मुसलमानों से ज्यादा ईसाई विरोधी है चीन

मूल रूप से पूंजीवादी चीन में मुसलमानों पर अत्याचार पुरानी ख़बर है जो बहरे कानों के लिए हमेशा एक खुला राज़ था. ज्यादा बड़ी खबर तो अब निकल कर आई है कि चीन में ईसाईयों पर अत्याचार कहीं ज्यादा होता है..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Jul 24, 2020, 07:46 PM IST
    • चीन विरोध से मुस्लिम प्रताड़ना आई सामने
    • ईसाईयों की संख्या ज्यादा है चीन में
    • ईसाईयों से नफरत यहां पुरानी खबर है
    • ईसाई प्रताड़ना बौद्धों से ज्यादा हुई है
मुसलमानों से ज्यादा ईसाई विरोधी है चीन

नई दिल्ली.   पिछले काफी समय से लोग अख़बारों में पढ़ा करते थे कि चीन में मुस्लिम्स को प्रताड़ित किया जा रहा है और दस लाख उइगर मुसलमानों को शिनच्यांग के प्रशिक्षण शिविरों में कैद किया हुआ है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार चाहती है कि इन उइगर मुसलमानों को दुनिया चीनी मुसलामानों के रूप में जाने इसलिए यहां इनके नाम तक चीनी भाषा में रखे जा रहे हैं.  पाखंडी चीन मुसलमानो से अधिक ईसाईयों को उनकी धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित करने का प्रयास कर रहा है.

 

चीन विरोध से मुस्लिम प्रताड़ना आई सामने

चीन के शिनच्यांग में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है, यहां के उइगर मुसलमानों के नाम चीनी भाषा में होते हैं, वे कुरआन की आयतें नहीं बोल सकते और उनको मस्जिदों में भीड़ लगाकर नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं है. इनको रमजान के समय इफ्तार पार्टियां करने की मनाही है. चीन की ख़ुफ़िया एजेंसियां इन मुसलमानों पर कड़ी नज़र रखती है क्योंकि माना जाता है कि इनका सम्पर्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी मुसलमानो से है.

ईसाईयों की संख्या ज्यादा है चीन में

चीन पर जब दुनिया की तोपें तनीं हैं तब जा कर चीन की परत दर परत खुल रही है. अब पता चला है कि चीन में मुसलमानों से ज्यादा ईसाईयों की बुरी हालत है. मुसलमानों की संख्या चीन में करीब डेढ़ करोड़ है जबकि ईसाई यहां साढ़े छह करोड़ से अधिक हैं. मुसलमानों के विपरीत ईसाई चीन के बहुत सारे प्रांतों में फैले हुए हैं. छोटे कस्बों में गांवों में चर्च बने देखे जा सकते हैं और मूल रूप से बुद्धिस्ट चीन में  ईसाइयत उन्हीं मिशनरियों को जाता है जिन्होंने भारत में भी इसी तरह ईसाइयत फैलाई है.

 

ईसाईयों से नफरत यहां पुरानी खबर है 

वैसे तो पिछली कई शताब्दियों से चीन में ईसाईयों का आना और बसना जारी रहा है लेकिन इनका विरोध हमेशा हुआ है. चीन के राजाओं और बाद में बनी सरकारें लगातार चीन में रहने वाले ईसाइयों पर कई प्रतिबंध भी लगाती रही पर विदेश से आने वाले पैसों के लालच में चीन में ईसाइयत के विस्तार को ढंग से रोका नहीं गया किन्तु इनसे नफरत लगातार बनी रही जो अब खुल कर सामने आ गई है.

ईसाई प्रताड़ना बौद्धों से ज्यादा हुई है

कम्युनिस्टों की सरकार में आने के बाद ईसाईयों पर बौद्ध लोगों की तुलना में अधिक गाज गिरी है. इनकी प्रताड़ना अब इतनी बढ़ गई है कि चीन के ईसाइयों से चर्चों में से ईसा और क्राॅस की मूर्तियां हटाने की बात कही जा रही है और कहा जा रहा है कि इनके स्थान पर माओ त्से तुंग और शी चिन फिंग की मूर्तियां स्थापित करें. चीन की कम्युनिस्ट पुलिस कई मूर्तियों और चर्चों को तोड़ चुकी है. कुरआन की भांति ही अब कई प्रांतों में बाइबल भी देखने को नहीं मिल रही है.

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