फ्रांस के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथियों का पक्ष लेना इमरान खान को पड़ा भारी

पूरी दुनिया में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठ रही है. कई देशों में फ्रांस के टीचर की निर्मम हत्या और उसके बाद चर्च में हुए आतंकी हमले की निंदा हो रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 2, 2020, 03:24 PM IST
    • मजहबी कट्टरपंथियों के समर्थन में पाकिस्तान और तुर्की
    • ISI के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल समेत कई पाकिस्तानियों के वीजा रद्द
फ्रांस के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथियों का पक्ष लेना इमरान खान को पड़ा भारी

नई दिल्ली: पाकिस्तान के कट्टरपंथी और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश के जेहादियों और आतंकियों को खुश करने के लिए हमेशा उन घटनाओं का समर्थन करते हैं जो इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं. मजहबी हिंसा की निंदा करने के बजाय इमरान खान ने फ्रांस के राष्ट्रपति को आलोचना की थी. इसके बाद फ्रांस ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठा लिया है.

ISI के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल समेत कई पाकिस्तानियों के वीजा रद्द

उल्लेखनीय है कि फ्रांस (France) ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि वो मुस्लिम देशों के दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. फ्रांस ने इमरान खान को कड़ा सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा (Ahmad Shuja Pasha) की रिश्तेदार सहित 183 पाकिस्तानी नागरिकों का विजिटर वीजा रद्द कर दिया है.

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इतना ही नहीं फ्रांस ने 118 पाकिस्तानियों को जबरन डिपोर्ट भी किया है. इमैनुएल मैक्रों  (Emmanuel Macron) सरकार की इस कार्रवाई को सीधे तौर पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की फ्रांस विरोधी बयानबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है.

मजहबी कट्टरपंथियों के समर्थन में पाकिस्तान और तुर्की

आपको बता दें कि पिछले महीने स्कूल में पैगंबर मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर पेरिस में एक एक युवक ने स्कूल टीचर की गला काटकर हत्या कर दी थी. इस पर राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लामिक आतंकवाद पर बयान दिया था, जिसके बाद से उनकी आलोचना हो रही है.

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इस्लामिक कट्टरपंथियों के पक्ष में तुर्की और पाकिस्तान फ्रांस की सबसे ज्यादा आलोचना कर रहे हैं. इमरान खान ने तो बाकायदा मुस्लिम देशों को पत्र लिखकर पश्चिमी देशों के खिलाफ एकजुट होने की अपील कर डाली थी. उन्होंने कहा था कि इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पश्चिम देशों की लीडरशिप को सही रास्ते पर लाने के लिए मुस्लिम देशों का एकजुट होना जरूरी है.

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