'धोखे' का दूसरा नाम चीन! धोखेबाजी के 4 पुख्ता सबूत

ये बिल्कुल सच है कि धोखे का दूसरा नाम चीन है. ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, चीन की करतूत ही उसके धोखेबाजी चरित्र पर मुहर लगाती है. इस रिपोर्ट में आप 4 पुख्ता सबूत खुद देख सकते हैं..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 17, 2020, 11:42 PM IST
    • धोखेबाज चीन की आदत और फितरत है फरेब और धोखा
    • इन 4 अहम सबूतों के जरिए समझिए चीन का दोहरा चरित्र
    • चमगादड़ चीन की चालबाजी से दुनिया को करता है परेशान
'धोखे' का दूसरा नाम चीन! धोखेबाजी के 4 पुख्ता सबूत

नई दिल्ली: चीन के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए भारत बार-बार हर मुमकिन कोशिश करता रहा है. चीन के राष्ट्रपति जिंगपिंग दो बार भारत आए और हिंदुस्तान ने दिल खोल कर उनका स्वागत किया दोस्ती का हाथ बढ़ाया. लेकिन चीन ने बात तो भाईचारे की, लेकिन दिया धोखा.

'धोखे' का दूसरा नाम चीन: 4 अहम सबूत

LAC पर सड़क छाप गुंडों वाली चीनी सेना ने जिस करतूत को अंजाम दिया, वो माफी के काबिल नहीं है. ये पहला मौका नहीं है जब चीन ने भारत को धोखा दिया है. चीन को भारत की जनता की भावनाओं और संवेदनाओं की कोई फिक्र नहीं है. जबकि भारत ने साल 1947 के बाद से ही चीन की तरफ लगातार दोस्ती का हाथ बढ़ाया. लेकिन चीन की तरफ से भारत को सिर्फ और सिर्फ धोखा ही मिला. आपको इस बात के 4 सबूतों को देखना चाहिए, उनसे रूबरू होना चाहिए, जो चीन के धोखेबाजी चरित्र को साबित करती है.

सबूत नंबर 1). पहले समझौता किया, फिर LAC पर धोखा

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास भारतीय सैनिकों से चीनी गुंड़े जानबूझकर उलझ गए. झड़प हुई और 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए. इस झड़प में चीन के भी करीब 40 सैनिक मारे गए हैं. यानी एक के बदले दो को भारतीय सेना ने मिट्टी में मिला दिया. लेकिन आपको यहां ये समझने की जरूरत है कि ये चीन का धोखा चरित्र का पहला सबूत कैसे है.

लद्दाख की घटना इसकी गवाह है. चीन ने एक बार फिर भारत की पीठ में छुरा घोंपा है. शी जिनपिंग भारत आते हैं, अहमदाबाद में सैर करते हैं. दोस्ती की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. और चीनी सैनिक सीमा पर दोस्ती की जगह दुश्मनी निभाते हैं. इस दोहरेचरित्र से चीन के धोखे को समझना आसान हो जाता है.

सबूत नंबर 2). 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की आड़ में 62 की जंग

हर बार भारत चीन की चालबाजी पर भरोसा करता है. उससे दोस्ती निभाने की भरपूर कोशिश करता है. लेकिन चीन के गुड़े सैनिकों की फितरत ही बवाल और जंग करने की होती है. तभी तो जहां एक तरफ भारत ने साल 1954 में पंचशील संधि के जरिए दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की. पंडित नेहरू ने 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा दिया तो वहीं चीन ने इस प्रेम और विश्वास के बदले धोखा दिया.

साल 1962 की लड़ाई कभी नहीं भूलने वाला है. क्योंकि, उस वक्त चीन ने भारत पर अचानक से हमला कर दिया था. यहां तक कि उस जंग में चीन के करीब 80 हजार सैनिकों के सामने भारत के सिर्फ 10 से 12 हजार सैनिक थे. ना ही उस वक्त भारत युद्ध के लिए तैयार था और ना ही भारत को इस बात का अंदाजा था कि चीन उसे इस तरह धोखा देगा.

58 साल पहले का वो विश्वासघात, जब चीन ने 'पीठ में छुरा घोंपा था'

सबूत नंबर 3). आतंक के खिलाफ चीन ने भारत का भरोसा तोड़ा

वैसे तो दोस्ती और भरोसे के लायक चीन बिल्कुल भी नहीं है. लेकिन फिर भी साल 2009 में भारत ने एक बार फिर उस पर भरोसा दिखाया. भारत ने आतंकी मसूद अज़हर पर पाबंदी के लिए चीन का समर्थन मांगा. कहने को तो चीन कहता रखा कि वो भी आतंकवाद के खिलाफ है. लेकिन फिर वहीं दोहराचरित्र अपना कर चीन को अपने गधे व्यापारी 'पापिस्तान' पर प्यार उमड़ पड़ा.

चीन ने साल 2009 में भी भारत को धोखा दे दिया. चीन ने पाकिस्तान को बचाने के लिए मसूद पर पाबंदी का प्रस्ताव खारिज करवाया. ड्रैगन की रग-रग में धोखा और चालबाजी है.

सबूत नंबर 4). साल 2017 में फिर चीन ने डोकलाम में की गु्स्ताखी

भारत हर बार चीन पर भरोसा करता है. साल 2017 में इससे पहले भारत-चीन के बीच काफी तनाव बढ़ा था. इसके पीछे की वजह भी चीन का धोखा ही था. दरअसल, उस वक्त चीन ने कहा था कि वो एलएसी का सम्मान करेगा. लेकिन उसने धोखा दे दिया.

ड्रैगन ने धोखेबाजी करते हुए साल 2017 में सीमा पर तनाव बढ़ा दिया था. डोकलाम में चीन सैनिकों ने की घुसपैठ की कोशिश की. जिसके चलते करीब 73 दिन तनाव रहा.

जब चीन ने पंडित नेहरू को बनाया धोखे का शिकार

ये बात करीब 70 वर्षों पुरानी है, जब साल 1950 में ही देश के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उसी वक्त चीन के धोखेबाजी को लेकर उस वक्त के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सचेत रहने की सलाह दी थी. लेकिन नेहरू को चीन ने अपने झांसे में इस कदर फंसा दिया था कि उन्होंने ड्रैगन पर आंख बंद कर भरोसा कर लिया. लेकिन हुआ वही धोखा, जिसका कबूलनामा 8 नवंबर 1962 को संसद में किया. उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी कि चीन पर इतना भरोसा करने लायक नहीं है.

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और भी कई धोखे हैं जिसे चीन ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया है. धोखेबाज़ चीन का 'पक्का इलाज़' जरूर होगा. चीन ने भारत की दोस्ती का जवाब दगाबाजी से दिया है. लेकिन ये नया भारत है जो चीन के हर विश्वासघात का पूरा हिसाब करेगा. ऐसे में चीन के हर को धोखे को भारत कभी नहीं भूलेगा. चीन को करारा जवाब मिलेगा.

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