नई दिल्ली: भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि है. इस मौके पर हम आपको वीर सावरकर से जुड़े हर सवाल का जवाब बताते हैं.
सवाल नंबर 1). वीर सावरकर कौन हैं?
जवाब- विनायक दामोदर सावरकर राष्ट्रवाद के सबसे बड़े नायक के तौर पर जाने जाते हैं. वो भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की पहली पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्हें स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से पुकारा जाता है.
अटल जी ने अपने एक भाषण में वीर सावरकर को कुछ इस तरह परिभाषित किया था, 'सावरकर एक व्यक्ति नहीं हैं, एक विचार हैं. वो एक चिंगारी नहीं हैं, एक अंगार हैं. वो सीमित नहीं हैं, एक विस्तार हैं.'
सवाल नंबर 2). सावरकर का जन्म कब हुआ?
जवाब- वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 में महाराष्ट्र (उस समय के 'बॉम्बे प्रेसीडेंसी') के नासिक जिले के एक गांव 'भागुर' में हुआ था.
सवाल नंबर 3). सावरकर ने क्या पढ़ाई की है?
जवाब- सावरकर ने पुणे (Pune) के फर्ग्यूसन कॉलेज से कला स्नातक (बीए) किया था. उन दिनों भारत अंग्रेजों के चुंगल में फंसा हुआ था. वीर सावरकर ने अंग्रेजों की वफादारी की शपथ लेने से इंकार कर दिया. उस वक्त की सरकार ने उन्हें सरकार विरोधी गतिविधियों में सक्रिय पाया और उनकी डिग्री वापस ले ली.
जून, 1906 में वे बैरिस्टर बनने के लिए लंदन (London) गए. लंदन जाने से पहल सावरकर ने एक गुप्त सभा में कहा था कि 'मैं शत्रु के घर जाकर भारतीयों की शक्ति का प्रदर्शन करूंगा.'
सवाल नंबर 4). सावरकर ने कौन कौन सी किताबें लिखी है?
जवाब- वैसे तो वीर सावरकर ने तमाम किताबें लिखी हैं, कुछ किताबें काफी प्रचलित हैं. उन्होंने हिन्दुत्व से लेकर अपने जीवन की तपस्या और पहले स्वंत्रता संग्राम के बारे में पुस्तक लिखी है. आपको 5 किताबों के बारे में बताते हैं.
'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857'
'द ट्रांसपोर्टेशन ऑफ माई लाइफ'
'हिंदुत्व - हू इज हिंदू?'
हिन्दू राष्ट्र दर्शन
हिन्दू पद-पादशाही
सवाल नंबर 5). 1857 की क्रांति के बारे में सावरकर का क्या मत था?
जवाब- सावरकर ने 1857 की क्रांति पर आधारित पुस्तकें पढ़ी थी. यदि वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति पहला स्वतंत्रता संग्राम नहीं बनता.
उन्होंने 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857' (The Indian War of Independence 1857) नामक पुस्तक लिखी थी. सावरकर ने 1857 की क्रांति के बारे में गहन अध्ययन किया और अपनी पुस्तक में सनसनीखेज जानकारी लिखी. उन्होंने इस क्रांति को पहला स्वतंत्रता संग्राम बताया और उनकी इस किताब ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था.
सवाल नंबर 6). सावरकर को काला पानी की सजा क्यों मिली?
जवाब- वीर सावरकर लंदन में थे तो नासिक में कलेक्टर एएमटी जैक्सन की हत्या कर दी गई. उनपर ये आरोप लगाया गया कि जिस पिस्टल से जैक्सन की हत्या हुई है, वो सावरकर ने लंदन से भेजी थी.
उन्हें लंदन से गिरफ्तार करके भारत लाया गया. जैक्सन की हत्या और अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह के आरोप में सावरकर को डबल कालापानी यानी 50 साल की सुनाई गई.
सवाल नंबर 7). सावरकर को वीर क्यों कहा जाता है?
जवाब- 1936 का समय था, जब कांग्रेस ने सावरकर को ब्लैकलिस्ट कर दिया था, इतना ही नहीं हर जगह उनका विरोध किया जाता था और काले झंडे दिखाए जाते थे. इस बीच एक मशहूर कलाकार पीके अत्रे सावरकर के साथ खुलकर आ गए.
अत्रे ने पुणे के एक कार्यक्रम में सावरकर को आमंत्रित किया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धमकी दी कि वो काला झंडा दिखाएंगे. इसके बाद पीके अत्रे ने वो टाइटल दिया, जो आज तक चर्चित है. उन्होंने कहा कि 'जो काला पानी से नहीं डरा, काले झंडों से क्या डरेगा?'
सावरकर को अत्रे ने 'स्वातंत्र्यवीर' की उपाधि दी. इसके बाद से सावरकर को वीर टाइटल मिल गया. सावरकर की वीरता पर कोई भी संदेह नहीं कर सकता.
सवाल नंबर 8). हिंदुत्व के बारे में सावरकर क्या सोचते थे?
जवाब- सन् 1923 में वीर सावरकर ने 'हिंदुत्व - हू इज़ हिंदू?' ( Hindutva: Who Is a Hindu?) नाम की पुस्तक लिखी है. इसमें पहली बार हिंदुत्व का एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.
इसके बाद सन् 1924 में रिहा होने के बाद हिंदू नवजागरण का काम किया, हिंदू धर्म में छुआ-छूत खत्म करने के लिए अभियान चलाया. वर्ष 1937 में वीर सावरकर हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने.
सवाल नंबर 9). सावरकर का सामाजिक जीवन कैसा रहा?
जवाब- सावरकर एक समाज सुधारक के तौर पर भी जाने जाते हैं. उनका दृढ़ विश्वास था कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्व रखते हैं और एक दूसरे के पूरक होते हैं. खास बात तो ये है कि वीर सावरकर के सामाजिक उत्थान कार्यक्रम सिर्फ हिंदुओं तक सीमित नहीं रहता था, बल्कि वो एक बेहतर समाज और बेहतर राष्ट्र का सपना देखते थे.
सवाल नंबर 10). सावरकर की मौत कैसे हुई?
जवाब- आजादी के 19 साल बाद 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हुआ था. उन्होंने 1 फरवरी 1966 को आमरण उपवास का फैसला किया था. आजादी के बाद के शासन में उन्हें लगभग उपेक्षित कर दिया गया था.
उनपर झूठे आरोप लगाए गए कि गांधीजी के हत्या में वो सहयोगी थे. हालांकि ये आरोप साबित नहीं हो पाया.
नेहरू का वो माफीनामा जो साबित करता है कि सावरकर वीर क्यों हैं?
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