नेपाल में नाटकीय घटनाक्रमों के बाद अब ढाई साल के लिए प्रचंड बनेंगे पीएम, फिर ओली संभालेंगे सत्ता

विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दल रविवार को नाटकीय घटनाक्रम में सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को अपना समर्थन देने पर सहमत हो गये और इसके साथ ही प्रचंड के नेपाल के अगले प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 25, 2022, 06:28 PM IST
  • 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति
  • राष्ट्रपति के लिए तैयार हो रहा एक समझौता पत्र
नेपाल में नाटकीय घटनाक्रमों के बाद अब ढाई साल के लिए प्रचंड बनेंगे पीएम, फिर ओली संभालेंगे सत्ता

नई दिल्लीः विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दल रविवार को नाटकीय घटनाक्रम में सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को अपना समर्थन देने पर सहमत हो गये और इसके साथ ही प्रचंड के नेपाल के अगले प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. 

'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत सभी दल
पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए. 

राष्ट्रपति के लिए तैयार हो रहा एक समझौता पत्र
सीपीएन-एमसी महासचिव देब गुरुंग ने बताया कि सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी और अन्य दल संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत 165 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति कार्यालय 'शीतलनिवास' जाकर प्रचंड के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश करने को तैयार हैं. गुरुंग ने बताया कि राष्ट्रपति को सौंपने के लिए एक समझौता पत्र भी तैयार किया जा रहा है. 

बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनेंगे प्रचंड व ओली
ओली के आवास बालकोट में आयोजित बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया. प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से (रोटेशन के आधार पर) सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जतायी है. 

नये गठबंधन को 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य शामिल हैं. 

'नेपाली कांग्रेस अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल'
सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने बैठक के बाद कहा, ‘सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की ओर से दी गई समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही. अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है.’

गठबंधन से बाहर आ गए थे शेर बहादुर देउबा
इससे पहले आज सुबह प्रधानमंत्री व नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-एमसी के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद प्रचंड पांच दलों के गठबंधन से बाहर आ गए थे, क्योंकि देउबा ने पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज कर दी थी. 

देउबा और प्रचंड के बीच बातचीत हो गई विफल
देउबा और प्रचंड पहले बारी-बारी से नयी सरकार का नेतृत्व करने के लिए मौन सहमति पर पहुंचे थे. माओवादी सूत्रों ने बताया कि रविवार सुबह प्रचंड के साथ बातचीत के दौरान नेपाली कांग्रेस (नेकां) ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों प्रमुख पदों के लिए दावा किया था, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्ता विफल हो गई. नेकां ने माओवादी पार्टी को अध्यक्ष (स्पीकर) पद की पेशकश की, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया.

(इनपुटः भाषा)

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