नई दिल्ली. भारत के लिए ये झटका हो सकता है पर ये चीन की आदत है. इसलिए भारत को चाहिए कि वह चीन को लेकर अनपेक्षित आशंकाओं की आदत डाल ले. चीन किसी भी तरह भारत के व्यावसायिक दबाव में नहीं और वह हमेशा पकिस्तान के साथ रहा है और आगे भी रहेगा.
यूएन में 12 दिसम्बर का पाकिस्तानी खत
इस कोशिश के मद्देनज़र इस महीने की 12 तारीख को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सुरक्षा परिषद को लिखे एक खत में उपमहाद्वीप बढ़ते तनाव पर चिंता जताई थी जिस पर कार्यवाही करते हुए आज सुरक्षा परिषद में चीन के अनुरोध पर यूनाइटेड नेशंस में संयुक्त सुरक्षा परिषद कश्मीर मुद्दे पर चर्चा कर सकता है.
कश्मीर मामले पर यूएन में दिया पाकिस्तान का साथ
हाल ही में हुए कुछ अनतर्राष्ट्रीय घटनाओं को ध्यान में रख कर भारत चीन से मैत्रीपूर्ण उम्मीद कर रहा था. किन्तु उसके विपरीत अहम अंतर्राष्ट्रीय मंच यूनाइटेड नेशंस में कश्मीर पर चीन ने भारत का साथ नहीं दिया बल्कि वो हमेशा की तरह भारत के शत्रु देश पाकिस्तान के साथ खड़ा नज़र आया.
चीन के यूएन मिशन ने की कश्मीर पर चर्चा की मांग
चीन के यूएन मिशन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों को लिखे अपने सन्देश में कहा कि दक्षिण एशियाई तनातनी को देखते हुए चीन को आशंका है कि तनाव बढ़ सकता है इसलिए वह पाकिस्तान के अनुरोध का समर्थन करता है और सुरक्षा परिषद के सामने जम्मू-कश्मीर के हालात पर चर्चा कराने की मांग करता है.
चीन लगातार दे रहा है पाकिस्तान का साथ
यह पहली बार नहीं होगा. इसके पहले भी इसी साल अगस्त के महीने में जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने का निर्णय लिया था तब से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश में लग गया था. यूनाइटेड नेशंस में उसकी इस मांग पर उसे अपने बड़े भाई चीन का साथ मिला है. और अगस्त में भी भी चीन की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत के कश्मीर मामले पर बंद कमरे की बैठक बुलाई थी.