नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए बीमा दावे को लेकर बड़ा फैसला लिया है.
कोर्ट उस केस की सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत अत्यधिक शराब पीने के कारण हो गई थी और मृतक के उत्तराधिकारी ने इसके लिए बीमा राशि का दावा किया था.
बीमा कंपनी के दावा खारिज होने के बाद मृतक के उत्तराधिकारी ने कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर अपील की थी.
कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला लेते हुए मृतक के उत्तराधिकारी की बीमा दावे की याचिका को खारिज कर दिया है और कहा है कि अत्यधिक शराब पीने से हुई मौत दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आती.
दुर्घटना के दायरे में नहीं आती शराब पीने से हुई मौत
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एमएम शांता नागौर और विनीत शरण ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि शराब पीने से हुई मौत किसी भी तरह से दुर्घटना नहीं हो सकती.
बीमा कंपनी का दायित्व सिर्फ किसी तरह की दुर्घटना में हुई मौत को लेकर मुआवजा देने का है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है, अधिक शराब पीने के कारण हुई मौत को दुर्घटना की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता.
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश के अनुसार, शराब पीने से हुई मौत को दुर्घटना की श्रेणी में नहीं लगाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के इस आदेश को बरकरार रखा है.
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साल 1997 का है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जिस मामले की सुनवाई का रहा था, वह साल 1997 का है. साल 1997 में हिमाचल के शिमला जिले में एक चौकीदार की मृत्यु हो गई थी.
चौकीदार की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण ज्यादा शराब पीना बताया गया था.
इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि शराब पीने से हुई मौत दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आती, इसलिए बीमा कंपनी का कोई दायित्व नहीं बनता कि वह इस तरह के मामलों में मुआवजा दे.
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