अपने अंदर के बुद्ध को जागृत करिए

बौद्ध धर्म की दुनिया भर में तमाम शाखाएं हैं.बुद्ध ने अपने जीवन में जो ज्ञान प्राप्त किया था,उनके शिष्यों ने अलग अलग तरह से पूरी दुनिया में फैलाया. इसी में एक है लोटस सूत्र के सिद्धांतों को मानने वाला निचिरेन बौद्धवाद . 

Written by - Pratibha Rai | Last Updated : Nov 9, 2020, 04:24 PM IST
  • लोटस सूत्र के सिद्धांतों को मानने वाला निचिरेन बौद्धवाद
  • निचिरेन बौद्धवाद के अनुसार हर इंसान अपने आप में बुद्ध है.सभी लोगों के पास एक सहज बुद्ध-प्रकृति है
अपने अंदर के बुद्ध को जागृत करिए

नई दिल्लीः आज के समय में हर इंसान अलग अलग वजहों से दुखी है. किसी को स्वास्थ्य की तो किसी को मानसिक तो किसी को आर्थिक परेशानी है. इसके अलावा परिवार में सामंजस्य का न होना तो बड़ी परेशानी है ही साथ ही कोरोना नामक बीमारी ने तमाम तरह की मुश्किलें पैदा की हैं जो किसी से छिपा नहीं है.

परेशानियों से छुटकारा तो धीरे धीरे ही होगा लेकिन ईश्वर में आस्था ही वो हथियार है जो आपको हर विपरीत परिस्थिति में लड़ने का साहस देता है.इसके लिए लोग अलग अलग तरह के माध्यम की शरण में जाते हैं.आज बात करते हैं बौद्ध धर्म की.

लोटस सूत्र के सिद्धांतों को मानने वाला निचिरेन बौद्धवाद
बौद्ध धर्म की दुनिया भर में तमाम शाखाएं हैं.बुद्ध ने अपने जीवन में जो ज्ञान प्राप्त किया था,उनके शिष्यों ने अलग अलग तरह से पूरी दुनिया में फैलाया. इसी में एक है लोटस सूत्र के सिद्धांतों को मानने वाला निचिरेन बौद्धवाद .

इसके अनुसार हर इंसान अपने आप में बुद्ध है.सभी लोगों के पास एक सहज बुद्ध-प्रकृति है और इसलिए वे अपने जीवनकाल में आत्मज्ञान प्राप्त करने में सक्षम हैं. निचिरेन बौद्ध धर्म जापान से आया बौद्ध धर्म का एक रूप है जो स्वास्थ्य, खुशी और ज्ञान के लिए मंत्र “नम म्योहो रेंगे क्यो” जपने की सीख देता है.

लाभकारी है यह मंत्र
इस मंत्र को लगातार दोहराते हुए आप अपनी परेशानियों को दूर करने में खुद ही सक्षम हो सकते हैं.ये मंत्र आप सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि अपने बच्चों,परिजनों,मित्रों और पड़ोसियों के लिए भी दोहरा सकते हैं.पिछले 13 साल से निचिरेन बौद्ध को मानने वाली पिंकी दत्ता के मुताबिक आप 5 मिनट से शुरु करके आप मंत्र जपने की समय सीमा किसी भी हद तक बढ़ा सकते हैं.

ये मंत्र आपको कंसंट्रेट करता है. आपकी परेशानियों से निजात दिलवाता है. पिंकी दत्ता ने बताया कि कोरोना से पीड़ित तमाम दोस्तों रिश्तेदारों के लिए घंटों ये चमात्कारिक मंत्र नम म्योहो रेंगे क्यो का जाप किया है और इससे मरीज को फायदा भी पहुंचा.

अनुयायियों की माने तो “सच्चे बौद्ध धर्म” यानी, निचिरेन के अभ्यास के माध्यम से एक ही जीवन में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है. निचिरेन बौद्ध धर्म कई शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध निचिरेन शु, निचिरेन शोशू और सोका गकाई इंटरनेशनल हैं

क्या है लोटस सूत्र
अब आपके जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या है लोटस सूत्र .लोटस सूत्र सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली महायान सूत्रों में से एक है. इसी के आधार पर बौद्ध धर्म के बौद्ध धर्म के अलग अलग स्कूलों की स्थापना की गई है.कमल सूत्र में बुद्ध की अंतिम शिक्षा मोक्ष की सीख है.

संस्कृत में यह “सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र” है. बौद्ध धर्म का सार यह विश्वास है कि हमारे पास हमारे पास जीवन में आने वाली किसी भी समस्या या कठिनाई को दूर करने की ताकत अंतर्निहित है. किसी भी दुख को बदलने की क्षमता है. हमारे जीवन में ये शक्ति है सिर्फ हमे और आपको कोशिश करनी है उस ताकत को अपने अंदर महसूस करने की.इसके लिए लगातार मंत्र साधना की जरूरत है.

नम म्योहो रेंगे क्यो-एक चमात्कारिक मंत्र 
'नम म्योहो रेंगे क्यो' मंत्र बौद्ध अभ्यास के माध्यम से उन्होंने सभी लोगों को अपने जीवन के भीतर इसे सक्रिय करने और उस आनंद का अनुभव करने का एक तरीका सिखाया जो खुद को सबसे मौलिक स्तर पर पीड़ित होने से मुक्त करने में सक्षम होता है.

