मूंगफली बेचने से लेकर राष्ट्रपति की गद्दी तक, संघर्षों भरी रही है लूला डी सिल्वा की कहानी

ब्राजील के नए राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने 14 साल की कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. हैरानी वाली बात ये है कि लूला डी सिल्वा ने मूंगफली बेचने से लेकर जूतों की कंपनी में भी काम किया है.

Written by - Surabhi Tiwari | Last Updated : Nov 2, 2022, 06:34 PM IST
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मूंगफली बेचने से लेकर राष्ट्रपति की गद्दी तक, संघर्षों भरी रही है लूला डी सिल्वा की कहानी

नई दिल्ली: ब्राजील में नए राष्ट्रपति को चुना गया है. ब्राजील में लूला डी सिल्वा को राष्ट्रपति चुना गया है. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के जीवन की कहानी काफी संघर्षों से भरी रही है. ब्राजील के दिग्गज वामपंथी नेता लूला डी सिल्वा इससे पहले भी दो बार ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं. 

दो बार पहले भी बन चुके हैं राष्ट्रपति

लूला डी सिल्वा 2003 से 2010 तक दो बार ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं. खबरों के मुताबिक उनके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर काफी आरोप लगे, जिसके बाद 2018 में उन्हें जेल भेज दिया गया था. साल 2019 में वे जेल से रिहा हुए थे. 

कठिनाई भरा रहा था बचपन

लूला का बचपन काफी दिक्कतों और गरीबी में बीता था, वे किसान परिवार में जन्मे थे और उनके आठ भाई बहन हैं. उन्होंने 14 साल की कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. हैरानी वाली बात ये है कि लूला डी सिल्वा ने मूंगफली बेचने से लेकर जूतों की कंपनी में भी काम किया है. इस दैरान उन्होंने ट्रेड यूनियन के रूप में कर्मचारियों की आवाज उठाई और कई हड़तालों का नेतृत्व किया. इतना ही नहीं उन्होंने सैन्य तानाशाही को चुनौती भी दी और 1980 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. यहीं से उन्हें राजनीति में उतरने का नया आयाम मिला. 

2002 में पहली बार बने राष्ट्रपति

लूला डी सिल्वा साल 1989, 1994 और साल 1998 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 3 बार राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने के बाद 2002 में उन्होंने फिर चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराकर अपने देश की सेवा की. इसके बाद उन्हें एक और बार जीत मिली, फिर जेल जाने के बाद चुनाव नहीं लड़ सके मगर जब चुनाव लड़ा तो जीत ही मिली. खबरें तो ये भी हैं कि उन्होंने एक बार राजनीति से अलग होने का फैसला लिया था, लेकिन फिदेल कास्त्रो के कहने पर उन्होंने फिर से राजनीति में वापसी कर ली.

लूला डि सिल्वा का हो रहा विरोध

डि सिल्वा की इस जीत से और बोलसोनारो की हार से देश में कुछ लोग दुखी नजर आ रहे हैं. बता दें कि बोलसोनारो को कम वोट मिलने से नाराज तमाम ट्रक ड्राइवरों ने कई राज्यों में सड़कों पर गाड़ियों से चक्का जाम कर दिया. इसी के साथ ही कई जगह प्रदर्शन किया गया और इस जीत का जमकर विरोध हुआ. लोगों के विरोध करने की पीछे का तर्क ये है कि जो व्यक्ति जेल से बाहर आया है, वो हम पर शासन नहीं कर सकता. इसके साथ उनके विपक्षी चुनाव में धांधली होने जैसे भी आरोप लगा रहे हैं.

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