नई दिल्ली. अमूमन ऐसा होता कम है कि भारत का एक मित्र देश बार बार उसके आंतरिक मामलों में दखल दे. लेकिन मलेशिया के मामले में ऐसा ही हुआ है. ये हाल ही में दूसरी बार हुआ है कि मलेशिया भारत के निजी मसले पर टिप्पणी करने से नहीं चूका है. हालांकि इस बार भी भारत ने सीधे तौर पर मलेशियाई प्रधानमंत्री को खरा-खरा जवाब दे दिया है.
महातिर मोहम्मद का बयान
मलेशियाई प्रधानमंत्री ने भारत के नागरिकता क़ानून को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की थी जो ज़ाहिर है कि भारत को रास नहीं आई. महातिर मोहम्मद ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत के कुछ मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित करने के लिए CAA जैसे कानून लाए जा रहे हैं.
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भारत ने जताया ऐतराज
कल 20 दिसंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने मलेशिया को दो टूक जवाब भी दे दिया. भारत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून हमारे देश का निजी मामला है और इसमें देश के किसी भी नागरिक का हित खतरे में नहीं पड़ेगा. मलेशियाई प्रधानमंत्री का वक्तव्य तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह से गलत है और उन्हें हमारे घरेलू मामलों पर बोलने से परहेज करना चाहिए.
कहा कि देश के किसी नागरिक के साथ अन्याय नहीं होगा
मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन कानून तीन देशों से प्रताड़ित हो कर आये अल्पसंख्यक शरणार्थियों हेतु त्वरित गति से नागरिकता देने का प्रावधान करता है. इससे किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता संकट में नहीं आएगी न ही धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव होगा.
''पहले तथ्यों की जांच पड़ताल कर लें, फिर बोलें''
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मलेशिया के लिए अपने संदेश में आगे कहा कि मलयेशिया के प्रधानमंत्री के वक्तव्य को तथ्यात्मक रूप से गलत पाया गया है. हम मलयेशिया से अपील करना चाहेंगे कि बिना तथ्यों की पूरी जानकारी के भारत की निजी विषयों पर बोलने से बचें.