नई दिल्ली. भारत चीन के बीच बातचीत आज होगी. लेकिन इसके लिए चीन ने पहले से ही तैयारी शुरु कर दी है. सीमा विवाद पर आज शनिवार 06 जून को होने वाली है शान्ति-वार्ता और चीन की बेचैनी कल से ही दिखाई देने लगी थी. चीन ने लगातार दूसरे दिन अपनी सीमा क्षेत्र के भीतर अपने जंगी जहाज़ों को तो उड़ाया ही साथ ही अपनी सेना में अचानक एक बड़ा परिवर्तन भी किया है. इस परिवर्तन की वजह शक पैदा कर रही है और दुश्मन फ़ौज के भीतर उठाया गया ये कदम कई शंकाओं को जन्म दे रहा है.
हुई नए कमांडर की नियुक्ति
लद्दाख सीमा पर सैन्य-गतिरोध के समाधान की दिशा में आज शनिवार 7 जून को वरिष्ठ भारतीय और चीनी सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है. इस प्रतीक्षित बैठक के पूर्व चीनी सेना में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया है. सीमा पर चीन की तरफ से चौकसी रखने वाले वेस्टर्न थिएटर कमांड के सैन्य कमांडर को बदल दिया गया है.
आधिकारिक वेबसाइट पर की घोषणा
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अर्थात चीनी फ़ौज की वेस्टर्न थियेटर कमांड ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस विषय से संबंधित यह अहम घोषणा की जिससे यह बात सामने आई. इस घोषणा के अनुसार चीनी लेफ्टिनेंट जनरल ज़ू किलंग को अब लद्दाख बॉर्डर पर चीनी सेना का नया कमांडर नियुक्त किया गया है. यह नया लेफ्टिनेंट जनरल इसके पहले ईस्टर्न थियेटर कमांड में सेवायें दे चुका है.
क्या है ये वेस्टर्न थिएटर कमांड
वेस्टर्न थिएटर कमांड क्या है और इसकी अहमियत इतनी क्यों है कि ऐन वार्ता के पूर्व यहां के कमांडर को बदल दिया गया है, यह जानना महत्वपूर्ण है. दरअसल लद्दाख सीमा पर पीएलए अर्थात चीन की आर्मी की जो बटालियन भारत के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर से निगरानी का कार्य करती है, उसे ही वेस्टर्न थियेटर कमांड का नाम दिया गया है.
कौन है वेस्टर्न थिएटर कमांड का मुखिया
लद्दाख में 3488 किलोमीटर लम्बी भारत और चीन की सीमा रेखा पर निगरानी की जिम्मेदारी चीन की सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड को दी गई है जिसका नेतृत्व जनरल झाओ ज़ोंग्की के हाथ में हैं. दूसरे शब्दों में जनरल झाओ ज़ोंग्की चीनी सेना की वेस्टर्न थिएटर कमांड का इंचार्ज अर्थात सर्वोच्च सेनापति है जो चीनी आर्मी, एयरफोर्स और राकेट फाॅर्स का हेड है. उसको जनवरी में वेस्टर्न थिएटर कमांड का नेतृत्व दिया गया था अर्थात भारत पर या तो अपने विशेष प्रयोजनों के लिए सैन्य दबाव की पहले से कोई चीनी योजना नहीं बनी थी या फिर इसकी योजना जनवरी 2020 में ही तैयार कर ली गई थी.
झाओ & किलंग को मिली है लद्दाख सीमा की कमान
आज लद्दाख में सैन्य-तनाव की स्थिति में यह प्रश्न सार्थक भी है और भावी घटनाओं का मार्गदर्शक भी कि - क्यों ईस्टर्न थिएटर कमांड के दोनों सर्वोच्च सैन्य-अधिकारियों को वेस्टर्न थिएटर कमांड की जिम्मेदारी दी गई है? लद्दाख सीमा क्षेत्र चीन के पश्चिमी हिस्से में है इसलिए यहां नियुक्त की गई सेना को वेस्टर्न थिएटर कमांड का नाम दिया गया है. यहां का सर्वोच्च सैन्य अधिकारी जनरल झाओ जोंग्की है और भेजा गया नया लेफ्टिनेंट कमांडर ज़ू किलंग है - ये दोनों ही ईस्टर्न थिएटर कमांड के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी रहे हैं. अपनी ईस्टर्न सीमा की तरफ चीन के कई शत्रु-राष्ट्र हैं जिनमें जापान, हांगकांग, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे नाम गिनाये जा सकते हैं. ज़ाहिर है ईस्टर्न थिएटर कमांड पर चीन ने अपने चुने हुए सैनिक अधिकारियों को नियुक्त किया था. अब उनको वेस्टर्न थिएटर कमांड पर लाया जाना ज़ाहिर करता है कि चीन वेस्टर्न बॉर्डर पर आक्रामक होने का मूड बना चुका है जिसका एक अर्थ भारत पर दबाव बनाने के रूप में तो दूसरा अर्थ युद्ध की आशंका के रूप में देखा जा सकता है.
