लखनऊ: उत्तरप्रदेश में भाजपा के हाथों करारी शिकस्त झेलने के बाद समाजवादी पार्टी अब उसी राह पर लौटने जा रही है जिस राह पर उसकी पहले सियासत होती थी. भारतीय राजनीति में परिवारवाद को वरीयता देने में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ने वाली सपा फिर से परिवारवाद के सहारे है. आपको बता दें कि अखिलेश यादव के अहंकार की बदौलत उनके चाचा और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने सपा छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी.
पारिवारिक कलह का असर सपा की राजनीति पर भी पड़ा और सपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. अखिलेश यादव ने अपने अहंकार के कारण धुर विरोधी मायावती को तो स्वीकार कर लिया और उनकी शरण में चले गए लेकिन उन्होंने अपने सगे चाचा को मनाना उचित नहीं समझा. अब फिर से अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में करीबियां बढ़ने के कयास तेज हो गए हैं.
शिवपाल की विधायकी बचाकर साधने की कोशिश
शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से बगावत कर अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) पार्टी बना ली थी लेकिन उन्होंने 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी. अब इसे वापस लेकर शिवपाल की विधायकी को बचाने की कोशिश सपा द्वारा की गई है.
चाचा भतीजे में बढ़ रही करीबी
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर गौर करने से पता चलता है कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में नजदीकियां बढ़ रही हैं. मुलायम सिंह की तबीयत खराब होने पर शिवपाल सिंह यादव उन्हें देखने अखिलेश यादव के घर पर गए थे. तब से चाचा भतीजे के मिलन के कयास तेज हो गए थे. हालांकि शिवपाल को मनाने के लिए अखिलेश यादव को अपना अहंकार छोड़ना पड़ेगा.
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विधायकी जाने का खतरा खत्म
शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा खत्म हो गया है. सपा के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने गुरुवार को शिवपाल की सदस्यता समाप्त करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया है. गौरतलब है कि सपा ने 23 मार्च को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर शिवपाल यादव के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की याचिका वापस करने की मांग की. लॉकडाउन के चलते विधानसभा सचिवालय बंद रहने की वजह से इस पर फैसला नहीं हो सका था.
सपा को अस्तित्व बचाने के लिए शिवपाल को मनाना जरूरी
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से यादव परिवार के सदस्य भी चुनाव हार गए थे. यहां तक कि अखिलेश यादव की पत्नी, भाई धर्मेंद्र यादव, और रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी चुनाव नहीं जीत पाए थे. शिवपाल यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गठबंधन करने की शर्त रख रहे हैं. इस बात को शिवपाल कई बार सार्वजनिक रूप से भी कह चुके हैं, लेकिन अखिलेश इस बात पर राजी नहीं है. मुलायम सिंह यादव की भी यही कोशिश है कि सपा का सियासी अस्तित्व बचाने के लिए शिवपाल और अखिलेश एक हो जाएं.