नई दिल्ली: हाल फिलहाल तक अगर आप किसी विवादित वैज्ञानिक विषय जैसे कि मूल कोशिका अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के बारे में और अधिक जानना चाहते थे तो आप संभवत: गूगल पर सर्च करते. गूगल पर कई स्रोत मिलने के बाद आप जो पढ़ना चाहते या जिस वेबसाइट पर पढ़ना चाहते हैं वह चुनते हैं. अब आपके पास एक और विकल्प है : आप चैटजीपीटी या विभिन्न प्रकार की सामग्री उत्पन्न करने वाले कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) मंच पर अपना सवाल पूछ सकते हो और आपको फौरन पैराग्राफ रूप में संक्षिप्त जवाब मिलता है.
चैटजीपीटी में पाई गई खामिया
चैटजीपीटी इंटरनेट पर उस तरीके से सर्च नहीं करता है जैसा कि गूगल करता है. इसके बजाय, यह ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी के विशाल मिश्रण से संभावित शब्द संयोजन से सवालों का जवाब देता है. इसमें उत्पादकता बढ़ाने की क्षमता है लेकिन विभिन्न प्रकार की सामग्री, डेटा, तस्वीरें उत्पन्न करने वाली कृत्रिम बुद्धिमता में कुछ बड़ी खामियां भी पायी गयी है. यह ‘‘भ्रम’’ भी पैदा कर सकता है और यह सवालों का हमेशा सटीक जवाब नहीं देता है. उदाहरण के लिए जब यह पूछा गया कि क्या एक कार और टैंक एक दरवाजे से गुजर सकते हैं तो यह दोनों की चौड़ाई और ऊंचाई पर गौर करने में नाकाम रहा.
फिर भी इसका इस्तेमाल लेख या वेबसाइट के लिए सामग्री जुटाने में किया जा रहा है जो कि आपने देखे होंगे या इसका इस्तेमाल लेखन प्रक्रिया के एक औजार के रूप में किया जा रहा है. ‘साइंस डिनायल : व्हाय इट हैप्पन्स एंड व्हाट टू डू अबाउट इट’ के लेखकों के रूप में हम इसे लेकर बहुत चिंतित हैं कि कैसे विभिन्न प्रकार की सामग्री उत्पन्न करने वाली कृत्रिम बुद्धिमता प्रौद्योगिकी, आधिकारिक वैज्ञानिक जानकारी मांग रहे लोगों के लिए सच और कल्पना के बीच की सीमाओं को धुंधला कर सकती है. प्रत्येक मीडिया उपभोक्ता को जो भी वह पढ़ रहे हैं उसमें वैज्ञानिक सटीकता की पुष्टि करने की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है. वैज्ञानिक सूचना के सभी उपभोक्ता वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञों के फैसलों पर निर्भर करते हैं.
चैटजीपीटी पर उठे सवाल
ज्ञानात्मक विश्वास दूसरों से मिलने वाले ज्ञान पर भरोसा करने की प्रक्रिया है. यह वैज्ञानिक सूचना के इस्तेमाल के लिए जरूरी है. हमारे अपने सर्च में जब हमने चैटजीपीटी से एक ही सवाल के कई उत्तर देने के लिए कहा तो हमें कई विरोधाभासी जवाब मिले. यह पूछने पर कि ऐसा क्यों, उसने जवाब दिया, ‘‘कई बार मैं गलतियां करता हूं.’’ कृत्रिम बुद्धिमता से मिली सूचना के संबंध में संभवत: सबसे जटिल मुद्दा यह जानना है कि वह कब गलत है. चैटजीपीटी अपने उत्तरों में कोई स्रोत नहीं देता है या अगर मैं स्रोत देने के लिए कहता हूं तो खुद से बनाया स्रोत दे सकता है. उसकी एक और समस्या पुराना ज्ञान है. चैटजीपीटी यह नहीं जानता कि उसका प्रशिक्षण खत्म होने के बाद दुनिया में क्या हुआ. दुनिया में कोविड-19 की दर पर सवाल पूछने पर उसने सितंबर 2021 तक की जानकारी दी. कुछ क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहे ज्ञान को देखते हुए इस सीमा से पाठकों को गलत पुरानी जानकारी मिल सकती है. आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप चैटजीपीटी या अन्य एआई मंचों का इस्तेमाल करते हैं तो हो सकता है कि वे पूरी तरह सटीक न हो. सटीकता का पता लगाने का बोझ उपयोगकर्ता पर पड़ता है. सतर्कता बढ़ाएं. जल्द ही एआई फैक्ट चेक ऐप उपलब्ध हो सकता है लेकिन अभी के लिए उपयोगकर्ताओं को खुद ही तथ्यों की सटीकता का पता लगाना होगा. कुछ कदमों की हम सिफारिश करते हैं. पहला : सतर्क रहें. लोग अक्सर सर्च करने से मिली सूचना का आकलन किए बिना ही उन्हें सोशल मीडिया पर साझा करते हैं. अपने फैक्ट-चेक में सुधार लाएं.
दूसरा कदम पार्श्व पाठन है ऐसी प्रक्रिया जिसे पेशेवर फैक्ट चेकर इस्तेमाल करते हैं. सबूत का मूल्यांकन करें. सबूत और दावे से उसके संबंध पर गौर करिए. क्या ऐसे सबूत हैं कि आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं? क्या ऐसे सबूत हैं कि ये सुरक्षित नहीं है? वैज्ञानिक आम सहमति क्या है? अपने तथा दूसरों के जीवन में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें. अपनी खुद की डिजिटल साक्षरता में सुधार लाएं और अगर आप कोई अभिभावक, शिक्षक, मार्गदर्शक या समुदाय नेता हैं तो दूसरों में भी डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें. अगर आप विभिन्न प्रकार की सामग्री पैदा करने वाली एआई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो भी इसकी संभावना है कि आप जो लेख पढ़ चुके हैं वे उससे उत्पन्न हुए हो. विज्ञान के बारे में ऑनलाइन उपलब्ध विश्वसनीय सूचना का पता लगाने और उसके मूल्यांकन में वक्त लग सकता है लेकिन यह फायदेमंद होगा. द कन्वरसेशन
इनपुट-भाषा
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