नई दिल्ली. ज़ाहिर सी बात है अगर नेपाल के साथ भारत की बातचीत होती है तो सीमा का मुद्दा तो उठेगा ही. विवाद ही दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर हुआ है. ये बात दीगर है कि विवाद को लेकर भड़काया चीन ने है और चीन की शह पाकर नेपाल ज्यादा ही कूदने लगा. किन्तु भारत एक गंभीर और शांतिप्रिय राष्ट्र है. ऐसी बचकानी हरकतें माफ़ भी करता है और कभी कभी कान भी खींचता है.
सत्रह अगस्त को होगी विदेश मंत्रियों की बात
आज अंदर ही अंदर शर्मिन्दा नेपाल ऊपर से कहे या न कहे, वो ये जानता है कि उसके काम भारत ही आएगा, चीन नहीं. ये तो ओली और जिनपिंग की मिलीभगत है जिसने जबरदस्ती एक पूरे राष्ट्र नेपाल को भारत के विरुद्ध कर दिया और सीमा विवाद को पक्का ही नहीं बहुत पक्का बना दिया. लेकिन अब भारत और नेपाल के बीच होने वाली है विदेश मंत्रालय स्तर की बातचीत जिसमें दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारी मिल-बैठ कर हिस्सा लेंगे.
राजधानी काठमांडू में होगी बैठक
काठमांडू में होने वाली इस अहम बातचीत में नेपाल के विदेश सचिव और भारत के राजदूत शिरकत करेंगे. इस बातचीत की पुष्टि भारत सरकार ने कर दी है और इसका एजेंडा द्विपक्षीय विकास से संबंधित होगा. सीमा को लेकर भारत और नेपाल के बीच चल रहे विवाद के दौर में यह वार्ता चीन और पाकिस्तान के लिए तकलीफदेह सिद्ध हो सकती है, सत्रह अगस्त को भारत की ओर से नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाल की तरफ से विदेश सचिव शंकर दास बैरागी बातचीत में हिस्सा लेंगे.
नियमित द्विपक्षीय वार्ता है
यद्यपि यह भारत और नेपाल बीच विदेश मंत्रालय स्तर की नियमित द्विपक्षीय वार्ता है किन्तु इसमें आर्थिक और विकास से जुड़े विषयों के अतिरिक्त सीमा विवाद पर भी बात होनी है. यह द्विपक्षीय वार्ता पिछले चार सालों से यथावत चल रही है.
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