तो इसलिए यूरोप पहुंच कर कोरोना वायरस और ज्यादा घातक हो गया हैं!!

कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में प्रयोग चल रहे हैं. ऐसे ही एक शोध में जुटे वैज्ञानिक ने दावा किया है कि चीन से यूरोप पहुंचने के बाद कोरोना ने अपने आप में बदलाव किया और ये ज्यादा घातक हो गया. जिसकी वजह से यूरोप और अमेरिका में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या बेहद ज्यादा है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 9, 2020, 09:19 AM IST
    • कोरोना वायरस से जुड़ी नवीनतम रिसर्च
    • यूरोप पहुंचकर कोरोना ने खुद को बदला
    • न्यू मैक्सिको के वैज्ञानिकों ने किया दावा
    • लॉस अलामोस नेशनल लेबोरेट्री में हुई शोध
    • कोरोना वायरस क्यों हुआ यूरोप पहुंचकर इतना घातक
तो इसलिए यूरोप पहुंच कर कोरोना वायरस और ज्यादा घातक हो गया हैं!!

नई दिल्ली: कोरोना वायरस और ज्यादा घातक स्वरुप धारण कर चुका है. न्यू मैक्सिको के एक वैज्ञानिक के इस खुलासे से दुनिया भर में दहशत फैल गई है. हालांकि इस शोध पर अभी मुहर लगनी बाकी है. 

शुरुआती दिनों से ज्यादा खतरनाक हुई कोरोना 
न्यू मैक्सिको की लॉस अलामोस नेशनल लेबोरेटरी में कोरोना वायरस पर एक शोध हुआ. जहां के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस यूरोप में जाकर और खतरनाक रूप ले चुका है. यूरोप से जिन दूसरे देशों में कोरोना पहुंचा है वहां यह ज्यादा घातक हो चुका है. 
कोरोना का ये नया स्वरुप उसके शुरुआती दिनों से ज्यादा खतरनाक है. कोरोना वायरस ने खुद को म्यूटेट(रुप परिवर्तन) किया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना ने खुद में ये बदलाव फरवरी के महीने में किया है. 

इसलिए यूरोप में कोरोना से हो रही हैं ज्यादा मौतें
वैज्ञानिक कोरोना वायरस में हो रहे इस बदलाव(म्यूटेशन) के बारे में और विस्तार से पता लगाने में जुटे हैं. ये प्रयोग न्यू मैक्सिको की लॉस अलामोस नेशनल लेबोरेटरी में चल रहा है. वहां के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस में हुए बदलाव को 'डी614जी(D614G)' का नाम दिया है. 


उनके अभी तक रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस में होने वाला यही बदलाव उसके ज्यादा घातक होने का कारण बन चुका है. क्योंकि इसकी वह से कोरोना वायरस की उपरी सतह पर बने कांटे(Spikes)प्रभावित हुए हैं जिसकी वजह से ये और ज्यादा मजबूत हो गए हैं. यही कारण है कि कोरोना वायरस अब मनुष्य के श्वसन तंत्र और ज्यादा प्रभावित करने लगा है. 
ये पूरी रिसर्च देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं-

अभी इस रिसर्च को परखना बाकी है
पूरे 33 पन्नों की ये रिपोर्ट गुरुवार को दुनिया के प्रसिद्ध साइंस जर्नल प्रकाशित करने वाली वेबसाइट biorxiv.org पर छपी है. उम्मीद की जा रही है कि कोरोना वायरस पर हुए इस नए शोध से कोरोना का टीका तैयार करने में मदद मिलेगी. 
लेकिन कोरोना वायरस की मारक क्षमता पर हुई इस नई रिसर्च की विश्वसनीयता को परखना अभी बाकी है. दुनिया भर के वैज्ञानिक अभी इस शोध की समीक्षा में जुटे हुए हैं. 


दुनिया के कई वायरस विशेषज्ञों ने इस रिसर्च पर संदेह जताया है और ज्यादा स्पष्ट विश्लेषण की मांग की है. उनके मुताबिक अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस ज्यादा घातक हो गया है. क्योंकि स्वयं में बदलाव लाना वायरस का स्वभाव है. लेकिन इस बात के मजबूत साक्ष्य इकट्ठा करने जरुरी हैं कि कोरोना वायरस ज्यादा घातक हो गया है. और इसकी कार्यप्रणाली बदल गई है. 

भारतीय वैज्ञानिक ने भी कुछ ऐसा ही दावा किया था
पद्मभूषण से सम्मानित और एशियाई गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष प्रतिष्ठित डॉक्टर डी.नागेश्वर रेड्डी ने भी मार्च के महीने में ही बताया था कि चीन के वुहान शहर से निकलने के बाद कोरोना वायरस में कई तरह के बदलाव आए हैं.


पद्मभूषण से सम्मानित और एशियाई गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष प्रतिष्ठित डॉ. डी.नागेश्वर रेड्डी ने जानकारी दी है कि भारत में घुसने के बाद कोरोना में बदलाव आए हैं.
कोरोना वायरस ने जब चीन से इटली में प्रवेश किया तो उसमें तीन म्यूटेशन(बदलाव) हुए. लेकिन ये बदलाव मनुष्य के लिए ज्यादा घातक साबित हुए.
अभी तक के वैज्ञानिक शोध से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस में 29,903 न्यूक्लियस बेस होते हैं, जिनमें स्थानीय जलवायु(Environment) और परिस्थितियों के मुताबिक परिवर्तन आते हैं. 

 

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