नई दिल्ली: कोविड-19 के बाद देश में हैंड फूट एंड माउथ डिजीज, जिसे टोमैटो फ्लू भी कहा जाता है, ने कई राज्यों में काफी डर पैदा कर दिया है. टोमैटो फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है, यह आमतौर पर हाथ-पैर और मुंह को अपना निशाना बनाता है. यह एक आम संक्रामक बीमारी है जो ज्यादातर एक से पांच साल की उम्र के बच्चों में होती है.
सबसे पहले केरल में सामने आया था इस फ्लू का मामला
प्रारंभ में, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा में टोमैटो फ्लू के मामले सामने आए. टोमैटो फ्लू की पहचान सबसे पहले 6 मई, 2022 को केरल के कोल्लम जिले में हुई थी. केरल स्वास्थ्य विभाग ने वायरल संक्रमण के प्रसार की निगरानी करने और भारत के अन्य हिस्सों में इसके प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए.
सितंबर में, असम में टोमैटो फ्लू के 100 से अधिक मामले सामने आए, जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए खतरे की घंटी है. डिब्रूगढ़ जिले के दो स्कूलों से सबसे अधिक मामले सामने आए.
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकार ने भी टोमैटो फ्लू पर एडवाइजरी जारी की थी.
कोविड के बाद स्कूलों को प्रभावित कर सकता है ये वायरस
हालांकि टोमैटो फ्लू की बीमारी को अधिक खतरा नहीं माना जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी के बाद बीमारी का प्रसार स्कूलों को फिर से प्रभावित कर सकता है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह भी कहा कि वयस्कों में इस बीमारी की संभावना कम है.
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डर्मेटोलॉजिस्ट भावुक धीर ने कहा कि यह वायरल बीमारियों के युग की ओर बढ़ने का स्पष्ट संकेत है. धीर ने मीडिया को बताया, स्पष्ट रूप से, हम कोविड-19, मंकीपॉक्स और अब टोमैटो फ्लू जैसी बीमारी के प्रकोप के साथ वायरल बीमारियों के युग की ओर बढ़ रहे है, जैसा कि अतीत में विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा भविष्यवाणी की गई थी.
धीर ने कहा, टोमैटो फ्लू कॉक्ससेकी वायरस ए16 (एक गैर-पोलियो एंटरोवायरस) के कारण होता है, जो अत्यधिक संक्रामक है और नाक, गले, तरल पदार्थ और मल-मौखिक मार्ग से स्राव के माध्यम से फैलता है. ज्यादातर मामलों में, यह एक हल्का स्व-सीमित वायरल रोग है और इसमें रिकवरी के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है. कुछ में मैनिंजाइटिस और प्रसारित संक्रमण जैसी जटिलताएं विकसित हो सकती हैं.
इस फ्लू के उपचार के लिए नहीं उपलब्ध है कोई वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टोमैटो फ्लू पर भी दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें रेखांकित किया गया कि इसका उपचार अन्य वायरल संक्रमणों के जैसे है, जिसमें आईसोलेशन, आराम, बहुत सारे तरल पदार्थ और जलन और चकत्ते से राहत के लिए गर्म पानी के स्पंज आदि है. बुखार और बदन दर्द के लिए पेरासिटामोल की सहायक चिकित्सा और अन्य रोगसूचक उपचारों की आवश्यकता होती है.
मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया है, टोमैटो फ्लू एक स्व-सीमित संक्रामक रोग है क्योंकि संकेत और लक्षण कुछ दिनों के बाद हल हो जाते हैं. टोमैटो फ्लू के उपचार या रोकथाम के लिए कोई एंटीवायरल दवाएं या टीके उपलब्ध नहीं हैं. धीर के अनुसार, टोमैटो फीवर शब्द का इस्तेमाल लाल रंग के फफोले के कारण किया गया था, जो टमाटर जैसा दिखता है. केरल में 2007 में इसी तरह का प्रकोप हुआ था.
हालांकि अब नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन इस बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका उचित स्वच्छता और आसपास के वातावरण की स्वच्छता बनाए रखना है. साथ ही संक्रमित बच्चे को अन्य गैर-संक्रमित बच्चों के साथ खिलौने, कपड़े, भोजन या अन्य सामान साझा करने से रोकना.
(इनपुट- आईएएनएस)
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