जयपुर: राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चले सियासी घमासान में आज का दिन सबसे महत्वपूर्ण है. सचिन पायलट की वापसी भले ही कांग्रेस में हो गयी हो लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं. भाजपा पूरा दम लगाकर ये साबित करने में जुटी है कि अशोक गहलोत के पास सरकार चलाने लायक बहुमत नहीं है. भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव के बदले में मुख्यमंत्री गहलोत विश्वास प्रस्ताव लाने जा रहे हैं. अब ये विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे कि वे किसका प्रस्ताव स्वीकार करते हैं.
अशोक गहलोत से मिल चुके हैं सचिन पायलट
कई दिनों से अशोक गहलोत और उनकी कार्यशैली से खफा चल रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने आखिर शीर्ष नेतृत्व के कहने पर गहलोत से मुलाकात कर ली. उन्होंने विधानसभा सत्र से एक दिन पहले पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी.
भाजपा लाने जा रही है अविश्वास प्रस्ताव
राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ विधानसभा सत्र के पहले दिन भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है. राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में है. कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोड़ना चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है. ये सरकार जल्द ही गिरने वाली है. अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी सरकार बचाने के लिए पूर्ण बहुमत साबित करना पड़ेगा.
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क्या सचिन पायलट मिटा पाएंगे दिलों की दूरियां
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सचिन पायलट अशोक गहलोत के साथ दिल की दूरी को कम कर पाएंगे. अशोक गहलोत ने पायलट को निकम्मा और नकारा कहा था. मुख्यमंत्री द्वारा इतनी असभ्य भाषा का कड़वा घूंट सचिन पायलट को पीना पड़ा. उनका प्रदेश अध्यक्ष का पद और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी दोनों ही चीजें अशोक गहलोत ने बेआबरू तरीके से छीन लिया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सरकारी आवास पर गुरुवार शाम को हुई विधायक दल की बैठक में उन्होंने कहा कि जो अब तक हुआ, उसे भुला दीजिए. सचिन पायलट को देखकर अशोक गहलोत ने कहा कि हम 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते, मगर इसमें खुशी नहीं मिलती, क्योंकि अपने तो अपने होते हैं.