नई दिल्ली. एनडीएए है राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम जिस पर अमेरिकी संसद ने संशोधन बिल पास किया है. इस बिल के अंतर्गत भारत की सीमा पर गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता का विरोध किया गया है साथ ही दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित स्थलों और उनके चारों तरफ चीन के बढ़ते विस्तारवाद को भी निशाना बनाया गया है.
तीन संदेश दिये हैं एनडीएए बिल ने
अमेरिकी संसद में एनडीएए बिल पास करना चीन के लिये खतरे का एक और बिगुल है. इसमें सीधी तौर पर तीन संदेश हैं. पहला संदेश है चीन के लिये कि अब चीन का सीधा और जमीनी विरोध होगा. दूसरा संदेश है भारत के लिये कि अमेरिका चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है जिसमें वैसे भी कोई संदेह नहीं है. तीसरा वैश्विक संदेश है जो दुनिया के हर उस देश को सुरक्षा का आश्वासन देता है जो चीन जैसे किसी विस्तारवादी देश का शिकार बना है या बन सकता है.
भारतीय क्षेत्र पर कब्जे की थी चीनी मंशा
एनडीएए बिल को सर्वसम्मति से अमेरिकी संसद में पास करते समय स्पष्ट किया गया कि अमेरिका चीन के विस्तारवाद के विरोध में इस बिल को पास कर रहा है और इसका हालिया मुजाहिरा चीन ने भारत के खिलाफ किया है जहां चीन कोरोना के बहाने भारतीय क्षेत्र पर अतिक्रमण करने की मंशा रखता था.
चीन के विस्तारवाद पर चिन्ता
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने चीन के विस्तारवादी व्यवहार पर गहरी चिन्ता जताई और कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), दक्षिण चीन सागर, सेनकाकु द्वीप के जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन के द्वारा किया जाने वाला अतिक्रमण शोचनीय है. एनडीएए संशोधन बिल को पास करके अमेरिका ने भारतीय गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की खूनी झड़प और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण की कोशिशों की मुखर निन्दा की है.
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