नई दिल्ली. सार्क देशों की बैठक में भारत ने मुँह देखी बात नहीं की. सीधी और सच्ची बात कही भारत के विदेश मंत्री ने. एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया की प्रमुख चुनौती आज आतंकवाद है. और यदि सार्क देश चाहते हैं कि शान्ति आये तो उसके लिए पहले आतंकवाद को मिटाना जरूरी है.
प्रमुख वैश्विक चुनौती है आतंकवाद
सार्क देशों की कोई भी मीटिंग हो, अब केवल औपचारिकता से अधिक नहीं है. दक्षिण एशिया में भारत के संबंध नेपाल और पाकिस्तान से खराब हो चुके हैं. ऐसे में विदेश मंत्रियों की ये बैठक भी औपचारिकता का निर्वाह मात्र ही दिखाई दी. किन्तु भारत ने इसे अवसर बनाया और अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी. सीमा पार आतंकवाद को प्रमुख वैश्विक चुनौती बताते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि इसे रोके बिना शान्ति नहीं आ सकती.
''कारोबार की अड़चन भी यही है''
भारत, नेपाल व पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव आजाने के कारण उम्मीद थी कि मीटिंग में गर्मागर्मी हो सकती है. परन्तु भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गंभीरता से भारत के सन्देश को संगठन के दुसरे देशों तक पहुँचाया और बताया कि सार्क देशों के बीच संबंधों की राह में प्रमुख बाधा आतंकवाद है और कारोबार की राह में अड़चन डालने के कारण भी दक्षिण एशिया में देशों के आपसी संबंध ठीक नहीं हो सकते.
''सार्क की क्षमता का पूर्ण उपयोग हो''
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की अभिलाषा से संगठन के सदस्य देशों को परिचित कराया और कहा कि भारत चाहता है कि सार्क की क्षमता का पूरा उपयोग होना चाहिए किन्तु इसके लिए हर सदस्य देश को उन शक्तियों को पराजित करना जो आतंकवाद के पालनहार बने हुए हैं.
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