नई दिल्ली: जानकारी सामने आ रही हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलकर चीन को सबक सिखाने का खास प्लान तैयार किया है. भारत भले ही अभी खुलकर चीन के खिलाफ कुछ न बोल रहा हो. लेकिन चीन के खिलाफ दुनिया में बने चक्रव्यूह में भारत बड़ी भूमिका निभाने वाला है.
चीन और उसकी बदमाश कंपनियों को सबक
दुनिया में एक तरफ चीन और उसकी बदमाश कंपनी है, जिसमें पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया जैसे बदनाम देश शामिल हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ है पूरी दुनिया जो चीन की बदमाश कंपनी से बुरी तरह से परेशान हो चुकी है. पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया की खुराफतों का एक दायरा है. जिससे भारत या दक्षिण कोरिया जैसे देश प्रभावित होते हैं लेकिन चीन ने पूरी दुनिया को परेशान करके रखा है. इसीलिए अब दुनिया ड्रैगन के सभी पापों का हिसाब करने के लिए एक जुट हो रही है.
हम आपको बताते हैं कि चीन के खिलाफ दुनिया में कौन सा मजबूत गठबंधन बन चुका है. लेकिन सबसे पहले आपका यहां ये जानना आवश्यक है कि चीन के किन किन पापों का हिसाब करने के लिए दुनिया के 7 देशों से बड़ा गठबंधन बना लिया है.
दुनिया करेगी ड्रैगन के पाप का हिसाब
- कोरोना का हिसाब
- दादागीरी का जवाब
- आर्थिक बर्बादी
चीन से पहला हिसाब कोरोना को लेकर मांगा जाएगा. क्योंकि उनसे दुनिया को महामारी की महामुसीबत में डाल दिया. चीन से दूसरा जवाब उनकी विस्तारवादी नीति और छोटे देशों पर दादागीरी पर मांगा जाएगा. जो साउथ चाइना सी से लेकर लगभग हर पड़ोसी देश के साथ तनातनी के बीच नजर आती रहती है. चीन दुनिया की आर्थिक ताकत बनने के लिए दुनिया की बडी अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद करने की कोशिश में लगा है. चीन को इसका हिसाब भी देना होगा.
चीन के खिलाफ सबसे मजबूत गठबंधन
अब बताते हैं कि चीन के खिलाफ बने उस गठबंधन की जो ड्रैगन के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा कूटनीतिक गठबंधन बनने की ओर बढ़ रहा है.
- अमेरिका
- इंडिया
- ऑस्ट्रेलिया
- जापान
- इज़रायल
- साउथ कोरिया
- ब्राजील
चीन से बुरी तरह परेशान अमेरिका इस गठबंधन की अगुवाई कर रहा है. अमेरिका के अलावा इस गठबंधन भारत अहम रोल अदा करेगा. ऑस्ट्रेलिया भी खुलकर चीन के कोरोना कांड पर सवाल खड़ा कर चुका है. जापान और चीन की दुश्मनी पुरानी है, इज़रायल भी अमेरिका का बड़ा साझीदार है. नॉर्थ कोरिया की मदद करने वाले साउथ कोरिया की चीन से नहीं बनती और दुनिया का प्रमुख विकासशील देश ब्राजील भी अब चीन के खिलाफ गठबंधन में शामिल है.
ये सभी देश मिलकर चीन को कड़ा संदेश दे रहे हैं कि उनके सभी पापों का हिसाब किया जाएगा और अब चीन के खिलाफ दुनिया एक जुट हो चुकी है. ये संदेश चीन को एक मीटिंग के जरिए दिया गया.
ड्रैगन के खिलाफ 7 देशों का चक्रव्यूह
सात देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक अमेरिका अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुलाई थी. बैठक में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, इजरायल और ब्राजील के विदेश मंत्री शामिल हुए. बैठक में कोविड-19 को लेकर अधिक से अधिक पारदर्शिता बरतने का मुद्दा उठा. सेहत से जुड़े संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम करने की बात हुई.
अमेरिका के अलावा जापान और आस्ट्रेलिया ने चीन पर सवाल खड़े किए. 7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से चीन को बड़ा संदेश दिया.
इस बैठक को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से चीन पर लगातार निशाना साधने की रणनीति के अगले चरण के तौर पर समझा जा रहा है. दुनिया में इस बात पर सहमति बन चुकी है कि चीन ने कोरोना से आया, कोरोना को चीन ने छिपाया और WHO पर दबाव डालकर अपना पक्ष मजबूत किया. विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले वक्त में चीन के खिलाफ ऐसी मुहिम और तेज होने होगी.
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जिस तरह की भावनाएं चीन के खिलाफ पूरी दुनिया में बन चुकी हैं. इस मीटिंग को चीन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की शुरूआत कहा जा रहा है. 7 देशों की इस मुहिम से अभी दुनिया में और बड़ी महाशक्तियां जुड़ जाएंगी. क्योंकि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी कोरोना से तबाही और बर्बादी का जिम्मेदार चीन को ही मानते हैं.
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