नई दिल्ली: थाईलैंड की राजशाही वाली सरकार की ऐसी फजीहत इससे पहले कभी नहीं हुई कि उसे एक सप्ताह के अंदर इमरजेंसी लगाने के उस फरमान को वापस लेना पड़ा, जिसका वजूद प्रदर्शनकारियों ने मिटा दिया था. सवाल है क्या थाईलैंड की वर्तमान सरकार अब बस सिर्फ राजमहल और गवर्नमेंट हाउस तक ही सीमित रह गई है? अगर ऐसा है तो सरकार को जनता की आवाज़ वक्त रहते समझ लेनी चाहिए.
थाईलैंड में सरकार बैकफुट पर है,...और उसके खिलाफ़ सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी कदम दर कदम अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं. आलम ये है कि क्रांति के इस जनसैलाब को देख कर प्रयुत चान ओछा की डरी हुई सरकार ने राजधानी बैंकाक में इमर्जेंसी लगी दी,...यानी एक साथ 4 से ज्यादा लोग एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते. मगर सरकार के उस फरमान का क्या हुआ, ये आप खुद समझ सकते हैं.
बैकफुट पर आई राजशाही वाली सरकार
जब 10 हज़ार से ज्यादा प्रदर्शनकारियों का जत्था बैंकाक की सड़कों और चौराहों पर लगातार 8 दिनों से डंटा हुआ है. जब राजशाही के साथ चलने वाली इस सरकार को ये महसूस हुआ कि उसकी लगाई इमरजेंसी तो मजाक बन कर रह गई है, तो अब सरकार ने इमरजेंसी हटाने का ऐलान कर दिया.
बस ये बानगी काफी है बताने के लिए कि थाईलैंड में संवैधानिक राजशाही वाले शासन की 'औकात' आखिर क्या रह गई है? सत्ता का फरमान और सड़कों पर डटे प्रदर्शनकारियों ने ये साबित कर दिया कि थाईलैंड में अब सरकार बस राजमहल और गवर्नमेंट हाउस जैसे ठिकानों तक ही सिमट कर रह गई है!
बुधवार को हजारों प्रदर्शनकारी जब पीएम प्रयुत चान ओछा को 3 दिनों के अंदर पद छोड़ने की मोहलत देते हुए गवर्नमेंट हाउस की तरफ़ मार्च कर रहे थे, तो सरकार बेबस हो चुकी थी, खुद को बचाने का उसे कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था, इसलिए पीएम प्रयुत चान ओछा राष्ट्रीय टीवी पर आकर लोकतंत्र समर्थकों से तानव कम करने की अपील करने लगे.
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थाईलैंड के पीएम प्रयुत चान ओछा ने कहा कि मैं फिलहाल बैंकाक से आपातकाल हटाने की तैयारी कर रहा हूं,और आगे अगर कोई हिंसात्मक घटना नहीं होती है तो इसे जल्द लागू कर दिया जाएगा.
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बेबसी में इमरजेंसी हटाने का फरमान बना मज़ाक
पीएम का ये बयान हास्यास्पद था क्योंकि बैंकाक में कहीं भी इमरजेंसी तो थी ही नहीं, फिर सरकार क्या हटाने का फरमान दे रही थी? दरअसल, पीएम की ये भाषा साफ़ बताती है कि डरी हुई सरकार तत्काल सिर्फ और सिर्फ अपना बचाव करना चाहती है. इसलिए ऐसी इमर्जेंसी हटाने की बात कर रही है, जिसका कोई वजूद ही नहीं रह गया था.
सरकार इसकी आड़ में क्या कर रही थी उसकी एक बानगी ये है कि आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन समाप्त करने के लिए पीएम प्रयुत चान ओछा से तीन दिनों के अंदर उनका इस्तीफा मांगा, लेकिन दो घंटे के अंदर ही ऐसी मांग रखने वाले नेता को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया.
इससे पहले भी कई नेताओं को इमरजेंसी तोड़ने के आरोप लगाकर सरकार गिरफ्तार कर चुकी है जिसे प्रदर्शनकारी रिहा करने की मांग कर रहे हैं. और इसे देखते हुए अब लोकतंत्र समर्थकों ने राजधानी बैंकाक के अलावा पूरे देश में ऐसे प्रदर्शनों की तैयारी की है. साफ है कि थाईलैंड में मामला अब आर-पार का है.राजशाही को सपोर्ट करने वाली सरकार जितनी जल्द जनता की आवाज़ सुन ले उतना बेहतर है.
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