नई दिल्ली: भारत की स्टार वेटलिफ्टर मीरबाई चानू के नाम एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हो गई. 36वें नेशनल गेम्स में महिलाओं की भारोत्तोलन प्रतियोगिता के 49 किग्रा वर्ग में शुक्रवार को महात्मा मंदिर में मीराबाई चानू और संजीता चानू के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ.
बाद में मीराबाई ने 191 किलोग्राम (स्नैच 84 किग्रा, क्लीन एंड जर्क 107 किग्रा) की कुल लिफ्ट के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि संजीता को 187 किग्रा (स्नैच 82 किग्रा, सी एंड जे 105 किग्रा) की कुल लिफ्ट के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा. ओडिशा की स्नेहा सोरेन ने कुल 169 किग्रा (स्नैच 73 किग्रा, सी एंड जे 96 किग्रा) के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया.
मीराबाई ने जीता करीबी मुकाबला
स्नैच में, मीराबाई ने अपने पहले ही प्रयास में बार को 81 किग्रा तक उठाकर शुरूआती बढ़त हासिल कर ली, इससे पहले कि उनकी दूसरी लिफ्ट में 84 किग्रा के प्रयास ने उन्हें अपनी राज्य की साथी संजीता पर 3 किग्रा की बढ़त दिला दी. संजीता के 84 किग्रा भार उठाने के तीसरे प्रयास को फाउल करार दिया गया. मीराबाई ने अपनी ऊर्जा बचाना पसंद किया और तीसरे प्रयास के लिए नहीं आई.
क्लीन एंड जर्क में, संजीता ने अपने पहले प्रयास में 95 किग्रा भार उठाया और बार को 100 किग्रा और 105 किग्रा तक बढ़ाया, तीनों प्रयासों को जजों से हरी झंडी मिली. मीराबाई पर सबकी निगाहें टिकी थीं. प्रशंसकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया, जिसमें एक बड़ी मणिपुरी टीम भी शामिल थी.
प्रतिबंध के बाद संजीता चानू ने की वापसी
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता ने पोडियम पर केंद्र स्थान की पुष्टि करने के लिए 107 किग्रा भार उठाने से पहले अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक 103 किग्रा का भार उठाया. उन्हें स्वर्ण अपने नाम करने के लिए तीसरे प्रयास की आवश्यकता नहीं पड़ी.
अपने राज्य के लिए पहले पदक की पुष्टि के बाद उत्साहित, मणिपुर के दो भारोत्तोलक दल के बाकी सदस्यों में शामिल हो गए. दो बार के राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता (2014, 2018) संजीता को मई 2018 में टेस्टोस्टेरोन के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद आईडब्ल्यूएफ द्वारा अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और 2020 में चार्ज हटाए जाने के बाद वापसी कर रही है.
गोल्ड न जीत पाने से निराश हुईं संजीता
भावुक नजर आ रहीं संजीता ने रजत के लिए अपने मानसिक द्वंद पर काबू पाने पर विचार करते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक विशेष क्षण है. लेकिन मीराबाई को बधाई. वह अपने शानदार प्रयास के लिए सभी की वाहवाही और प्रशंसा की पात्र हैं. मुझे नेशनल गेम्स में प्रतिस्पर्धा करना और अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना बहुत अच्छा लगता है. पिछली बार (केरल 2015 में), मैंने कम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन सात साल बाद प्रतिस्पर्धा का स्तर निश्चित रूप से ऊपर आया है."
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