वैलेंटाइन डे स्पेशल: कभी रतन टाटा ने भी किया था प्यार

भारत के धनपति रतन टाटा ने फेसबुक पर अपने अधूरे प्यार की कहानी  साझा की और उन्होंने बताया कि क्या वजह थी क्यों उनकी शादी उससे नहीं हो पाई जिससे उनको प्यार था..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Mar 3, 2020, 10:52 PM IST
    • रतन टाटा ने कॉलेज के दिनों में किया था प्यार
    • अमरीका में हुआ था प्यार
    • हो गई थी शादी भी पक्की
    • दादी ने दिए संस्कार
वैलेंटाइन डे स्पेशल: कभी रतन टाटा ने भी किया था प्यार

नई दिल्ली. कौन है दुनिया में ऐसा जिसने प्यार न किया हो कभी. अब भारत के धनकुबेर टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा भी तो इंसान ही हैं न. प्यार उन्होंने भी किया था. हाल ही में उन्होंने अपने बचपन  और पहले प्यार से जुड़ी कुछ निजी जानकारियां फेसबुक पर शेयर की हैं.

 

अमरीका में हुआ था प्यार 

रटन टाटा के फेसबुक पेज का नाम है ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे. इस पेज पर 82 साल के हो चुके रटन टाटा ने लिखा कि छात्र जीवन में जब वे अमेरिका में थे तब उस समय लॉस एंजिल्स में कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक आर्किटेक्चर कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया था. वह साल था 1962 का जिस दौरान उनको लॉस एंजिल्स में ही किसी लड़की से प्यार हो गया था.

हो गई थी शादी भी पक्की 

रटन टाटा अपनी फेसबुक पोस्ट पर बताते हैं कि लॉस एंजिल्स की रहने वाली उस लड़की से प्यार के बाद उनकी शादी भी लगभग पक्की हो चुकी थी. लेकिन अचानक दादी की तबीयत खराब होने की वजह से उनको भारत लौटने का फैसला लेना पड़ा. उस समय उन्होंने चाहा था कि उनकी प्रेमिका यानी उनकी मंगेतर भी साथ आएगी. लेकिन उस समय दौर था भारत-चीन युद्ध का और इस कारण उसके पैरेंट तैयार नहीं हुए और इस प्रेमी जोड़े का रिश्ता खत्म हो गया.

 

दादी ने दिए संस्कार 

रतन टाटा ने बताया कि जब वे दस साल के थे  उनके मां-पिता के बीच तलाक हो गया था इसलिए परिस्थितिवश उनको अपनी दादी के साथ रहना पड़ा और दादी के हांथों ही उनको सभी संस्कारों की शिक्षा मिली. उनकी दादी नवजबाई टाटा ने उनकी पालन-पोषण किया. टाटा लिखते हैं कि  'पैरेंट्स के अलग होने की वजह से मुझे और मेरे भाई को कुछ दिक्कतें हुईं, लेकिन फिर भी बचपन खुशी से बीता. दूसरे विश्व-युद्ध के बाद दादी हम दोनों भाइयों को छुट्टियां मनाने लंदन ले गई थीं. वहीं उन्होंने हमें जिंदगी में मूल्यों का महत्व बताया. उन्होंने समझाया कि प्रतिष्ठा सबसे ऊपर होती है.

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