सभी लोगों के दिल और दिमाग़ को केंद्रित करने के लिए एक व्यावहारिक रूप में "नम म्योहो रेंगे क्यो " को सुनाने और बोलने की प्रथा को स्थापित किया और वास्तविकता में इसकी परिवर्तनकारी शक्ति को प्रकट किया. 'नम म्यो हो रेंगे क्यो' हमारे बुद्ध स्वभाव को गले लगाने और प्रकट करने के लिए दृढ़ संकल्प की अभिव्यक्ति है ये मुश्किलों से निकलने और किसी के दुख पर जीत हासिल करने का संकल्प है और खुशी हासिल करने में मदद करने का संकल्प है.

मंत्र का अर्थ 
नम-शब्द संस्कृत से लिया गया है.. जिसका अर्थ है खुद को समर्पित करना .
म्यो- शब्द का अर्थ रहस्यवादी या अद्भुत है.
हो-शब्द का अर्थ कानून है.
रेंगे-शब्द जिसका अर्थ है कमल खिलना.
क्यो - शाब्दिक अर्थ है सूत्र,धागा.

कमल के फूल में अंतर्निहित है ज्ञान 
कमल का फूल शुद्ध और सुगंधित होता है, यह गंदे पानी के बीच उगता है. जो मानव जाति की सुंदरता और गरिमा को परिभाषित करता है.इसके अलावा कमल के फूल में एक और खासियत होती है .कमल के फूल में एक ही समय में फूल और फल डालता है.

अधिकांश पौधों में, फूल खिलने के बाद फल विकसित होता है और फूल की पंखुड़ियां दूर गिर जाती हैं.कमल के साथ ऐसा नहीं है.कमल के पौधे का फल, फूल के साथ एक साथ विकसित होता है, और जब फूल खुलता है, तो फल उसके भीतर होता है. यह कारण और प्रभाव के एक साथ होने के सिद्धांत को दर्शाता है.

प्राप्त कर सकते हैं बुद्धत्व
हमें भविष्य में किसी के संपूर्ण बनने के लिए इंतजार करने की कत्तई जरूरत नहीं है, हम किसी भी समय अपने जीवन के भीतर से रहस्यवादी कानून की शक्ति को सामने ला सकते हैं. और इसमें मदद करता है लोटस सूत्र और उस पर अंकित मंत्र.लोटस सूत्र के अलावा अन्य सूत्रों ने सिखाया है कि लोग कई जन्मों में बौद्ध अभ्यास करने के बाद ही बुद्धत्व प्राप्त कर सकते हैं, एक-एक करके बुद्ध के लक्षणों को प्राप्त कर सकते हैं. 

बुद्ध के सभी लक्षण हममें मौजूद
लोटस सूत्र इस विचार को पलट देता है, यह सिखाता है कि बुद्ध के सभी लक्षण हमारे जीवन में शुरू से ही मौजूद हैं. मिस्टिक लॉ की तुलना कमल के फूल से की गयी है .  नम म्योहो रेंगे क्यो का जप करना रहस्यवादी कानून और जीवन की अंतर्निहित संभावनाओं के परिमाण में विश्वास का एक तरीका है. जप करने के लिए किसी की असीमित क्षमता पर विश्वास करना है.

इससे क्या है फायदा 
नम म्योहो रेंगे क्यो.. ये विश्वास देता है कि हम सामान्य जीवन जीते हुए लगातार अपनी कोशिशों से हर मुश्किल को पार पा लेंगे.
कई अनुयायी जो लगातार इस मंत्र का जाप कर रहे हैं उनकी अपनी अलग अलग अनुभूतियां है.इन लोगों ने जो चाहा उसे पा लिया.अपने दुखों को दूर करने में इन्हें मदद मिली.समाज की बेहतरी के लिए भी लगातार कोशिश में जुटे हैं.

ये जाप करना जीवन की शुद्ध और मौलिक ऊर्जा को सामने लाना है.और अंतिम वाक्य ये कि इससे आप का मन चित्त शांत हो जाता है ऐसे में आपके सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है.नकारात्मकता (negativity) को दूर कर (positivity) को बढ़ावा मिलता है और यही से शुरु होता है विश्वास और अपनी आंतरिक उर्जा को आगे लाने का प्रयास.

हर शख्स में बुद्ध मौज़ूद है 
खुद के जीवन में मौलिक कानून को जागृत करना, ज्ञान और करुणा को सामने लाना और ये महसूस करना कि वे स्वाभाविक रूप से बुद्ध हैं जो अपनी समस्याओं के साथ साथ दूसरों की समस्याओं को हल करने में सक्षम हैं. मिस्टिक लॉ में किसी के भी जीवन को बदलने की शक्ति है. कोई भी इंसान किसी भी समय और किसी भी हालात में अपने जीवन में सर्वोच्च खुशी ला सकता है.और यही स्थिति बुद्ध हो जाने की है.

ये और पर निर्भर है कि आप कोशिश करके खुद के अंदर कितने प्रतिशत बौद्ध अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं.इसके लिए किसी जंगल कंदरा,पहाड़ पर जाने की जरूरत नहीं है.अपने रोजमर्रा के काम करते हुए सिर्फ अपने अंदर शांति लाने और बौद्ध को जागृत करने की जरूरत है.

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