Chinese Joker: जिनपिंग के विस्तारवाद की वजह

जिनपिंग के अति-आत्मविश्वास ने उसको मूर्ख साबित कर दिया है, उसने जिस तरह से देश में अपनी बादशाहत को बरकरार रखने की कोशिश की है, उसी तरीके से उसने दुनिया में भी वही फार्मूला आजमाने की कोशिश की है लेकिन दोनों जगह ही जिनपिंग का असली चेहरा सामने आ गया..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Sep 30, 2020, 08:37 AM IST
    • सुनियोजित है चीनी विस्तारवाद
    • विस्तारवाद से लगाये हैं तीन निशाने
    • भौगोलिक विस्तारवाद पर चल रहा है काम
    • आर्थिक विस्तारवाद और भी जहरीला
Chinese Joker: जिनपिंग के विस्तारवाद की वजह

नई दिल्ली.  जिनपिंग के परामर्शदाता चाहे जैसे हों, जिनपिंग की सोच में ही तानाशाही है. जिनपिंग इस सत्य को देख ही नहीं पा रहा है कि एक सीमा तक वह चीन के लोगों को मूर्ख बना कर चीन में अपनी कुर्सी सुरक्षित रख सकता है किन्तु वही फॉर्मूला दुनिया में अपना कर दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करने का उसका सपना कितना निकम्मा है - ये बात आज जिनपिंग के साथ दुनिया भी देख रही है. 

सुनियोजित है चीनी विस्तारवाद 

जिनपिंग ने अपनी विस्तारवादी सोच को आज दुनिया के सामने चीनी विस्तारवाद सिद्ध करने की कोशिश की है और इस तरह उसने चीनी छवि को वैश्विक चोट पहुंचाई है. पर सच तो ये है कि विस्तारवाद के दिन लद गए. आज की तारीख में विश्व का कोई देश कितना भी सशक्त हो जाए, भौगोलिक विस्तारवाद का सपना नहीं पाल सकता. चूंकि चीन के इरादे विश्व के प्रति मित्रवत नहीं हैं इसलिए इसकी नीयत में भी खोट साफ दिखाई देती है. चीनी जिनपिंग ने भौगोलिक विस्तारवाद का सहारा ले कर एक तीर से तीन निशाने लगाने की कोशिश की है.   

जिनपिंग के तीन निशाने 

विस्तारवाद का सहारा लेकर जिनपिंग एक तीर से तीन निशाने लगा रहा है. जिनपिंग का पहला निशाना है विस्तारवादी-राष्ट्रवाद. जिस तरह पाकिस्तान की मूर्ख जाहिल जनता भारत विरोधी सियासत पर कुर्बान जाती है वैसे ही चीन की जनता को भी विस्तारवादी राष्ट्रवाद की योजना बना कर हमेशा के लिए पटा लेने की बेवकूफाना कोशिश की है जिनपिंग ने.  दूसरा निशाना है शुद्ध भौगोलिक विस्तारवाद, जिसके माध्यम से दूसरे देशों की ज़मीनों को हड़पते हुए आगे बढ़ने की योजना बनाई गई है. 

शुद्ध भौगोलिक विस्तारवाद  

शुद्ध भौगोलिक विस्तारवाद पर चीन का काम निरंतर चल रहा है. चाहे वह चीन की वैश्विक रणनीति के अंतर्गत बना चीन का सबसे बड़ा और नया मित्र रूस हो या सबसे बड़े बाजार वाला भारत हो -चीन ने भौगोलिक विस्तारवाद को आगे बढ़ाते हुए अपनी नीयत सबके सामने साफ़ कर दी है. जिनपिंग अपनी इस मूर्ख योजना को लेकर इतना अति-उत्साहित हो गया है कि उसने अपने सभी पडोसी देशों के साथ यही हरकत की और हर पड़ोसी से सीमा विवाद पैदा कर लिया है. इतना ही नहीं तिब्बत को तो चीन ने पूरी तरह से खा लिया है और ऐसा करके वह अमेरिका और भारत जैसी वैश्विक महाशक्तियों के निशाने पर आ गया है. 

आर्थिक विस्तारवाद और भी जहरीला 

जिनपिंग ने विस्तारवाद की अवधारणा का इस्तेमाल करते हुए जो तीसरा निशाना लगाया है वह सबसे ज्यादा जहरीला है. यह ऐसा मकड़जाल है जिससे मुक्ति न खुद चीन का शिकार देश पा सकता है न ही दुनिया की कोई ताकत उसकी मदद कर सकती है. आर्थिक विस्तारवाद के जरिये वह आर्थिक रूप से दुर्बल देशों को आगे बढ़ कर सपने दिखता है और उनको भारी भरकम ऋण दे कर इस स्थिति में पहुंचा देता है कि आगे चल कर वे उसे चुकाने में नाकाम रहते हैं. इसके बाद चीन उस देश पर और उसके संसाधनों पर अपना कब्जा ज़माना शुरू कर देता है. कई अफ्रीकी देश इसके खुले उदाहरण हैं.

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