नई दिल्लीः इस वक्त पूरे देश में कोरोना की दहशत है. चीन से दुनिया भर में फैली यह बीमारी लोगों को डरा रही है. इस वायरस के संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा काफी बड़ा है तो संक्रमित लोगों की संख्या उससे भी कहीं अधिक बड़ी है. दिल्ली-नोएडा और आगरा में इससे संबंधित संदिग्ध और पॉजिटिव मामले आने के बाद लोगों में इसे लेकर काफी डर पसरा है.
हालांकि इस संक्रमण के इलाज के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन बचाव करना तो लोगों के खुद के हाथ में जो बखूबी किया जा सकता है. इसलिए डरने-घबराने की कोई जरूरत नहीं. वैसे भी प्रकृति ने हमें तुलसी और नीम जैसी प्राकृतिक औषधियों का उपहार ऐसे ही समयों के लिए दिया है. यह दोनों ही औषधियां कोरोना के आगे डटकर खड़ी हैं.
नीमः एक प्राकृतिक हैंडवॉश
गुणकारी नीम के गुणों से तो खैर कोई अनजान नही है, लेकिन इस वक्त में एक बार और इसके असर पर नजर डाल लेनी चाहिए. दरअसल नीम प्राकृतिक तौर पर शोधन का काम करता है. इसका कड़वापन एक रसायन की तरह है जो सूक्ष्मजीवों पर गहरा असर डालता है. कोरोना के संक्रमण का पहला प्रभाव संपर्क में आने से होता है.
ऐसे में जरूरी है कि हाथ बिल्कुल सफाई से धुले जाएं साथ ही रोगी की छुई हुई वस्तुओं को भी तुरंत साफ कर दिया जाए. नीम इसमें सहायक है. नीम की पत्तियों का रस निकालकर उससे हाथ धोना शत-प्रतिशत सुरक्षित है और संक्रामक बीमारियों से दूरी बनाए रखने में प्रभावी है.
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नीम की पत्तियों को उबालकर नहाएं
देसी नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर नहाने का चलन प्राचीन समय से रहा है. यह एक औषधीय उपचार के अलावा सामान्य व्यवहार की भी बात है. यह पानी प्रदूषण के प्रभाव को शरीर से दूर करता है साथ ही रोम छिद्र को शुद्ध करता है. इसके अलावा किसी भी तरह के संक्रमण का संपर्क हुआ हो तो उसे पूरी तरह धो डालता है.
त्वचा रोगों में तो यह प्रभावी है ही, फ्लू जैसे रोगों के निदान में भी नीम का उबलापानी गुणकारी है. इसका प्रभाव भी काफी देर तक रहता है. यानी कि एक बार नीम के उबले पानी से नहाने के बाद आप दिनभर संक्रमण से दूर रह सकते हैं.
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तुलसीः गुणों की खान आंगन का पौधा
तुलसी माता के रूप में घर-घर में पूजित तुलसी औषधीय गुणों की खान है. सर्दियों के मौसम तुलसी का काढ़ा पीना आम है. सर्दी-खांसी, जुकाम होने पर तो तुलसी माता न जाने कितने युगों से सुरक्षा देती आ रही हैं. कोरोना के शुरुआती लक्षणों में सर्दी-खांसी ही प्रमुख हैं.
ऐसे में इस तरह के लक्षणों की शुरुआत होते ही तुलसी का काढ़ा पिया जाए तो रोग का निदान होगा और गंभीर लक्षणों से बचाव होगा. इसके अलावा इसकी मंजरी गले में इंफेक्शन को दूर करती है.