लॉकडाउन से फायदा हुआ या नहीं? यहां पढ़िए, जवाब

दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ जंग में लॉकडाउन का असर क्या रहा? इस लॉकडाउन से फायदा हुआ भी है या नहीं इसकी जानकारी के लिए ये रिपोर्ट पढ़िए,

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 21, 2020, 05:24 AM IST
    • नील फर्गुसन के लॉकडाउन में खामियां?
    • वैज्ञानिक नील फर्गुसन ने दिया था लॉकडाउन का आईडिया
    • ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन के महामारी सलाहकार हैं नील
    • इंपीरियल कॉलेज, लंदन में महामारी वैज्ञानिक हैं नील फर्गुसन
    • लॉकडाउन को दोषपुर्ण मानते हुए फर्गुसन ने दिया इस्तीफा
लॉकडाउन से फायदा हुआ या नहीं? यहां पढ़िए, जवाब

नई दिल्ली: भारत में अब तक कुल 68 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की गई है. इसमें से 57 दिन गुज़र चुके हैं, 11 दिन अभी बाकी है. हालांकि चौथा लॉकडाउन कई राहतों के साथ हैं. पहले के 3 लॉकडाउन में पूरी तरह भारत बंदी थी. फैक्ट्री, सिनेमाहॉल, शॉपिंग मॉल, सार्वजनिक वाहन, ट्रेन और मेट्रो सेवा, चौथे डॉलडाउन में कुछ जगहों को खोला गया तो कुछ अब भी बंद हैं.

लॉकडाउन के आईडिया में निकली ये खामियां

सवाल ये है कि लॉकडाउन से देश को नफ़ा हुआ या नुकसान? ये बात सच है कि कोरोना का संक्रमण दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कम हुआ है. लेकिन अब मामले बढ़ रहे हैं. ये सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि इंपीरियल कॉलेज लंदन के महामारी वैज्ञानिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जिन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लॉकडाउन का आईडिया दिया था, जिसमें खामियां हैं.

सबसे पहले हम आपको नील फर्गुसन के बारे में बताते हैं. फिर आपको बताएंगे कि उन्होंने क्या दावा किया और हकीकत में क्या हुआ.

इंपीरियल कॉलेज लंदन की स्टडी के आधार पर वैज्ञानिक नील फर्गुसन ने ही ब्रिटेन सरकार को लॉकडाउन का आईडिया था. नील फर्गुसन ब्रिटेन की बोरिस जॉनसन सरकार के महामारी सलाहकार हैं. और साथ ही इंपीरियल कॉलेज, लंदन में महामारी वैज्ञानिक हैं. नील फर्गुसन ने अपने लॉकडाउन के आईडिया में खामियां पाकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

नील फर्गुसन के लॉकडाउन में ख़ामियां?

दावा (लॉकडाउन के बिना)                     सच्चाई

अमेरिका में संक्रमण 32 करोड़         अब तक 15.8 लाख संक्रमित

अमेरिका में मौत 22 लाख               अब तक करीब 93.6 हजार मौत

दुनिया में मौत 9 करोड़                   अब तक 3.26 लाख की मौत

यूके में मौत 510000                      अब तक 35.7 हजार लोगों की मौत

स्वीडन में मौत 20000                    अब तक 4000 से कम मौतें

अब आप ये भी जान लीजिए कि नील फर्गुसन ने क्या दावा किया था और क्या सच्चाई निकली. नील ने दावा किया था कि लॉकडाउन के बिना अमेरिका की कुल आबादी में संक्रमण 80% यानी 32 करोड़ लोगों को होगा. लेकिन सच्चाई ये है कि लॉकडाउन के बिना अब तक 15 लाख 80 हज़ार लोग संक्रमित हुए हैं.

नील फर्गुसन ने दावा किया था कि अमेरिका में लॉकडाउन नहीं हुआ तो 22 लाख लोगों की मौत होगी. यहां भी नील का दावा बेदम निकला. अब तक अमेरिका में करीब 93 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है. नील ने दावा किया था कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से 9 करोड़ लोग मारे जाएंगे. लेकिन सच्चाई ये है कि दुनियाभर में मौत का आंकड़ा अब तक 3 लाख 26 हजार है.

यूनाइटेड किंगडम में नील फर्गुसन ने 5 लाख 10 हजार लोगों की मौत की भविष्यवाणी की थी. जबकि सच्चाई ये है कि अब तक 35,700 से अधिक लोगों की मौत हुई है. स्वीडन में नील फर्गुसन ने 20 हजार लोगों की मौत होने का दावा किया था. यहां भी नील फर्गुसन का दावा गलत निकला, स्वीडन में मौत का आंकड़ा 4 हजार से भी कम है.

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लिहाजा ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि लॉकडाउन का आईडिया ही खामियों से भरपूर है. जब वैज्ञानिक नील फर्गुसन ने अपना इस्तीफा दिया था तो हर कोई इस पर विचार कर रहा था कि इसके पीछे की असल वजह क्या है. अब ये समझना थोड़ा आसान हो गया है कि नील के इस्तीफे के पीछे की वजह क्या है. इसके साथ ही लॉकडाउन को लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है.

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