नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में पहलवान रवि दहिया ने भारत का तिरंगा लहरा दिया है. उन्होंने सेमीफाइनल में कजाखिस्तान के पहलवान को शिकस्त देकर फाइनल में जगह बनाई. अब वे ओलंपिक में उनका रजत पदक तो पक्का हो गया है लेकिन सभी देशवासी उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद कर रहे हैं.
यदि रवि दहिया गोल्ड मेडल जीत जाते हैं तो कुश्ती में गोल्ड जीतने वाले वे पहले भारतीय बन जाएंगे. इससे पहले सुशील कुमार लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीत चुके हैं.
संघर्षों से भरा रहा रवि दहिया का जीवन
1997 में रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उसके पास अपनी जमीन तक नहीं थी. वो किराए की जमीन पर खेती किया करते थे.
यहां तक कि पहलवान के लिये जो दूध और फल सबसे जरूरी माने जाते हैं वे भी रवि को आसानी से उपलब्ध नहीं होते थे. उनके पिता 40 किलोमीटर दूर जाकर रवि को दूध देने जाते थे.
10 साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी ट्रेनिंग
10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से प्रशिक्षण लिया है. रवि दहिया के फाइनल में पहुंचने पर उनके गांव में जश्न का माहौल है. लोग रवि की उपलब्धि पर गर्व का अनुभव कर रहे हैं. दहिया से पहले सुशील कुमार फाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र पहलवान थे. उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक हासिल किया था.
रवि के गांव से निकल चुके हैं 3 ओलंपियन
रवि दहिया हरियाणा के सोनीपत के नाहरी गांव के रहने वाले हैं. किसान के पुत्र रवि दहिया इस गांव के तीसरे ओलंपियन हैं. उनसे पहले महावीर सिंह (मास्को 1980 और लास एंजिल्स 1984) तथा अमित दहिया (लंदन 2012) भी इसी गांव के थे. उनके एक रिश्तेदार ने रिंकी ने मीडिया से कहा कि ‘‘रवि ने मुझसे कहा था कि मौसी मैं पूरे देश को गौरवान्वित करूंगा और आज उसने ऐसा कर दिखाया। वह अब स्वर्ण पदक से एक कदम दूर है.’’
चोट लगने के बावजूद कम नहीं हुआ हौसला
2015 जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में रवि की प्रतिभा नजर आई. उन्होंने 55 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन सेमीफाइनल में चोटिल भी हो गए. उसके बाद सीनियर वर्ग में करियर बनाने के दौरान चोट के कारण उन्हें पीछे भी हटना पड़ा. 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें परेशान किया. इस कारण कुछ समय कुश्ती से दूर रहना पड़ा.
ओलंपिक की तैयारी भी रवि लॉकडाउन के चलते ठीक ढ़ंग से नहीं कर पाए. उन्होंने टोक्यो जाने से पहले कहा था कि वे इस बार खाली नहीं लौटेंगे. पूरा हिंदुस्तान उनके लिये दुआ कर रहा है कि देश को ओलंपिक इतिहास का 10वां गोल्ड मेडल दिलवायेंगे और कुश्ती में भारत को पहला गोल्ड मिलेगा.
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