दुबई: भारतीय टीम के मुख्य कोच के पद से जाते-जाते रवि शास्त्री का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने कहा कि बायो बबल में रहकर भारतीय खिलाड़ी मानसिक रूप से प्रभावित हुए. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने विश्व कप से पहले कुछ खिलाड़ियों को किसी तरह का ब्रेक दिलाने के लिए क्रिकेट प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की. इस पर शास्त्री ने कहा कि यह मेरा काम नहीं था.
'प्रशासक करते हैं बड़े टूर्नामेंटों की देखरेख'
शास्त्री ने कहा कि सबसे पहले यह मेरा काम नहीं है. यह कुछ ऐसा है जो प्रशासक है, न केवल भारत से, बल्कि दुनिया भर के तमाम लोग जो बड़े टूर्नामेंटों से पहले इसकी देखरेख करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खिलाड़ियों को खेल के बीच में थोड़ा समय मिल सके, और वो हमेशा तरोताजा रह सकें. उन्होंने कहा कि कई भारतीय खिलाड़ी पिछले छह महीनों में बायो-बबल के कारण अत्यधिक थकान से पीड़ित थे.
भारत के कई शीर्ष क्रिकेटर, जो संयुक्त अरब अमीरात में विश्व कप अभियान का हिस्सा थे, उन्होंने बायो-बबल वातावरण में कई महीने बिताए हैं. इसके तहत वो एक सैनिटाइज वातावरण से दूसरे स्थान पर जा रहे हैं और शायद ही कभी वापस घर जाकर अपने परिवार के साथ बेहतर समय बिताया हो.
'खिलाड़ियों के साथ रखा लचीला रुख'
निवर्तमान कोच ने कहा कि जहां तक मुख्य कोच के रूप में उनके पांच साल के कार्यकाल का सवाल है, उन्होंने खिलाड़ियों के साथ हमेशा लचीला रुख रखा. अगर वे वास्तव में एक ब्रेक चाहते थे तो उन्हें आश्वासन दिया कि वे वापस आकर अपनी जगह वापस ले सकते हैं.
शास्त्री ने कहा, हमारे बीच संवाद हमेशा फ्री था, हर कोई बोलने के लिए स्वतंत्र था. किसी को भी जूनियर के रूप में नहीं माना जाता था. कोई जूनियर या सीनियर नहीं था और सभी को अपनी बात कहने की पूरी आजादी थी.
बीसीसीआई को दिया धन्यवाद
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक यात्रा है. मुझे पता है कि यह ड्रेसिंग रूम में मेरा आखिरी दिन है. मैंने अभी लड़कों से बात की है. लेकिन मैं यह मौका देने के लिए बीसीसीआई को धन्यवाद देना चाहता हूं, यह विश्वास करते हुए कि मैं काम कर सकता था.
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