नई दिल्लीः किसानों को पूर्व में दी जाने वाली दो प्रतिशत ब्याज सहायता योजना को लेकर बड़ा अपडेट है. अल्पकालिक फसल ऋण के लिए दी जाने वाली दो प्रतिशत ब्याज सहायता योजना को पिछले साल वापस ले लिया गया था.
ब्याज सहायता सुविधा बहाल करने की अपील
अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को केंद्र से किसानों के लिए दो प्रतिशत ब्याज सहायता सुविधा को बहाल करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाना जरूरी है. इस सुविधा को पिछले साल वापस ले लिया गया था.
'अब नहीं मिलेगा सब्सिडी का लाभ'
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे पत्र में ठाकरे ने कहा कि इस साल की शुरुआत में कृषि मंत्रालय और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के एक परिपत्र में कहा गया है कि अल्पकालिक फसल ऋण के लिए दो प्रतिशत ब्याज सहायता योजना को संशोधित किया गया है और बताया गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 से सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा.
उन्होंने पत्र में कहा, ‘इस (योजना को बंद करने) से सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इससे राज्य के किसानों को फसली ऋण के वितरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’
'योजना से किसानों का बड़ा जुड़ाव है'
ठाकरे ने कहा कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंकों को दो प्रतिशत ब्याज सहायता या सब्सिडी उपलब्ध कराई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ब्याज सहायता योजना सहकारी बैंकों के लिए विशेष रूप से मददगार थी, जिनका किसानों से बड़ा जुड़ाव है. मौजूदा समय में प्रदेश में सहकारी बैंक एवं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक जमा पर तीन प्रतिशत से 7.75 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज दे रहे हैं.
'केंद्र की सहायता के बिना कर्ज देना मुश्किल'
उन्होंने कहा कि इन बैंकों को रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात), एसएलआर (सांविधिक नकदी अनुपात) और अन्य वित्तीय मानकों जैसे वैधानिक भंडार को बनाए रखने की भी जरूरत है. ठाकरे ने कहा कि इन तथ्यों की वजह से राज्य में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को केंद्र सरकार से सहायता के बिना किसानों को सात प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सोमवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में चर्चा की गई. बैठक में किसानों के लिए ब्याज सहायता सुविधा बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का सर्वसम्मति से फैसला किया गया.
'ब्याज सहायता को वापस लेने के निर्णय की हो समीक्षा'
ठाकरे ने पत्र में कहा कि ब्याज सहायता को वापस लेने के निर्णय की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे राज्य के 70 लाख से अधिक किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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