नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को अहम फैसला लेते हुए नई शिक्षा नीति पर मुहर लगा दी है. इसके साथ ही उस 34 साल पुराने शिक्षा के ढर्रे का अंत हो गया जो कि अभी तक घिसे-पिटे तरीके से चला आ रहा था. छात्र जीवन से ही कौशल, बचपन से ही तकनीकि विकास और शिक्षा को विकास का सही माध्यम बनाते हुए नई शिक्षा नीति को लागू किया गया है. इसे 21वीं सदी की शिक्षा नीति कहा जा रहा है.
हालांकि 21वीं सदी की शिक्षा नीति आते-आते भी 20 साल लग गए, लेकिन देर आये दुरुस्त आए, शिक्षा में बदलाव पर डालते हैं नजर-
अभी तक था पहली से दसवीं और फिर 10+2 फॉर्मेट
जानकारी के मुताबिक, अभी तक शिक्षा नीति 10 सालों के लंबे और दो साल के अलग फॉर्मेट में बंटी हुई थी. जहां पहले दसवीं तक की पढ़ाई में सभी कुछ शामिल था. इसके बाद ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई अलग फॉर्मेट में होती थी. यह मैट्रिक, इंटरमीडिएट व्यवस्था थी. इसमें दसवीं तक कौशल व प्रायोगिक कार्य शामिल नहीं थे.
Education is the foundation of any nation and for the last 34 years, India was in dire need of such a futuristic policy.
I express my gratitude to PM @NarendraModi & @DrRPNishank on this landmark policy decision which will play an unprecedented role in building of a #NewIndia.
— Amit Shah (@AmitShah) July 29, 2020
अब बदला गया है फॉर्मेट
10+2 बोर्ड फ़ॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है. अब नया फॉर्मट 5+3+3+4 होगा, जिसके तहत 5वीं तक प्रि-स्कूल, 6वीं से 8वीं तक मिड स्कूल, 8वीं से 11वीं तक हाई स्कूल और 12वीं से आगे ग्रेजुएशन होगा. इस फॉर्मेट को समझना जरूरी है. शुरुआती पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज होंगे. इस पांच साल के दौरान एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा.
आगे इस तरह होंगे शैक्षिक चरण
अगले तीन साल का चरण कक्षा 3 से 5 तक का होगा. इसके बाद 3 साल का मध्यम चरण आएगा. यानी इसके बाद कक्षा 6 से 8 तक का समय. अब छठी से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी. स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी. चौथा चरण (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा.
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