हिन्दू मंदिर 

यह पकिस्तान की राजधानी इस्‍लामाबाद में बनने वाला प्रथम हिंदू मंदिर होगा. इस मंदिर निर्माण की कुल लागत भी दस करोड़ रुपये ही है जो कि पाकिस्तान की सरकार दे रही है. ऐसा गजब कैसे हो गया, इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है. लेकिन जानकारी ये है कि यह ऐतिहासिक श्री कृष्ण मंदिर राजधानी के एच-9 क्षेत्र में 20 हजार वर्ग फुट में निर्मित किया जायेगा.

मानवाधिकार के संसदीय सचिव ने किया भूमि पूजन 

इस्लामाबाद में इस मंदिर के निर्माण पूर्व मंगलवार को भूमि पूजन सम्पन्न हुआ  जो पाकिस्तान में मानवाधिकार के संसदीय सचिव लाल चंद मल्ही द्वारा किया गया. कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए अपने भाषण में लालचंद ने कहा कि आज़ादी के पहले वर्ष 1947 तक इस्लामाबाद और उसके आस-पास के इलाकों में बहुत से मंदिर थे. इन मंदिरों में से एक सैदपुर गांव और एक कोरंग नदी के समीप है किन्तु अब वहां पूजा-पाठ नहीं होता.

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