डोकलाम में भी था झाओ जोंग्की
वर्ष 2017 में सत्तर दिनों तक चले भूटान के डोकलाम पठार क्षेत्र के भारत-चीन सैन्य तनाव के दौरान चीन की तरफ से जनरल झाओ ही तैनात था. उस समय के सैन्य तनाव का परिणाम भले ही चीन के पक्ष में न गया हो, किन्तु भारतीय सेना के तेवर और उसकी आक्रामकता की समझ का अनुभव झाओ को अच्छी तरह हो गया था. इसी कारण इस अनुभव की योग्यता को ध्यान में रख कर उसे अब लद्दाख क्षेत्र में वेस्टर्न कमांड की कमान दे कर इस साल जनवरी से पदस्थ कर दिया गया है.
क्यों बदला गया पुराने कमांडर को
बदलाव का कारण साफ़ है जैसा कि हमने यहां ऊपर स्पष्ट किया है. चीन ने युद्ध के आक्रामक तेवर अपनाते हुए किया है यह बदलाव और अपने आक्रामक और अनुभवी सेनाधिकारियों को यहां लाया गया है जो कि चीन की जंगी तैयारी की भूमिका को स्पष्ट करता है.
कौन है नया लेफ्टीनेन्ट जनरल ज़ू किलंग
नया वेस्टर्न थियेटर कमांडर लेफ्टीनेन्ट जनरल ज़ू किलंग चीनी सेना के ईस्टर्न विंग में कमान्डर था और जनरल झाओ ज़ोंग्की के निर्देशन में ईस्टर्न थियेटर कमान्ड का सेनापति था. ईस्टर्न कमांड पर पर झाओ और ज़ू की अच्छी जुगलबंदी देखी गई अर्थात अपने ईस्टर्न साइड पर स्थित शत्रु राष्ट्रों के विरुद्ध उनकी आक्रामक योग्यता को महत्व दे कर दोनों ही सर्वोच्च सेनाधिकारियों को वेस्टर्न साइड में लाया गया है.
बदलाव का संकेत - युद्ध की तैयारी या युद्ध की शुरुआत?
चीन का अपने चार-चार युद्धक विमानों को बॉर्डर के करीब तैनात करना, अपनी तोपों और सैन्य साजो सामान को सीमा के करीब लाना और अपने सैनिकों की संख्या और सीमा के निकट ढेर सारे सैन्य शिविर तैयार करना - ये सभी सामान्य स्थिति के संकेत नहीं है. भारतीय सेना के पूर्व सेनाधिकारियों के नज़रिये से ऐसी स्थिति उन्होंने पिछले सत्तर सालों में भारतीय सीमा पर नहीं देखी. ऐसे में इन दो सेनाधिकारियों को यहां लाना ज़ाहिर करता है कि चीन वास्तव में युद्ध की तैयारी कर रहा है और यह तैयारी आने वाले दिनों में युद्ध की शुरुआत में बदल सकती है.
झाओ और ज़ू को समझ है दुश्मनों की
एक वक्त था चीन का अपने अठारह पड़ौसी देशों से सीमा विवाद हुआ करता था. अब यद्यपि हालात पूर्ववत नहीं हैं किन्तु कुछ को छोड़ कर उसके अपने किसी भी पड़ौसी से संबन्ध अच्छे नहीं हैं. ईस्टर्न बॉर्डर देखें तो उसके घोषित शत्रु राष्ट्र एक पंक्ति में नज़र आते हैं. जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, हांगकांग, फिलिप्पींस, विएतनाम जैसे चीन के दुश्मन देशों के सामने वहां पर छटे हुए सैन्य-अधिकारियों को तैनात किया गया था. ऐसे में ईस्टर्न क्षेत्र में नियुक्त चीनी सेना के अधिकारियों को दुश्मनों की और दुश्मनी की अच्छी समझ विकसित हो जाना स्वाभाविक है. अब उन्हीं सेनाधिकारियों को यदि वेस्टर्न साइड में भारतीय लद्दाख सीमा पर लाया जा रहा है तो यह सामान्य बात नहीं लगती. झाओ जोंग्की को पांच माह पूर्व लाया गया था और ज़ू को लाया गया है अब, छह जून को.
