अब बारिश जलायेगी आपके घर के बल्ब

एक ऐसा जेनेरेटर तैयार किया गया है जो बारिश की बूंदों से आपके घर को रोशन करेगा. कमाल की बात ये है कि नई तकनीक से विकसित हो रहे इस जेनेरेटर के माध्यम से बारिश की एक बूँद सौ एलईडी बल्ब जलायेगी..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 7, 2020, 11:51 PM IST
    • हांगकांग में तैयार हुआ है ये जेनरेटर
    • एक बूंद से 140 वोल्ट ऊर्जा का उत्पादन
    • अब हो सकेगा वर्षा के जल का पूर्ण उपयोग
    • अधिकतम ऊर्जा का उत्पादन संभव
अब बारिश जलायेगी आपके घर के बल्ब

नई दिल्ली. बहुत प्रसन्नता का विषय है कि अक्षय ऊर्जा की तरफ दुनिया कदम बढ़ा रही है क्योंकि दुनिया के ऊर्जा स्रोत अक्षुण्ण नहीं हैं और अब वे धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं. बधाई भी है और धन्यवाद भी इन वैज्ञानिकों को जिन्होंने इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है.

 

हांगकांग में तैयार हुआ है ये जेनरेटर 

हांगकांग के वैज्ञानिक एक अरसे से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे अब उन्हें सफलता मिल गई है और उन्होंने ऐसा जनरेटर तैयार कर दिया है जो बारिश की एक बूंद से सौ एलईडी बल्ब जलाने की क्षमता रखता है. 

विद्युत् ऊर्जा के उत्पादन में एक नया अध्याय 

दुनिया को अब ऊर्जा के संकट से जूझना नहीं पड़ेगा. हांगकांग ने अक्षय ऊर्जा की दिशा में एक कारगर कदम बढ़ाया है. हांगकांग के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार यह विद्युत संयंत्र दुनिया के लिए बड़ी राहत वाला यंत्र साबित हो सकता है.  हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जुआनकाई वैंग ने बताया कि इस प्लांट के माध्यम से  15 सेंटीमीटर की ऊंचाई से पानी की सौ माइक्रोलीटर की एक बूंद 140 वोल्ट ऊर्जा का उत्पादन सम्भव कर सकेगी.

 

अब हो सकेगा वर्षा के जल का पूर्ण उपयोग 

उच्च क्षमता वाला यह जनरेटर एक बार में अपने प्रतिरूप के मुकाबले कई गुना अधिक ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है. अब इस जेनेरेटर के माध्यम से वर्षा के जल का पूरा इस्तेमाल हो सकेगा और दुनिया को अपनी जरूरत से भी अधिक बिजली का निर्माण करने में कामयाबी मिलेगी. अब तक विद्युत उत्पादक बांध और ऊंची जल तरंग वाले स्टेशन के माध्यम से जल ऊर्जा का उत्पादन तो हो रहा था लेकिन जल का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था, जो अब हो सकेगा.

होगा अधिकतम ऊर्जा का उत्पादन

प्रोफेसर वैंग ने बताया कि जब वर्षा के पानी की बूँदें इस जेनेर्त्र पर गिरेगी तब इसके पूरी तरह तृप्त होने तक विद्युत उत्पन्न होती रहेगी. वहीं दूसरी तरफ आम संयंत्र में इसकी क्षमता कम ही होती है. इसलिए  इस तकनीक के माध्यम से ऊर्जा का अधिक उत्पादन सम्भव हो सकेगा.

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