तो क्या दम तोड़ देगी देश की ये ऐतिहासिक विरासत?

राजस्थान के शेखावटी की मशहूर हवेलियां उपेक्षा का शिकार हो रही हैं. इन हवेलियों की खूबसूरती निहारने के लिए दुनिया भर के पर्यटक शेखावटी पहुंचते हैं. जिनसे विदेशी मुद्रा भी आती है. लेकिन देखभाल के अभाव में देश की ये ऐतिहासिक धरोहर बर्बाद हो रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 12, 2020, 06:18 PM IST
    • रख-रखाव के अभाव में दम तोड़ रही शेखावटी की हवेलियां
    • हवेलियां रख रखाव के अभाव में बर्बाद हो रही हैं
    • इन हवेलियों को देखने के लिए लगता है पर्यटकों का मेला
    • देश विदेश के पर्यटक आते हैं यहां
    • हवेलियों की बर्बादी से विरासत के साथ राजस्व का भी नुकसान
तो क्या दम तोड़ देगी देश की ये ऐतिहासिक विरासत?

झुंझुनूं: शेखावटी को ओपन आर्ट गैलेरी कहा जाता है. इसी वजह से यहां की हवेलियों की खूबसूरती को निहारने सात समंदर पार से भी पर्यटक आते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां की हवेलियां रख रखाव के अभाव में दम तोड़ती नज़र आ रही हैं.

उपेक्षा से बर्बाद हो रही विरासत
ओपन आर्ट गैलेरी का नाम आते ही ज़हन में शेखावाटी की हवेलियों की नक्काशी आंखों के पर्दों पर घूमने लगती है. निर्माण से लेकर यहां पर की गई पेंटिंग और जिस वास्तुकला का अनूठा संगम इन हवेलियों में मिलता है. उससे हर कोई इनकी तरफ आकर्षित होता है, लेकिन रख-रखाव में उपेक्षा से इसकी तस्वीर धुंधली पड़ने लगी है.

एक एक हवेली के कई कई दावेदार
हवेलियों की दशकों से सार संभाल करने वाले मंडावा के अशोक दूगड़ का कहाना है कि हवेलियों के मालिकों का जब कुनबा बढ़ा तो एक-एक हवेली के 40-40 मालिक बन गए. जिन्होंने हवेलियों की तरफ देखना तक मुनासिब नहीं समझा. सरकार ने हवेलियों के रख रखाव के लिए कोई कदम नहीं उठाये, जिससे हवेलियों का वजूद धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. साफ सफाई के अभाव और अतिक्रमण की चपेट में आने से हवेलियों की हालत खराब हो गई हैं. हवेली की पेंटिंग्स को साल में दो बार साफ करवाया जाए तो पेंटिंग सदियों तक जिंदा रह सकती है, लेकिन ना तो मालिक और ना ही सरकार इस कोई ध्यान दे रही है.

सरकार की उपेक्षा से विदेशी मुद्रा का नुकसान
विशेषज्ञ अशोक दूगड़ ने बताया कि चार महीने पहले ही उन्होंने मंडावा में एक 40 साल से बंद पड़ी हवेली को संभाला. देखा तो उसमें भी पेंटिंग्स इतनी शानदार थी कि आज वह पर्यटन के लिहाज से मंडावा की सबसे शानदार हवेली के रूप में सामने आई है.

उन्होंने कहा यहां ना केवल भारत से, बल्कि जर्मनी, फ्रांस, इटली, चाइना, इंग्लैंड और ताइवान जैसे देशों से पर्यटक आते हैं. वहीं, इन हवेलियों की वजह से ही मंडावा में अब तक दर्जनों फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, लेकिन अगर हवेलियां नहीं रहेगी तो सरकार को पर्यटकों का खामियाजा और शेखावाटी के लोगों को रोजगार का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. ये हवेलियां अगर खत्म हो गईं तो यहां के पर्यटन से मिलने वाली विदेशी मुद्रा भी आनी बंद हो जाएगी.

हजारों हवेलियों की विरासत को संभालने वाला कोई नहीं
झुंझुनूं की बात करें तो मंडावा और नवलगढ़ दो ऐसी बड़ी जगह हैं. जहां पर बड़ी संख्या में हवेलियां हैं. शेखावाटी में 2 हजार के करीब हवेलियां हैं. अकेले मंडावा में 150 से 200 हवेलियां हैं, लेकिन रख रखाव के अभाव में करीब-करीब सभी हवेलियां दम तोड़ रही हैं.

कागजों पर रह गई सरकार की योजना
करीब तीन साल पहले सरकार ने इन हवेलियों को लेकर मास्टर प्लान बनाने का वादा किया था. बैठकों के दौर भी चला था, लेकिन सारी कोशिशे सिर्फ कागज़ों में ही दफ्न होकर रह गई. सूत्रों की मानें तो झुंझुनूं के मंडावा, बिसाऊ, मुकुंदगढ़ और नवलगढ़ समेत दूसरे इलाकों में 139 हवेलियां, किले और मंदिर चिह्नित किए गए थे, जिन्हें सरकार जिंदा रखने के लिए काम करने का मान बना चुकी थी, लेकिन कागज से ये कोशिशें जमीन पर नहीं उतर पाई.

संदीप केडिया की रिपोर्ट

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