प्रेग्नेंसी में हुआ COVID शिशु में खड़ा कर सकता है सांस से जुड़ी परेशानी, स्टडी में हुआ खुलासा

शोधकर्ताओं ने प्रसव से पहले और जन्म लेने के बाद वाले शिशुओं में SARS-CoV-2 के खतरे को परिभाषित किया. इसमें 14-36 हफ्तों की प्रेग्नेंसी के बीच के संक्रमण और शिशु के जन्म लेने के 28 दिनों के अंदर माताओं में SARS-CoV-2 संक्रमण शामिल है. '  

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : May 26, 2024, 08:54 PM IST
  • बच्चों को लेकर सामने आई नई स्टडी
  • इन बच्चों में हो सकता है ज्यादा खतरा
प्रेग्नेंसी में हुआ COVID शिशु में खड़ा कर सकता है सांस से जुड़ी परेशानी, स्टडी में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: हाल ही में सामने आई एक स्टडी में पाया गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड 19 की चपेट में आई महिलाओं के शिशुओं को सांस से जुड़ी परेशानी का खतरा हो सकता है. इसके अलावा उनमें सामाजिक कौशल यानी सोशल स्किल्स की कमी को जोखिम भी बढ़ सकता है. यह स्टडी ब्रिटेन के 'ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी' की ओर से की गई है, हालांकि शोध को लेकर रिसर्चर्स का कहना है कि इसके लॉन्ग टर्म रिजल्ट्स अभी अस्पष्ट हैं. 

 इमोशनल डेवलेपमेंट में भी हो सकती है देरी 
रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने प्रसव से पहले और जन्म लेने के बाद वाले शिशुओं में SARS-CoV-2 के खतरे को परिभाषित किया. इसमें 14-36 हफ्तों की प्रेग्नेंसी के बीच के संक्रमण और शिशु के जन्म लेने के 28 दिनों के अंदर माताओं में SARS-CoV-2 संक्रमण शामिल है. 'जर्नल ईक्लिनिकल मेडिसिन' में पब्लिश इस स्टडी से पता चलता है कि, जो बच्चे कोरोना के संपर्क में आए उनमें सोशल इमोशनल डेवलेपमेंट में देरी का खतरा ज्यादा था. 

बच्चों के लिए खड़ी हो सकती है मुश्किल 
रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड की चपेट में आई महिलाओं के बच्चों में सासं लेने में हो रही परेशानी ज्यादा थी. वहीं उनको देखभाल की भी ज्यादा जरूरत थी. शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चों में यह खतरा उनके लिए बाद में मुश्किल खड़ी कर सकता है. 'ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी' में नियोनेटल न्यूरोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर इला चक्रपानी ने कहा,'शिशु अवस्था में सामाजिक-भावनात्मक विकास में देरी के कारण बच्चों की क्षमता और शैक्षणिक सफलता प्रभावित हो सकती है.' 

पेरेंट्स के लिए सलाह 
बच्चों में इस जोखिम को देखते हुए शोधकर्तों ने इसकी पुष्टि करने और जोखिम को गहराई से समझने के लिए बड़ी स्टडी करने की जरूरत पर बल दिया है. वहीं इसको लेकर डॉक्टर इला ने भी पेरेंट्स को सलाह दी है कि अगर वे कोरोना की चपेट आए हों तो अपने बच्चे के फेफड़ों की कार्यक्षमता के बारे में किसी डॉक्टर से जांच जरूर करवा लें. 

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