ईस्टर्न & वेस्टर्न कमान्ड के सेनाधिकारियों की अदलाबदली
जनरल झाओ वेस्टर्न कमांड का इनचार्ज है तो जनरल हे वीडंग ईस्टर्न कमान्ड का इनचार्ज है. हे वीडंग पहले वेस्टर्न कमान्ड में कमान्डर था. जनवरी 2020 में उसका प्रमोशन हुआ तो उसको ईस्टर्न थियेटर कमांड का चीफ बना दिया गया. ज़ू किलंग ईस्टर्न थियेटर कमांड में कमांडर था, उसको वेस्टर्न कमांड में कमांडर बनाया गया है किन्तु ध्यान देने वाली बात ये है कि उसकी वेस्टर्न थियेटर कमांड में नियुक्ति की घोषणा 1 जून को ही कर दी गई थी.
किलंग को लाने के दो ही प्रयोजन संभव हैं
लेफ्टीनेन्ट जनरल लेवल की मीटिंग आज सात जून को होनी है और संभावित तौर पर इस वार्ता में अब ज़ू किलंग चीनी सेना का प्रतिनिधित्व करने जा रहा है. जाहिर है कि ज़ू किलंग को पांच दिन पहले ही इस मीटिंग के लिये तैयार किया जा रहा था. उस समय भी सैन्य तनाव उतना ही था जितना आज है, इसलिये इस वार्ता के लिये अचानक किलंग को लाकर तैयार करने के दो ही कारण हो सकते हैं - एक तो चीनी सेना का प्रतिनिधि बन कर मीटिंग का जिम्मा निभाने का मन्तव्य या दूसरा कारण युद्ध की स्थिति में चीनी सेना को कमांड करने का प्रयोजन हो सकता है.
लेफ्टीनेन्ट स्तर की मीटिंग में ज़ू किलंग की उपयोगिता
जिस तरह से अब तक भारत के साथ चीन की सभी सैनिक स्तर की वार्तायें विफल रही हैं उससे यही लगता है कि चीन या तो सैनिक स्तर की बातचीत में कोई समाधान खोजना ही नहीं चाहता, वह कूटनीतिक स्तर पर वार्ता की प्रतीक्षा कर रहा है और अभी सैन्य- वार्ता के औपचारिक सोपानों को पार करने की खानापूर्ति ही कर रहा है. दूसरा विकल्प यह है कि यदि चीन सैन्य-स्तर पर वार्ता में समाधान ढूंढने की अपेक्षा कर रहा है तो वह सर्वोच्च स्तर पर ही सैन्य वार्ता को तरजीह दे रहा है क्योंंकि इसी वजह से अब तक निचले स्तर की सभी सैन्य वार्तायें विफल रही हैं. ऐसी स्थिति में लेफ्टीनेन्ट स्तर की वार्ता में ज़ू किलंग से भी उसे कोई अपेक्षा नहीं होगी, चीन अपने वेस्टर्न थियेटर कमांड इन्चार्ज जनरल झाओ ज़ोंग्की से ही भारत के अपने समवर्ती अधिकारी के साथ वार्ता में किसी समाधान की आशा कर रहा हो सकता है. इन दोनो ही विकल्पों पर विचार करके लेफ्टीनेन्ट ज़ू किलंग की नियुक्ति का इस वार्ता हेतु कोई उपादेयता नहीं दिख रही है.
युद्ध की स्थिति में जू किलंग की आवश्यकता
वार्ता के प्रयोजन में लेफ्टीनेन्ट ज़ू किलंग की उपयोगिता बिलकुल नहीं दिखती और ऐसे में अब उसकी नियुक्ति का शेष एक ही प्रयोजन दर्शित होता है - युद्ध की स्थिति में वेस्टर्न थियेटर कमांड के सेनापति की भूमिका का निर्वाह करना. इस भवितव्यता की संभावना ही अधिक है क्योंकि यही एकमेव विकल्प किलंग की नियुक्ति के मन्तव्य के रूप में बचता है.
युद्ध की आशंका अधिक लगती है
लेफ्टीनेन्ट ज़ू किलंग को बुला कर नियुक्त करने का इस तरह से सीधा अर्थ है कि युद्ध होने की आशंका अधिक है. कारण यह है कि युद्ध नहीं करने की मन्शा यदि चीन की होती तो लड़ाकू लेफ्टीनेन्ट ज़ू किलंग को बुलाने की जरूरत नहीं होती. लेफ्टीनेन्ट ज़ू किलंग दुनिया का इतना बड़ा और माना हुआ चीनी सेना का कमांडर तो है नहीं कि उसके आ जाने से भारतीय सेना पर दबाव बनाया जा सके. किलंग को बुलाने का एक ही कारण दिखता है कि युद्ध में पीएलए को बेहतर कमांडर और बेहतर आक्रामकता मिल सके.
तो क्या इसका अर्थ ये लगाया जाये कि आने वाले दिनों में इस सीमा पर युद्ध शुरू होने जा रहा है?
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