सत्ता से बेदखल हुए इमरान खान तो फूटा समर्थकों का गुस्सा, रात भर सड़कों पर काटा बवाल

पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान खान के समर्थक सड़कों पर उतर आए. समर्थकों की यह रैली रविवार को रात नौ बजे शुरू हुई और सोमवार तड़के तीन बजे तक चली.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 11, 2022, 09:32 AM IST
  • सड़कों पर उतरे इमरान खान के समर्थक
  • रात नौ बजे से सुबह के तीन बजे तक काटा बवाल
सत्ता से बेदखल हुए इमरान खान तो फूटा समर्थकों का गुस्सा, रात भर सड़कों पर काटा बवाल

लाहौर: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थक इमरान खान के पक्ष में सड़कों पर उतर गए हैं. इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के खिलाफ उनके मसर्थकों ने लाहौर के लिबर्टी चौक पर एक रैली निकाली. पीटीआई समर्थकों की यह रैली रविवार को रात नौ बजे शुरू हुई और सोमवार तड़के तीन बजे तक चली. रैली के दौरान महिलाओं और बच्चों समेत कई समर्थकों ने खान के साथ एकजुटता दिखाई. फैसलाबाद, मुल्तान, गुजरांवाला, वेहारी, झेलम और गुजरात जिलों सहित पंजाब प्रांत के अन्य हिस्सों से भी बड़ी सभाएं होने की खबर है. इस्लामाबाद और कराची में भी पीटीआई समर्थकों की बड़ी भीड़ उमड़ी.

अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन

इमरान खान के आह्वान पर रविवार रात नौ बजे के बाद अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जो कई घंटों तक जारी रहे. इससे पहले खान ने रविवार सुबह ट्वीट किया था, ‘‘पाकिस्तान में ‘‘शासन परिवर्तन में विदेशी ताकतों’’ के खिलाफ ‘‘आज स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत करें’’. 

उन्होंने, ‘‘हमेशा लोग ही अपनी संप्रभुता तथा लोकतंत्र की रक्षा करते हैं.’’ खान ने एक अन्य ट्वीट में, लाहौर रैली की तस्वीर साझा की और कहा कि उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा कभी नहीं देखी. इस प्रदर्शनों का नेतृत्व पीटीआई के स्थानीय नेतृत्व ने किया.

इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ता एवं समर्थक अमेरिका के खिलाफ नारे लगा रहे थे. खान ने अपनी सरकार को हटाने के पीछे अमेरिका का हाथ होने का दावा किया है. वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ के खिलाफ भी नारे लगा रहे थे, जिनके सोमवार को देश का नया प्रधानंत्री बनने की संभावना है.

'आयातित सरकार स्वीकार्य नहीं'

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के खिलाफ भी नारेबाजी की गई. प्रदर्शनकारियों में से अधिकतर ने हाथ में तख्तियों ले रखी थीं, जिन पर लिखा था ‘‘आयातित सरकार स्वीकार्य नहीं है.’’ यह ‘‘आयातित सरकार स्वीकार्य नहीं है’’ सोमवार तड़के तक 27 लाख से अधिक ट्वीट के साथ पाकिस्तान में ट्विटर पर ‘ट्रेंड’ भी कर रहा था.

पूर्व संघीय मंत्री और पीटीआई की वरिष्ठ नेता शिरीन मजारी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पाकिस्तान और विदेशों से इस तरह के अद्भुत दृश्य...पाकिस्तानियों ने अमेरिकी शासन परिवर्तन को खारिज कर दिया है. ’’ उन्होंने कहा कि ‘‘आयातित सरकार स्वीकार्य नहीं है’’...मेरी पसंदीदा तख्तियों में से है.

उन्होंने पाकिस्तानी मीडिया के देशभर में, खासकर लाहौर और कराची में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को उचित तरीके से न दिखाने का आरोप भी लगाया. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने समर्थकों का बाद में शुक्रिया अदा किया.

पार्टी ने ट्विटर पर साझा किए एक बयान में कहा, ‘‘ शुक्रिया पाकिस्तान. हम एक ऐसा राष्ट्र हैं जो किसी भी विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ खड़ा है, हम एक ऐसा राष्ट्र हैं जो इमरान खान के साथ खड़ा है.’’ पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का नेशनल असेंबली उपाध्यक्ष का फैसला गुरुवार को सर्वसम्मति से रद्द कर दिया था.

इमरान लगा चुके हैं विदेशी साजिश का आरोप

शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही नेशनल असेंबली को बहाल करने का आदेश दिया था. नेशनल असेंबली का महत्वपूर्ण सत्र शनिवार को आयोजित हुआ, जिसमें सदन के अध्यक्ष असद कैसर ने अलग-अलग कारणों से तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित की. इस्तीफे की घोषणा के बाद कैसर ने पीएमएल-एन के अयाज सादिक को सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करने को कहा, जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया गया और वह पारित हो गया.

विपक्षी दलों ने आठ मार्च को इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद खान ने इसके पीछे विदेशी साजिश होने का आरोप लगाते हुए अमेरिका पर निशाना साधा था, लेकिन अमेरिका ने आरोपों को बेबुनियाद करार दिया था. क्रिकेटर से नेता बने खान 2018 में 'नया पाकिस्तान' बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे. हालांकि, वह वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे. नेशनल असेंबली का वर्तमान कार्यकाल अगस्त, 2023 में समाप्त हो जाएगा.

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